Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

30.5.21

मोदी जी, पुरानी पेंशन बहाल करें, फ्रीज किए गए महंगाई भत्ते को रिलीज करें!

लखनऊ 30 मई : राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष जे एन तिवारी ने देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी को उनके आधिकारिक ईमेल आईडी पर एक पत्र प्रेषित करते हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए उन सुविधाओं को बहाल करने की मांग किया है, जिसका सीधा असर उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों पर पड़ रहा है।

स्वामी, बाबा या सुपर प्राइम मिनिस्टर



स्वामी रामदेव कहें या बाबा रामदेव, पर है तो वह एक कारोबारी आदमी ही और एक कारोबारी भला हमारे देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को टर-टर कैसे कह सकता है? जबकि ठीक एक दिन पहले वे उन्हीं के पत्र के जवाब में खुद पत्र लिखकर डॉक्टर्स के लिए कहे गए अपने अपशब्दों के लिए माफी मांग चुका होता है। है ना अजीब!

‘अगेंस्ट द वेरी आइडिया ऑफ़ जस्टिस: यू.ए.पी.ए एंड अदर रिप्रेसिव लॉज़’ पुस्तिका का विमोचन

रांची  : मूवमेंट अगेंस्ट यु.ए.पी.ए एंड अदर रिप्रेसिव लॉज़ (एम.यु.आर.एल.) – राष्ट्रिय स्तर पर विभिन्न मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्थाओं का साझा मंच के तहत झारखण्ड में पुस्तिका ‘अगेंस्ट द वेरी आइडिया ऑफ़ जस्टिस: यु.ए.पी.ए एंड अदर रिप्रेसिव लॉज़’ का विमोचन हुआ.

भारत की अखंडता-संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है विदेशी सोशल मीडिया

संजय सक्सेना, लखनऊ   

विदेशी सोशल कम्पनी ’द्विटर’ और वाटसएप का कुछ वर्ष पूर्व ठीक वैसे ही हिन्दुस्तान में पर्दापण हुआ था, जैसे कभी ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी’ के नाम पर अंगे्रज व्यापार करने के लिए भारत में पधारे थे।ईस्ट इंडिया कंपनी सन 1600 में बनाई गई थी। उस समय ब्रिटेन की महारानी थीं एलिजाबेथ प्रथम थीं, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को एशिया में कारोबार करने की खुली छूट दी थी,बात एशिया में कारोबार की होती जरूर थी,लेकिन कम्पनी की नजर सिर्फ और सिर्फ हिन्दुस्तान पर टिकी हुई थी। कम्पनी के पीछे के इरादों को कोई भांप नहीं पाया था। इसी के चलते यह कंपनी कारोबार करते-करते ही भारत में सरकार बनाने की साजिश तक में कामयाब हो गई। उसकी इस साजिश को अमलीजामा पहनाने वालों में  कुछ हिन्दुस्तानियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा था।

आज उदंत मार्तण्ड की कमी खलने लगी है

वह 30 मई का ही दिन था, जब भारत में एक क्रांतिकारी युग का उदय हुआ था। एक ऐसा क्रांतिकारी युग, जो खुद अपनी बेबाक दुनिया रचने जा रहा था। जिसकी चाह न सिर्फ स्वधीनता की प्राप्ति थी, बल्कि देश के क्रांतिकारियों, नौंजवानो, लेखकों और कलमकारों को अपनी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी देना था। देश में कई अंग्रेजी अखबार अपनी पैठ बना चुके थे। उनमें भारतीयों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का कोई स्थान नहीं था। उस समय हिंदी भाषी भारतीयों के पास ऐसा सशक्त माध्यम नहीं था, जिन्हे वह अपना कह सके, जिसके माध्यम से अपनी बात तानाशाही अंग्रेजी हुकुमत तक पहुंचा सके।

कुमार विश्वास के कोविड केयर केन्द्र पर पहुँची स्थानीय विधायक, कुमार के कार्यालय ने दी शीत-निद्रा टूटने पर शुभकामनाएँ




 
मशहूर कवि कुमार विश्वास का कोविड केयर सेंटर अब जनप्रतिनिधियों के लिये भी प्रेरणास्रोत बनता जा रहा है। कुमार की इस का अनुकरण अब कई राजनीतिक लोग भी बखूबी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में कुमार विश्वास द्वारा अम्बेडकर नगर जनपद के शुकुलबाजार गॉंव में शुरू कराए गए कोविड केयर सेंटर पर शनिवार को स्थानीय विधायक भी पहुँची। उन्होंने वहॉं पहुँच कर ज़रूरतमंदों के बीच कुमार विश्वास द्वारा भिजवाए गए कोविड केयर किट का वितरण भी किया।

कुमार विश्वास ने एक ही दिन में खुलवाया कई गाँवों के लिए कोविड केयर सेंटर

प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास ने इन दिनों गॉंवों को कोरोना मुक्त बनाने की एक मुहिम छेड़ रखी है। गॉंव बचाओ के नाम से चल रहे अपने अभियान में कुमार अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों में बसे सैकड़ों गॉंवों की मदद कर चुके हैं। गॉंव वासियों द्वारा अनुरोध मिलने पर कुमार की टीम द्वारा वहॉं कोविड केयर सेंटर खुलवाए जा रहे हैं तथा ग्रामीणों के बीच कोरोना केयर किट के ज़रिए सभी आवश्यक दवाएँ पहुँचाई जा रही हैं। बिहार के लोगों की ट्विट का रिप्लाई करते हुए कुमार ने कई गॉंवों के लिए कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था करा दी है। अररिया से प्रभात यादव ने कुमार से कोविड केयर सेंटर खोलने का अनुरोध करते हुए ट्विटर पर लिखा-

23.5.21

जनता मूर्ख बन रही है और मोदी बना रहे हैं!

CHARAN SINGH RAJPUT-

वैसे तो हर सरकार ने किसी न किसी रूप में जनता को ठगा ही है पर मोदी सरकार ने ऐसा बेवकूफ बनाया कि कहीं न छोड़ा। उनको भी जिनके बलबूते पर सत्ता का मजा लूटते रहे। क्या रोजी-रोटी स्वयंभू हिन्दुओं की नहीं गई है ? क्या कोरोना कहर से ये लोग अछूते रह गये हैं ? क्या आज के हालात में इन लोगों के बच्चों का भी भविष्य और जान खतरे में नहीं है ? जमीनी हकीकत तो यह है कि हिन्दुत्व का राग अलापने वाली मोदी सरकार ने सबसे अधिक हिन्दुओं की भावनाओं से ही खिलवाड़ किया है।  ये जो नदियों में शव बह रहे हैं किन लोगों के हैं ? ये जो शवों के आसपास कपड़े दिखाई दे रहे है किस धर्म के लोगों के हैं ?

जरूरतमंद परिवारों को मदद से निगम ने किया इंकार तो माकपा ने बनाया अनाज बैंक

माकपा पार्षदों ने दिया अपना वेतन, तो रेड वालंटियर्स ने संभाला मोर्चा, पहुंचाया राशन

कोरबा। लॉक डाऊन के कारण बांकी मोंगरा क्षेत्र में पसरती भुखमरी से लड़ने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अनाज बैंक की स्थापना की है। इस अनाज बैंक से आज इस क्षेत्र के मोंगरा बस्ती, मड़वाढ़ोढा तथा गंगानगर में लगभग 50 गरीब परिवारों को राशन किट वितरित किया गया। इस किट में चावल, दाल, तेल, नमक, चाय और शक्कर के साथ ही प्याज, मसाले और हरी सब्जियां भी हैं। प्रत्येक जरूरतमंद परिवार को न्यूनतम एक सप्ताह का राशन देने का लक्ष्य रखा गया है।

22.5.21

कोरोना योद्धा बिना सुरक्षा किट के!



कोरोना योद्धा बिना सुरक्षा किट के : निगम कंगाल, तो माकपा पार्षद ने की व्यवस्था, कहा- माकपा कार्यकर्ता महापौर के साथ मिलकर चंदा इकट्ठा करने के लिए तैयार

कोरबा। कोरोना महामारी की इस दूसरी भयानक लहर में भी कोरोना योद्धा बिना सुरक्षा किट के काम कर रहे हैं। कोरबा निगम क्षेत्र के अंतर्गत सैकड़ों मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को घर-घर जाकर कोरोना पीड़ितों का सर्वे करने और कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता फैलाने का काम दिया गया है, लेकिन ये 'कोरोना योद्धा' बिना किसी सुरक्षा किट के मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालकर यह काम कर रहे हैं।

18.5.21

मजबूर पिता ने बेटी की लाश को कंधे पर लादा और बेटे के साथ श्मशान घाट निकल पड़ा, देखें वीडियो

Rizwan Chanchal-

एक बार फिर मानवीय संवेदना को तार तार करता वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जो नंगे होते समाज पर प्रश्न चिन्ह छोड़ गया। कंधे पर बेटी का शव उठाये सड़क पर चलते इस बाप के दर्द से न तो पत्थर दिल होते समाज के उन तमाम आते जाते राहगीरों वाहन सवारों में किसी  एक का दिल पसीजा और न ही कोई प्रसाशनिक सहायता दी गई।


17.5.21

बौद्धिक श्रमिकों को कोरोना योद्धा घोषित करने को लेकर सियासी दलों की मंशा साफ़ नहीं

विनय प्रकाश सिंह-

देश भर में लगातार कोरोना की जद में आ रहे बौद्धिक श्रमिकों (पत्रकारों) की स्थिति को लेकर राजनीतिक दल केवल बयानबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस जिन राज्यों में विपक्ष में है उन राज्यों में  कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग मीडिया के माध्यम से की जा रही है।जिन राज्यों में भाजपा विपक्ष में है वहा भाजपा प्रदेश नेतृत्व पत्रकारो को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग कर रहा है। पत्रकारों को लेकर लगातार बयानबाजी की जा रही है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के उप राष्ट्रपति तक ने ट्वीट कर पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग की है।

भागवत जी, अब जलती चिताओं पर 'सकारात्मकता' का पाठ पढ़ाने वाले से मुक्ति चाहता है देश

‬CHARAN SINGH RAJPUT-
 
क्या कोई जिम्मेदार आदमी इतना संवेदनहीन और क्रूर हो सकता है कि कोरोना महामारी में आक्सीजन की कमी से मरने वाले लोगों को 'मुक्ति' मिलने की बात कहे। आरएसएस के कर्णधार तो अपने इस संगठन को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताता रहा है। आरएसएस से जुड़े लोग तो संगठन को मानवता को समर्पित बताते-बताते थकते नहीं हैं। क्या आरएसएस इस सोच पर नाज करता है।



15.5.21

काम करो नकारात्मक और उपदेश दो सकारात्मकता का, नहीं चलेगा ...


CHARAN SINGH RAJPUT-
    
 
गजब खेल है आरएसएस और भाजपा का काम करेंगे नकारात्मक, माहौल बनाएंगे बांटने का और उपदेश देने निकल जाएंगे सकारात्मकता का। कोरोना कहर में मोदी सरकार स्वास्थाएं सेवाओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाती रही। भावनात्मक मुद्दों का राग छेडक़र लोगों को बेवकूफ बनाती रही। बेतहाशा महंगाई के साथ नोटबंदी, जीएसटी, नये किसान कानून लागू कर औेर श्रम कानून में संशोधन कर लोगों का जीना मुश्किल कर दिया। रोजी-रोटी का बड़ा संदेश में खड़ा कर दिया। घोर लापरवाही बरत कर लोगों को कोरोना महामारी के मुंह में झोंक दिया और अभियान चलाने निकलने हैं सकारात्मकता का। लोगों को सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रवचन दिया जा रहा है। प्रवचन भी कौन दे रहा है ? जो संगठन निर्माण के बाद से ही नकारात्मक काम करता आ रहा है। लोगों की सोच सकारात्मक करने का बीड़ा आरएसएस ने उठाया है। इनकी नजरों में लोग बेवकूफ हैं। बिना वजह के नकारात्मकता में जी रहे हैं। कोरोना महामारी में लोग आक्कसीजन की कमी से मर रहे हैं। लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए 40000 तक आक्सीजन सिलेंडर के नाम पर वसूले जा रहे हैं। कोरोना मरीजों को अस्पतालों  में बेड तक नहीं मिल रहे हैं। संक्रमित शवों के कंधे देने और मुंह देखने के लिए नाम उगाही चल रही है। नदियों में शव बह रहे हैं, उन्हें कुत्ते नोच रहे हैं और ये लोग सकारात्मकता का संदेश देते घूम रहे हैं।

कोविड 19 की आपदा को अवसर में बदला पंजाब यूनिवर्सिटी ने, दाखिला टेस्टों के नाम पर आवेदकों से लूटे करोड़ों रुपए

Dr Rajinder K Singla

RTI Activist, Chandigarh

Mob. 9417538456

यहां एक तरफ कोविड 19 महामारी ने विकराल रूप धारण कर देश में सभी जगह त्राहि त्राहि मचा रखी है, और मानवता की इस दुखद घड़ी में अनेक लोग व संस्थाएं पीड़ित लोगों की मदद में जुटे  हुए हैं, वहां दूसरी तरफ सोशल मीडिया में फैली खबरों और न्यूज विडियोज से ऐसे केस भी दिन प्रतिदिन उजागर हो रहे हैं यहां दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए कुछ लोगों ने इस आपदा को अवसर में बदल कर लूटने का काम शुरू किया हुआ, फिर लूट चाहे दवाइयों, हॉस्पिटल बेड, ऑक्सीजन के नाम पर हो या किसी अन्य तरीके से।

योगी का रामराज : कोरोना संक्रमितों के शवों की दुर्गति के साथ हो रही सौदेबाजी

CHARAN SINGH RAJPUT-
    
 
आक्सीजन की कमी से कोरोना संक्रमित मरीजों को मरने के लिए मजबूर करने वाले लोग तो हत्यारे हैं ही पर जो लोग शवों पर सौदेबाजी कर रहे हैं उन्हें क्या कहा  जाए ? जिन लोगों के राज में यह सब हो रहा है उन्हें क्या कहा जाए ? शव को कंधा दिलाने, मुंह दिखाने के नाम पर पैसा लेना कहां की सभ्यता, कहां के संस्कार औेर कहां की संस्कृति है ? कानपुर से आ रही खबरों में मोर्चरी हाउस में शव को कंधा देने के नाम पर 500 रुपये और मुंह दिखाने के 1000 रुपये वसूले जा रहे हैं। क्या इन सब बातों की जानकारी शासन-प्रशासन को नहीं है ?

कोरोना के बहाने शादियों को लेकर कुदरत का यह संदेश

Krishan pal Singh-
    
कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसे समय में दस्तक दी जब शादियों की लगन शुरू हो गई थी। लोगों ने गेस्ट हाउस से लेकर डीजे तक बुक करा लिये थे और थोक के भाव में निमंत्रण कार्ड बांट डाले थे। लेकिन सारा खेल खराब हो गया। अप्रैल में काफी दिनों तक खतरे के बावजूद मेजबान तो कोरोना का मुंह चिढ़ाते रहे जबकि मेहमानों ने संयम बरता। बाद में जब हर रोज जाने पहचाने लोगों में एक दो की मौत की खबरें आने लगी तो मेजबानों को भी झुरझुरी आ गई और उनका उत्साह मंद पड़ गया। खासतौर से मई में अब जो शादियां हो रही हैं उनमें सीमित मेहमान बुलाये जा रहे हैं। फालतू के तामझाम में भी बड़ी कमी देखी जा रही है।

भाजपा नेता ने लगाई ट्वीटर पर गुहार, कुमार विश्वास ने पहुँचाई मदद

कोरोना संकट के दौरान जहॉं देश एक तरफ़ भयंकर असुरक्षा बोध से गुजर रहा है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने पूरी ज़िम्मेदारी के साथ सकारात्मकता सृजित करने का ज़िम्मा सँभाल रखा है। अपनी कविताओं तथा  बेबाक़ टिप्पणियों के लिए सदा चर्चा में बने रहने वाले लोकप्रिय कवि डॉ. कुमार विश्वास इन दिनों लोगों की मदद करने के लिए सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। ट्विटर पर लोग उनसे बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर जैसी आवश्यकताओं के लिए सहायता माँग रहे हैं तथा कुमार की टीम बेहद त्वरित गति से लोगों की समस्याओं का समाधान भी कर रही है।  कुमार से मदद मॉंगने वालों में सामान्य लोगों से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारी एवं अलग-अलग राजनीतिक दलों के बड़े नेतागण भी शामिल हैं। 


जेल में गोलियों की तड़तड़ाहट का खेल क्यों और कैसे...?

Rizwan Chanchal-
    
उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल शुक्रवार को गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी,जेल के अंदर शार्प शूटर अंशुल दीक्षित ने शार्प शूटर मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली और मुकीम उर्फ काला पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते हुए दोनों को मौत के घाट उतार दिया बाद में जेल पुलिस ने अंशू को भी जेल में ही ढेर कर दिया। घटना घटित होने के बाद से शासन-प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।

मैं पुलिस कमिश्नर नोएडा हूं, आप लोगों को इस महामारी में कोई दिक्कत हो तो मुझे बताइए!

यह शब्द जनपद गौतमबुद्धनगर के पुलिस आयुक्त श्री आलोक सिंह ने आज दिनांक 14 मई 2021 को ग्रामीण क्षेत्र में भ्रमण के समय जेवर के ग्राम रामपुर बांगर में कहे। उन्होंने वहां मौजूद बुजुर्गों की कुशलक्षेम जानी और बीते दिनों के हालात के बारे में तफ्सील से बातें की।

11.5.21

कोरोना काल में उलटे-सीधे दावों के साथ कई कंम्पनियां कर रही हैं अपनी-अपनी दवाओं की ब्रांडिंग


आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का दावा कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर में आएगी

अजय कुमार,लखनऊ

कोरोना महामारी से निपटने एवं अपने आप को इससे बचाए रखने के लिए देश के नागरिक  हर संभव कोशिश कर रहे है,जिसकी जहां तक ‘पहुंच’ है वह उसका उतना फायदा उठा रहा है। काढ़ा, भंपारा, गरारा, योगासन से लेकर विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। इंग्लिश से लेकर होम्योपैथिक, आर्युवैदिक, हकीमी सब कुछ अपनाया जा रहे हैं। दादी माॅ के नुस्खें अपनाए जा रहे हैं। इसके लिए घरेलू इलाज बताने वालीं किताबें खंगाली जा रही हैं। यार-दोस्तों से सुझाव लिए जाते हैं। खासकर सुझाव लेने के लिए उन लोगों को ज्यादा तरजीह दी जाती है जो कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद निगेटिव हो चुके हैं। प्रिंट एवं इलेक्टानिक मीडिया के माध्यम से डाक्टर जो सुंझाव देते हैं उसे ‘देववाणी’ समझ कर उस पर अमल किया जाता  है। स्थिति यह है कि इस समय जिससे भी बात करिये वह ऐसे समझाता है जैसे किसी एक्सपर्ट से बात हो रही हो। दवा कम्पनियां भी मौके का खूब फायदा उठा रही हैं। इन्होंनेअपनी कई दवाओं को कोरोना से निपटने में कारगर बता कर बाजार में झोंक दिया है,जिसमें ग्राहक फंसने से बच नहीं पाता है। उधर, हालात यह है कि आम आदमी कोरोना महामारी की दो लहरो से जूझ ही रहा था कि कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक से लोग भयभीत होने लगे हैं। जिस तरह से यह आशंका जताई जा रही हे कि तीसरी लहर का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा पड़ेगा,उससे तमाम माॅ-बाप का सहम जाना स्वभाविक है।

साधारण खांसी जुकाम बुखार पेट दर्द के मरीज अपना इलाज कहां कराएं?

नान कोविड मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, उनके लिए भी अस्पताल निर्धारित करने की मांग, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

लखनऊ  : राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने मुख्यमंत्री जी के अधिकारिक ई मेल आईडी पर एक पत्र प्रेषित करते हुए नॉन कोविड मरीजों के इलाज की व्यवस्था के बारे में चिंता व्यक्त किया है। उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में अवगत कराया है कि राजधानी में स्थित सभी बड़े अस्पताल एसजीपीजीआई लखनऊ ,केजीएमयू लखनऊ, आर एम एल आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ बलरामपुर अस्पताल लखनऊ, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय लखनऊ, दीनबंधु चिकित्सालय लखनऊ  डेडीकेटेड कोविड अस्पताल के रूप में चिन्हित कर दिए गए हैं । इन अस्पतालों में कोविड पॉजिटिव वाले मरीजों की भर्ती हो रही है ।जो मरीज कोविड नेगेटिव है उनको डेडीकेटेड अस्पतालों में देखा नहीं जा रहा है।

डिजीटल ट्रांसफार्मेशन के लिए तैयार हों नए पत्रकार


- प्रो. संजय द्विवेदी

एक समय था जब माना जाता है कि पत्रकार पैदा होते हैं और पत्रकारिता पढ़ा कर सिखाई नहीं जा सकती। अब वक्त बदल गया है। जनसंचार का क्षेत्र आज शिक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। वर्ष 2020 को लोग चाहे कोरोना महामारी की वजह से याद करेंगे, लेकिन एक मीडिया शिक्षक होने के नाते मेरे लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष भारत में मीडिया शिक्षा के 100 वर्ष पूरे हुए थे। वर्ष 1920 में थियोसोफिकल सोसायटी के तत्वावधान में मद्रास राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में डॉक्टर एनी बेसेंट ने पत्रकारिता का पहला पाठ्यक्रम शुरू किया था। लगभग एक दशक बाद वर्ष 1938 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के पाठ्यक्रम को एक सर्टिफिकेट कोर्स के रूप में शुरू किया गया। इस क्रम में पंजाब विश्वविद्यालय, जो उस वक्त के लाहौर में हुआ करता था, पहला विश्वविद्यालय था, जिसने अपने यहां पत्रकारिता विभाग की स्थापना की। भारत में पत्रकारिता शिक्षा के संस्थापक  कहे जाने वाले प्रोफेसर पीपी सिंह ने वर्ष 1941 में इस विभाग की स्थापना की थी। अगर हम स्वतंत्र भारत की बात करें, तो सबसे पहले मद्रास विश्वविद्यालय ने वर्ष 1947 में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की स्थापना की।

खूनी चरित्र वाली भाजपा पश्चिम बंगाल में टीएमसी पर हिंसा का आरोप लगा रही है!


रोहित शर्मा विश्वकर्मा-

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में अब तक रिपोर्टों के मुताबिक 12 लोग मारे गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का आरोप है कि इन 12 लोगों में उसके 6 कार्यकर्ता शामिल हैं। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का आरोप है कि उसके भी 4 कार्यकर्ता मारे गए। बाकी मारे गए लोगों की स्पष्ट पहचान नहीं हो पाई है। इसी बीच पश्चिम बंगाल पुलिस ने प्रदेश में चुनाव के बाद हिंसा में भाजपा महिला कार्यकर्ता की बलात्कार की घटना को झूठा बताया है। प्रदेश में हिंसा की इन घटनाओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी है। स्पष्ट है राज्यपाल जगदीप धनकड़ वही रिपोर्ट देंगे जिसका आरोप भाजपा लगा रही है, जो सच्चाई से बिल्कुल परे होगी। इस बारे में बीबीसी की रिपोर्ट सच्चाई के करीब नजर आती है जिसमें कहा गया है कि चुनाव के नतीजे के बाद प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसा फैली हुई है व डर और भय का माहौल पाया जा रहा है। जो इस बात को संकेत करता है कि भाजपा के गुंडे हार की हताशा में उन लोगों पर हमला कर रहे हैं जिन्होंने टीएमसी को वोट देकर उसे अप्रत्याशित जीत दिलाई। वास्तव में भाजपा के गुंडों को यह लग रहा था कि मोदी-शाह की रैलियों और रोड शो में आने वाली भीड़ से प्रभावित होकर भाजपा को वोट देकर उसे पश्चिम बंगाल में सत्तासीन करेंगे। लेकिन इन गुंडों की भाषाओं और आक्षांशाओं के विपरीत चुनाव नतीजा आने के बाद भाजपा के गुंडे हताशा का शिकार होकर बौखला गए हैं और हिंसा पर उतारू हो गए हैं। जो भाजपा के चरित्र का प्रदर्शन करती हैं।

प्राकृतिक आक्सीजन को जहरीली कर कब तक जिंदा रहेंगे कृत्रिम आक्सीजन के सहारे?

CHARAN SINGH RAJPUT-

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक आक्सीजन सिलेंडरों का रोना रोया जा रहा है। अधिकतर मौतें आक्सीजन की कमी से होने की बातें सामने आ रही हैं। आक्सीजन भी कैसी कृत्रिम। क्या हमारे शरीर में इतनी प्राकृतिक आक्सीजन है कि हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रख सकते हैं। हम अपने संसाधनों के पीछे भागते-भागते आक्सीनज को जहरीला नहीं कर दिया है। क्या आज के जीवन स्तर में हम आक्सीजन से ज्यादा कार्डन डाई आक्साइड अपने अंदर लेने को मजबूर नहीं हो रहे हैं। क्या आज की तारीख में इन सब बातों पर मंथन करने की जरूरत नहीं है कि आखिरकार कोरोना जैसी महामारी और आक्सीजन की कमी से लोगों के संक्रमण होने और उनकी मौतों की नौबत आई कैसे ? क्या कृत्रिम आक्सीजन के सहारे हम जी सकते हैं ? क्या हमने खुद ही प्राकृतिक आक्सीजन को जहरीला नहीं किया है ? क्या आक्सीजन के स्रोत हम खुद ही खत्म नहीं कर रहे हैं ? आधुनिकता की दौड़ में दौड़ते-दौड़ते हमने शहरों को तो छोड़ दीजिए गांवों में भी आक्सीजन के स्रोत खत्म नहीं कर दिये हैं ? शहरों का प्रदूषण गांवों तक पहुंच गया है। यहां तक शुद्ध हवा देने वाले पर्वतीय क्षेत्रों तक (गंगोत्री) तक लोग प्रदूषण फैला दे रहे हैं। क्या कोरोना न होते हुए भी कितने लोग लोग कृत्रिम आक्सीजन लेने को मजबूर नहीं हैं ?

5.5.21

हॉस्पिटल में एडमिट के समय का एक डरावना किस्सा जिसे मैंने सकारात्मकता में बदला


Mohit Shukla-
    
 मैं कोरोना के समय नोएडा सेक्टर - 39 के कोविड हॉस्पिटल में एडमिट था, जिसमें मेरे रूम के ठीक सामने दीवार पर साफ - साफ लिखा था , कोरोना मरीज के शव को ले जाने का रास्ता, और जब कोई बॉडी जाती तो ऐसा लगता कि मानो हम सब कैदी की तरह बंद हैँ और आज फलां व्यक्ति को फांसी के लिए ले जा रहे हैँ , हर मरीज अंदर से सहमा हुआ , डरा हुआ और घबराया हुआ , कि ना जाने अब किसका नंबर आयेगा , सबकी हिम्मत जबाब दे रही थी , ये पहली मरतफ़ा था जब सब मौत को इतने पास से देख रहे थे , और ये मेरे तो एक दम सामने वाली दीवार पर ही लिखा था , और मैं सिंगल प्राइवेट रूम में एडमिट था , तो साथ में कोई दूसरा कोई नहीं.

IFWJ's former Secretary General Andhare Passes Away

Andhare will always be remembered by the newspaper employees of the country

New Delhi, 1 May. Indian Federation of Working Journalist has deeply mourned the death of its former Secretary-General, an accomplished journalist and trade unionist Manohar P Andhare. He passed away on 29th April at Secunderabad (Telangana). He was 94. He was living with his son, who is also a journalist with a Hyderabad based English daily He was the editor of Yugdharma daily of Nagpur.

जिनके पास स्मार्टफोन या कंप्यूटर नहीं है वो कैसे करेंगे कोरोना टीका के लिए अपना रजिस्ट्रेशन...

 
कॅरोना महामारी को लेकर एक तरफ जहां पूरे विश्व मे आपदा आ गई है। वही भारत सरकार इस आपदा में भी गरीबों के साथ मजकिया रवैया अपना रही है।बताते चले कि कोविड 19 को लेकर देश मे वैक्सीनेशन की कार्य एक एक लोगो तक सरकार द्वारा दिए जाने की बात कही जा रही है वही ग्रामीणों क्षेत्रों में यह वादे अभी भी पूणर्तः कमजोर दिख रही है।

इस महामारी में भी कुछ लोग हैवानियत की सारी हदें पार कर गए

 Ashok Chopra

करोना महामारी ने विश्व के अधिकांश लोगों के जीवन को बदल दिया है । लोग सहम गए हैं। बहुत से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। बहुतों के अपने बेवक्त काल की आगोश में चले गए। भारत सहित बहुत से देशों में बिमारी के विकराल रूप के आगे समुचा स्वास्थ्य तन्त्र बेबस, मजबूर व लाचार हो गया है।
 
अमेरिका जैसे विकसित देश में भी स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई । लोगों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा। संसाधनों की कमी हों गई। बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा है। कोई भी देश बेबस हो सकता है ये बात समझ आती है।

भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं दमोह में पराजय

कृष्णमोहन झा-


मध्यप्रदेश की  शिवराज सरकार को  राज्य विधानसभा के अंदर इतना बहुमत हासिल है कि एक विधान सभा सीट के उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशी की हार से उसकी प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आना चाहिए थी परंतु विगत दिनों संपन्न दमोह विधानसभा सीट के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी की करारी हार ने सत्तारूढ़ पार्टी ही नहीं बल्कि शिवराज सरकार को भी स्तब्ध कर दिया है। आश्चर्य जनक बात तो यह है कि मात्र एक सीट के उपचुनाव परिणाम ने सरकार और पार्टी को इस स्थिति में ला दिया है मानों उसके पैरों के नीचे की जमीन ही खिसक गई हो। दमोह के उपचुनाव में कांग्रेस की शानदार विजय से एक ओर जहां उसके नेता और कार्यकर्ता फुले नहीं समा रहे हैं वहीं दूसरी ओर  भाजपा सरकार और संगठन को मानों सांप ‌सूंघ गया है।