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21.5.23

तो क्या फर्जी के आगे झुक गए लखनऊ के असली पत्रकार !

sanjay srivastava-

मैं संजय श्रीवास्तव लखनऊ में 28 वर्ष से सक्रिय पत्रकारिता से जुड़ा हूं। हिंदुस्तान, स्वतंत्र भारत, कुबेर टाइम्स, राष्ट्रीय स्वरूप,  जनसत्ता एक्सप्रेस, श्री टाइम्स, कैनविज टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट इत्यादि में मैंने निष्पक्ष, निर्भीक और ज़मीनी पत्रकारिता की। लखनऊ के सभी वरिष्ठ साथी मेरी पत्रकारिता और आचरण से भली - भांति- परिचित हैं।


खबर या स्टोरी के सिद्धांत होते हैं, नियम, फार्मेट और शिल्प होता है। आम तौर से हम पत्रकारों में जिसे अकेले कोई शासनादेश, विभागीय पत्रावली, जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों की चिट्ठी हासिल हो जाती है तो हम स्पेशल स्टोरी लिखने में सफल हो जाते हैं क्योंकि, स्पेशल स्टोरी ही एक सच्चे पत्रकार की चाहत होती है।

इन दिनों खूब सुर्खियों में रहने वाले सांसद बृजभूषण सिंह ने मुख्यमंत्री जी को भेजे एक पत्र में एक कथित पत्रकार की जालसाजी, आपराधिक रिकार्ड और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया। धोखे से हुई उसकी मान्यता को सुरक्षा का खतरा बताया। उसके पत्रकारिता के अनुभव पर सवाल भी उठाए।  यह पत्र मुझे हासिल हो गया, इसलिए मेरे लिए स्पेशल स्टोरी थी। इस पत्र के आधार पर मैंने एक एक्सक्लूसिव ख़बर लिखी। इसके बाद ब्लैकमेलिंग और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मान्यता लेने का आरोपी मोहम्मद कामरान अपने बीज विक्रेता साथी अजय वर्मा  के साथ मिलकर मेरी मानहानि कर रहा है। बीज विक्रेता अजय वर्मा को भी राज्य मुख्यालय की मान्यता प्राप्त है।

मोहम्मद कामरान, अजय वर्मा और उसके और दो-तीन साथी मेरी तस्वीर और मेरी पत्नी की तस्वीर के साथ अभद्र, अश्लील और अमानवीय टिप्पणियां कर उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने लगे।

पहले तो फर्जी अखबारों और फर्जी पोर्टल के जरिए ये झूठ लिखा गया कि सांसद बृजभूषण ने मोहम्मद कामरान के खिलाफ कोई शिकायती पत्र नहीं लिखा। फिर अशिष्ट और अमर्यादित भाषा-शैली में ये लिखा गया कि मोहम्मद कामरान के खिलाफ नहीं संजय श्रीवास्तव के खिलाफ सांसद महोदय ने शिकायती पत्र लिखा है।

इसके बाद कामरान ने पत्रकारों के वाट्सएप ग्रुप्स में कुबूला कि सांसद बृजभूषण ने मेरे खिलाफ शिकायती पत्र लिखा है लेकिन मेरा कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता। बड़े और प्रतिष्ठित अखबारों में मैंने तीस वर्ष तक पत्रकारिता की है। लेकिन कामरान एक भी ऐसे प्रतिष्ठित अखबार का नाम नहीं बता पा रहे जहां उन्होंने काम किया था।

कामरान फर्जी है या असली पत्रकार हैं। सरकार ने उसे स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता सही दी है या ग़लत, व्यक्तिगत तौर से मेरा इससे कोई लेना देना नहीं। ये चिंता मेरी नहीं यूपी सरकार के सूचना विभाग की है।

मैने केवल सांसद महोदय के शिकायती पत्र पर आधारित एक्सक्लूसिव खबर लिखी थी। जिसके नतीजे में मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से गालियां दी जा रही हैं।

लखनऊ के खाटी पत्रकार को एक संदिग्ध गालियां दे रहा है और लखनऊ के वास्तविक पत्रकार खामोश हैं ये चिंता का समय है?

लगता है कि फर्जी पत्रकारों की भीड़ और उनके बढ़ते हुए मनोबल के आगे वास्तविक पत्रकार नतमस्तक हो जाएं, तो ये संकेत अच्छे नहीं।

आज भी लखनऊ के तमाम खाटी पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता नहीं मिल सकी है। स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता तो बड़े-बड़े पत्रकारों को मुश्किल से हासिल होती है। लखनऊ के स्वतंत्र पत्रकार मोहम्मद कामरान ने लखनऊ के कितने ऐसे प्रतिष्ठित अखबारों में काम किया जिसे लोग जानते हों ! जो अखबार सेंटर पर या कहीं, कभी भी नजर आया हो। कामरान के अनुभव वाला कोई एक भी अखबार का नाम पता हो तो जरूर बताइएगा!

संजय श्रीवास्तव

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