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12.10.12

रामदेव पर सरकार का ब्रह्मास्त्र



योगगुरु बाबा रामदेव के गुरु शंकरदेव के रहस्यमंय ढंग से लापता होने की गुत्थी अब सीबीआई सुलझाएगी...वही सीबीआई जिस पर बाबा रामदेव आरोप लगाते हैं कि ये केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी ताकत है...और इसका इस्तेमाल सरकार अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने में करती है...अगर बाबा की बात में दम है तो इसका मतलब सीबीआई के सहारे अब सरकार ने क्या रामदेव की घेराबंदी शुरू कर दी है। वैसे बाबा इस बात को चाह कर भी नहीं कह सकते...क्योंकि ये उनके गुरु शंकरदेव का जो मामला है...और उन पर हरिद्वार के ही कई संतों के साथ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी अपने गुरु को गायब करवाकर उनकी हत्या करने तक का आरोप मढ़ा है। ऐसे में बाबा कैसे सीबीआई जांच के सरकार के फैसले के खिलाफ बोल सकते हैं। अगर संतों के और दिग्विजय सिंह के आरोप झूठे हैं और बाबा रामदेव पाक साफ हैं तो बाबा तो निश्चय ही सरकार के इस फैसले का स्वागत करंगे। लेकिन क्या सच्चाई यही है...या कुछ और…? बाबा रामदेव के गुरु की शंकरदेव की अगर बात करें तो शंकरदेव 14 जुलाई 2007 को हरिद्वार के कृपालुबाग आश्रम कनखल से रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे...जिस पर 16 जुलाई को रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने कनखल थाने में रिपोट दर्ज कराई थी। 10 अप्रेल 2012 को पुलिस ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाकर फाइल को बंद कर दिया था। इस दौरान बाबा रामदेव ने कभी भी अपने गुरु शंकरदेव को तलाश करने के लिए पुलिस पर न तो दबाव बनाया और न ही कोई प्रयास कि...जो निश्चित तौर पर चौंकाने वाली बात है...और इस दौरान रामदेव पर अपने गुरु को गायब करवाने के भी आरोप लगे। अपने गुरु के प्रति रामदेव के उदासीन रवैये को देखकर रामदेव सवालों के घेरे में तो आते ही हैं...और शायद रामदेव के केन्द्र सरकार पर लगातार हमले से बौखलाई केन्द्र सरकार ने राज्य की कांग्रेस सरकार के कंधे पर बंदूक रखकर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है...जो रामदेव को घेरने की सरकार की रणनीति का ही एक हिस्सा दिखाई देता है। इससे पहले भी सरकार विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से रामदेव को नोटिस पर नोटिस भेज कर बाबा का जीना हराम कर ही चुकी है...और अब शंकरदेव के लापता होने के मामले की जांच सीबीआई को रामदेव के पीछे छोड़कर सरकार ने अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया है। सरकार का रामदेव के खिलाफ ये दांव कितना सफल होगा...ये तो वक्त ही बताएगा...लेकिन ऐसा भी लगता है कि सरकार ने अपने ब्रह्मास्त्र को छोड़ने में कुछ ज्यादा ही जल्दी कर दी और वो भी ऐसे समय में जब रामदेव अपने आंदोलनों के जरिए केन्द्र सरकार की नाक में दम किए बैठे हैं...ऐसे वक्त पर सरकार के इस फैसले से तो यही संदेश सबके बीच जाएगा कि बौखलाई सरकार ने रामदेव को जबरन घेरने के लिए ही ये कदम उठाया है...यानि कि रामदेव को इसका नुकसान होने की बजाए फायदा ही पहुंचता दिखाई दे रहा है। क्योंकि ऐसे में रामदेव के समर्थकों को विश्वास उनके प्रति कम नहीं होगा बल्कि और भी बढ़ेगा...जो रामदेव की ताकत को और बढ़ाएगा। बहरहाल रामदेव के एक के बाद एक सरकार पर वार के बाद सरकार ने रामदेव के खिलाफ राज्य की कांग्रेस सरकार के जरिए ब्रह्मास्त्र तो फेंका है...लेकिन देखना ये होगा कि आर पार की इस लड़ाई में जीत किसकी होती है...रामदेव की या फिर सरकार की।
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