मित्रों,हमने ऐसी कभी सपने में भी नहीं सोंचा था कि देश में कभी ऐसी पार्टी की सरकार भी आएगी जो उसे वोट देने और नहीं देनेवाले राज्यों के बीच इस कदर भेदभाव रखेगी। लेकिन वो कहते हैं न कि तेरे मन कछु और है कर्ता के कछु और। कभी-कभी आपका सोंचा हुआ नहीं भी होता है। इटली की बेटी और इंडिया की मदर सोनिया गांधी ने एक झटके में यह घोषणा करके कि कांग्रेस शासित राज्यों में रहनेवालों को साल में सिर्फ 9 सिलेंडर और नहीं रहनेवालों को सिर्फ 6 सिलेंडर दिए जाएंगे हमें दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया। क्या हम गैर कांग्रेसी सरकार वाले राज्य के लोग कम खाते हैं या आगे से कम खाएंगे? क्या उनको भारत के संविधान ने समानता का अधिकार नहीं दिया है? क्या गैर कांग्रेसी सरकारों वाले राज्यों में गरीब नहीं रहते सिर्फ अमीर ही रहते हैं? क्या इन राज्यों में महंगाई का असर नहीं पड़ रहा है? या वे आदमी नहीं जानवर हैं जो किसी तरह भी जी लेंगे?
मित्रों,कल को कोई विधायक या एमपी क्या यह देखकर अपने क्षेत्र के लोगों की मदद करेगा कि उन्होंने उसे वोट दिया था कि नहीं? अगर वह सचमुच ऐसा करता भी है तो क्या वह लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों के प्रतिकूल नहीं होगा? लोकतंत्र का तो मतलब ही होता है अपने से अलग राय रखनेवालों की राय का भी सम्मान करना। तो क्या सोनिया जी को लोकतंत्र का मौलिक ज्ञान भी नहीं है? परन्तु ऐसा कैसे संभव है वह तो विदेश में ही जन्मी और पढ़ी है? या वे उन राज्यों के निवासियों को दंडित करना चाहती हैं जिन्होंने उनकी महाभ्रष्ट पार्टी को पहली बार में समझ लिया और वोट नहीं दिया। पूरे देश की जनता पहले से ही बेतहाशा महंगाई से परेशान है। आज जीना काफी कठिन और मरना काफी आसान हो गया है। जनसाधारण की थाली से बारी-बारी से दाल-दूध-सब्जी गायब हो चुकी है और अब उसके रसोईघर से गैस-सिलेंडर को भी गायब किया जा रहा है? सरकार कहती है कि 2 महीने में 1 सिलेंडर खर्च करो। कैसे हो सकेगा ऐसा? ऐसा हो पाना तो तभी संभव है जब हम महीने में 15 दिन तक उपवास रखें या फिर एक महीना बीच करके चांद्रयण व्रत रखें। भैया अपनी तो आप जानिए हमसे तो व्रत-उपवास कभी हुआ नहीं। कभी जन्माष्टमी के दिन उपवास रखा भी तो दोपहर होते-होते जान निकलने लगी और भोजन कर लिया। हाँ,इतना जरूर हो सकता है कि हम अपने बजट का पुनर्निधारण करें और खाद्य-सामग्री की मात्रा कम और भी कम कर दें जिससे सिलेंडर पर होनेवाले अतिरिक्त खर्च की यथासंभव भरपाई हो सके। गुणवत्ता से समझौता करने की हमें तो आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि वह तो हम पहले ही कर चुके हैं।
मित्रों,हालाँकि हमें इस कारण से उन लोगों से थोड़ा ज्यादा कष्ट दिया जा रहा है जो कांग्रेसशासित राज्यों के निवासी हैं परन्तु हमें इस बात के लिए कोई खेद बिल्कुल भी नहीं है कि हमने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं दिया था। बल्कि हमें खुद पर और पूरे बिहार की जनता पर गर्व है कि हम उन राज्यों में से एक हैं जहाँ के निवासियों ने सबसे पहले कांग्रेस के देशबेचवा (देश को बेचनेवाला) और देशखौका (देश को खानेवाला) चरित्र को समझ लिया था। हम यह गारंटी भी अभी से देते हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार से एक भी सीट नहीं मिलनेवाली है। लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार को अभी से ही दूसरे किसी राज्य में ठिकाना ढूंढ़ लेना चाहिए। साथ ही मैं अन्य राज्यों के लोगों से भी निवेदन करता हूँ कि अभी से ही कांग्रेस को हमेशा के लिए उखाड़ फेंकने का मन बना लीजिए नहीं तो एक बार और अगर यह डकैत पार्टी सत्ता में आ गई तो हमारे साथ-साथ आप भी सिलेंडर तो क्या थाली तक खरीदने के लायक भी नहीं रह जाएंगे।
No comments:
Post a Comment