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23.11.16

डीडी स्पोर्ट्स के कुछ भ्रष्ट अफसरों का बाल बांका तक नहीं होता



बीजेपी सरकार अपने सरकारी चैनलों का हाल तो देख ले. करप्शन दूरदर्शन के चैनलों में जड़ तक पहुंच चुका है. सरकारी पैसों का लगातार दुरुपयोग हो रहा है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यवर्धन सिंह राठौर, वैंकय नायूडू जैसे नेताओं ने आंख बंद कर रखी है. डीडी स्पोर्ट्स में हो रहे हैं करोड़ों के घाल मेल. नेता से लेकर अधिकारी तक सब चुप.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने डीडी स्पोर्ट्स चैनल की शुरुआत की थी. उनका सपना था कि देश में अपना खेल का चैनल हो जिसमें देश और विदेश के खेलों को दिखाया जाए. इससे देश में खेल को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही नए युवा खिलाड़ियों को देश के सामने लाया जाएगा. लेकिन डीडी स्पोर्ट्स और डीडी किसान में लगातार बड़े घपले हो रहे हैं. चैनल को बंद करने की नौबत आ गई है. लेकिन सरकार ने अपनी निगाह इन घपलों घोटालों से फेर ली है.

डीडी स्पोर्ट्स में कई अधिकारियों पर करप्शन का इलजाम लगा. उनके खिलाफ लोगों ने आरटीआई लगाया. लिखित में बड़े अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक शिकायत की गई. लेकिन इन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. डीडी स्पोर्ट्स के प्रोग्राम एग्जेटिकिव संजीव सोनी, नीरज भनोट पिछले 15 सालों से वहां काम कर रहे हैं. इन दोनों अधिकारियों की लगातार शिकायत होती रही है.

डीजी सुप्रीया साहू के सामने इन अधिकारियों के नाम साफ-साफ रखे गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुईं. इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने मिलकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है. लेकिन सब मंत्री और अधिकारी आंख बंद करके बैठे हैं. रियो ओलंपिक के दौरान संजीव सोनी और नीरज भनोट ने करीब 100 से ज्यादा लोगों को रखा. आरोप है कि इन्हें पूरी तरह से गैरकानूनी तरीके से रखा गया.  संजीव सोनी पर आरोप है कि इन्होंने अपने बेटे और उसके दोस्तों को भी काम दिया. इसके अलावा रियो ओलंपिक में एक लाख रुपए कीमत की जिमीजिग क्रेन किराए पर ली जिसकी कोई जरूरत नहीं थी. इसकी कीमत बाजार में  15-20 हजार रुपए हैं. जब इन सबके बारे में मंत्री से लेकर डीजी तक कुछ अधिकारियों ने बात पहुंचाई तो उन्हें डराया गया.

डीडी स्पोर्ट्स पर लाइव कवरेज के नाम पर कई पैसे बनाने के आरोप हैं. पूरे दूरदर्शन में हर किसी को मालूम है.  कई बार आईटीआई भी डाली गई लेकिन उसका जवाब तक दूरदर्शन ने देना सही नहीं समझा. मोदी जी, राठौर जी, नायडू जी से अनुरोध है कि जरा अपने चैनल और उनमें काम करने वाले लोगों की तरफ भी देख लें.

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. 

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