विवेक दत्त मथुरिया
पिछले दिनों शहीदे आजम भगत सिंह की जयंती थी। अफसोस और विडंबना इस बात की है कि परिवर्तन और प्रगति का आकांक्षी देश का युवा वर्ग अपने को भगत सिंह के राजनीतिक विचार और आदर्शो को आज तक समझ नहीं पाया। इंकलाब से जुड़े शहीद भगत सिंह के विचार विश्व दृष्टि के साथ मानवता की मुक्ति और श्रम की श्रेष्ठता की स्थापना से जुड़े हैं। आजादी के बाद गहरी राजनीतिक साजिश के तहत भगत सिंह और उनके विचारों से इस देश के युवाओं को दूर रखा गया। मानवता की मुक्ति से जुड़े भगत सिंह के राजनीतिक विचार सार्वभौमिक सच हैं।
मौजूदा सड़ी गली व्यवस्था का आदर्श राजनीतिक विकल्प भगत सिंह के राजनीतिक विचारों में निहित है। देश के युवाओं को चाहिए कि वे भगत सिंह के राजनीतिक और इंकलाब के विचार से अपने को जोड़ें । आज देश परोक्ष रूप से अमेरिकी साम्राज्यवाद के शिकंजे में बुरी तरह फंस चुका है। प्राकृतिक संसाधनों की लूट मची है। सरकारें अार्थिक उदारीकरण के नाम पर साम्राज्यवादी और बाजारवादी शक्तियों की दलाल बन गई हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे कल्याणकारी जिम्मेदारी से अपने को दूर कर लिया है और जनता को लूटने-पिटने के लिए बाजार के हवाले कर दिया है।
जाति और संप्रदाय की राजनीति शोषणकारी व्यवस्था का कवच बनी हुई है। फ्री इंटरनेट डाटा की गारंटी देकर लोगों दिमागी रूप से अपाहिज बनाने की लंबी साजिश है पर दो जून की रोटी के आटे की सरकार के पास कोई गारंटी नहीं है। शिक्षित बेरोजगारों की फौज अवसाद ग्रस्त है। पूंजीपतियों को सुरक्षा संरक्षण की गारंटी है। इंसाफ को पैसे वाले जेब में रखे घूम रहे हैं। तब ऐसे में मुक्ति का विकल्प भगत सिंह के राजनीति विचार ही व्यवहारिक रूप से श्रेष्ठ हैं। इस जिम्मेदारी को देश की वामपंथी पार्टियां ईमानदारी से निभा नहीं पाईं। मौजूदा सड़ी हुई व्यवस्था से मुक्ति का शहीदे आजम भगत सिंह से बड़ा महानायक कोई नहीं हो सकता।
2.10.16
मौजूदा सड़ी हुई व्यवस्था की मुक्ति का महानायक भगत सिंह और उसके राजनीतिक विचार
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