हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों, पिछले दो दिनों से ऐसी चर्चा बिहार
में जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति
पार्टी के बीच लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी गठबंधन हो गया है। सूत्रों के
अनुसार इस गठबंधन के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का ज्यादा
जोर है। पता नहीं सुशील कुमार मोदी को ऐसा क्यों लगता है कि भाजपा बिहार
में अकेली चुनावों में जा ही नहीं सकती है। यह वहीं मोदी हैं जिन्होंने
बिहार में कभी भाजपा का गठबंधन उस पार्टी से करवाया था जिसको 1995 के
चुनावों में मात्र 6 विधानसभा सीटें मिली थीं और वो भी बड़ा भाई बनाकर और
अपनी पार्टी से ज्यादा सीटें देकर जबकि 1995 में भाजपा के पास 30 विधानसभा
सीटें थीं। यह वही छोटे मोदी हैं जिनको अभी कुछ महीने पहले तक बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीएम पद के लिए योग्यतम व्यक्ति नजर आते थे।
मित्रों,छोटे मोदी ने एकबार फिर से भाजपा को बेमेल और आत्मघाती गठबंधन की आग में झोंकने की नापाक कोशिश की है। उपेंद्र कुशवाहा से गठबंधन किया कोई बात नहीं क्योंकि उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है लेकिन रामविलास पासवान से गठबंधन क्यों? ऊपर से छोटे मोदी रामविलास पासवान के खिलाफ सीबीआई जाँच के मामले में उनका खुलकर बचाव भी कर रहे हैं जबकि बोकारो स्टील कारखाने के प्रस्तावित बेतिया इकाई में बहाली में केंद्रीय मंत्री रहते उनके खिलाफ जमकर भ्रष्टाचार करने के सबूत सामने आ चुके हैं। ऊपर से रामविलास पासवान का बिहार में कोई खास वोट-बैंक भी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनावों में तो हाजीपुर में उनको उनकी अपनी जाति ने भी एकजुट होकर वोट नहीं दिया था ऐसे में यह तो निश्चित है कि इस गठबंधन से भाजपा को मतों की दृष्टि से कोई लाभ नहीं होने जा रहा है। गठबंधन से जो भी लाभ होगा वह एकतरफा होगा और लोजपा को होगा।
मित्रों,हम सभी जानते हैं रामविलास पासवान राज्य के ही नहीं देश के भी महानतम अवसरवादी नेता है। वे सत्ता से दूर रह ही नहीं सकते। उनको केंद्र में मंत्री बनकर मलाई काटने की पुरानी बीमारी है। भूतकाल में अगर हम झाँककर देखें तो 1998 में रामविलास ने भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे थे। बाद में जब उनको संचार मंत्रालय से हटा दिया गया तो उन्होंने गुजरात दंगों का बहाना बनाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 1999 में लोकसभा में विश्वास-प्रस्ताव पर मतदान के दौरान उन्होंने राजग को धोखा दिया जिससे वाजपेयी जी की सरकार एक मत से गिर गई थी। फिर आज तो गुजरात दंगों के समय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम उम्मीदवार हैं फिर रामविलास भाजपा के साथ कैसे गठबंधन कर सकते हैं और भाजपा भी ऐसे धोखेबाज के साथ कैसे गठबंधन बना सकती है? शायद रामविलास जी कांग्रेस पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने के लिए भाजपा से गठबंधन का झूठा स्वांग कर रहे हैं या फिर कांग्रेस पर उनके खिलाफ सीबीआई जाँच रोकने के लिए बीजेपी से गठबंधन का नाटक कर रहे हैं। अगर वे भाजपा से सचमुच में गठबंधन करना चाहते हैं तो इसका एक कारण तो मोदी लहर हो सकती है और दूसरा कारण चुनावों के बाद बननेवाली एनडीए सरकार के समय सीबीआई के शिकंजे में आने से खुद को बचाना। श्री पासवान से गठबंधन करते समय भाजपा को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि रामविलास मूलतः लालू-मुलायम-येचुरी-सोनिया-ममता-जया आदि की तरह मुस्लिमपरस्त नेता हैं और स्वार्थवश अभी वे भले ही एनडीए की बारात में डांस करने को तैयार हो जाएँ लेकिन कभी भी बारात से भाग सकते हैं और पिटवा भी सकते हैं। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,छोटे मोदी ने एकबार फिर से भाजपा को बेमेल और आत्मघाती गठबंधन की आग में झोंकने की नापाक कोशिश की है। उपेंद्र कुशवाहा से गठबंधन किया कोई बात नहीं क्योंकि उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है लेकिन रामविलास पासवान से गठबंधन क्यों? ऊपर से छोटे मोदी रामविलास पासवान के खिलाफ सीबीआई जाँच के मामले में उनका खुलकर बचाव भी कर रहे हैं जबकि बोकारो स्टील कारखाने के प्रस्तावित बेतिया इकाई में बहाली में केंद्रीय मंत्री रहते उनके खिलाफ जमकर भ्रष्टाचार करने के सबूत सामने आ चुके हैं। ऊपर से रामविलास पासवान का बिहार में कोई खास वोट-बैंक भी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनावों में तो हाजीपुर में उनको उनकी अपनी जाति ने भी एकजुट होकर वोट नहीं दिया था ऐसे में यह तो निश्चित है कि इस गठबंधन से भाजपा को मतों की दृष्टि से कोई लाभ नहीं होने जा रहा है। गठबंधन से जो भी लाभ होगा वह एकतरफा होगा और लोजपा को होगा।
मित्रों,हम सभी जानते हैं रामविलास पासवान राज्य के ही नहीं देश के भी महानतम अवसरवादी नेता है। वे सत्ता से दूर रह ही नहीं सकते। उनको केंद्र में मंत्री बनकर मलाई काटने की पुरानी बीमारी है। भूतकाल में अगर हम झाँककर देखें तो 1998 में रामविलास ने भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे थे। बाद में जब उनको संचार मंत्रालय से हटा दिया गया तो उन्होंने गुजरात दंगों का बहाना बनाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 1999 में लोकसभा में विश्वास-प्रस्ताव पर मतदान के दौरान उन्होंने राजग को धोखा दिया जिससे वाजपेयी जी की सरकार एक मत से गिर गई थी। फिर आज तो गुजरात दंगों के समय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम उम्मीदवार हैं फिर रामविलास भाजपा के साथ कैसे गठबंधन कर सकते हैं और भाजपा भी ऐसे धोखेबाज के साथ कैसे गठबंधन बना सकती है? शायद रामविलास जी कांग्रेस पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने के लिए भाजपा से गठबंधन का झूठा स्वांग कर रहे हैं या फिर कांग्रेस पर उनके खिलाफ सीबीआई जाँच रोकने के लिए बीजेपी से गठबंधन का नाटक कर रहे हैं। अगर वे भाजपा से सचमुच में गठबंधन करना चाहते हैं तो इसका एक कारण तो मोदी लहर हो सकती है और दूसरा कारण चुनावों के बाद बननेवाली एनडीए सरकार के समय सीबीआई के शिकंजे में आने से खुद को बचाना। श्री पासवान से गठबंधन करते समय भाजपा को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि रामविलास मूलतः लालू-मुलायम-येचुरी-सोनिया-ममता-जया आदि की तरह मुस्लिमपरस्त नेता हैं और स्वार्थवश अभी वे भले ही एनडीए की बारात में डांस करने को तैयार हो जाएँ लेकिन कभी भी बारात से भाग सकते हैं और पिटवा भी सकते हैं। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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