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30.10.12


शिवराज ने नरेश को मविप्रा का अध्यक्ष महाकौशल के विकास के लिये बनाया था या उनके राजनैतिक व्यक्तित्व के विकास के लिये?
राजनेता कोई संत या सन्यासी नहीं होता जिससे कि त्याग और बलिदान की उम्मीद की जाये। कोई ऐसा राजनीतिज्ञ जिसका सब कुछ छीन कर किसी दूसरे की झोली में डाल दिया गया हो वो तो और अधिक प्रतिशोध की आग में झुलसा हुआ रहता हैं। और ऐसे में उसे फिर से कोई अवसर देने वाला अवसर दे दे तो फिर कहना ही क्या है? ऐसा ही कुछ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को मविप्रा का लालबत्तीधारी अध्यक्ष बनाकर किया है। सियासी हल्कों में यह चर्चा है कि आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष महाकौशल के विकास के लिये बनाया था या उनके राजनैतिक व्यक्तित्व के विकास के लिये? बीस साल से जिस केवलारी विस क्षेत्र का वे प्रतिनिधित्व कर रहें हैं वहां खुद कितना विकास हुआ है? इसका खुलासा हाल ही में हुआ हैं। वैसे तो हर साल हर विस द्वोत्र में हाई रूकूल और हायर सेकेन्डरी स्कूल खुलते हैं। लेकिन इस साल केवलारी विस द्वोत्र में उगली के पास रुमाल गांव में खुले हायर सेकेन्डरी स्कूल ने राजनैतिक भूचाल ला दिया है। इस घोषणा के बाद से ही उगली में क्षेत्रीय विधायक और विस उपध्यक्ष हरवंश सिंह का विरोध चालू हो गया।इन दिनों जिले में भाजपा के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल जारी हैं। हालांकि आलकमान के निर्देशानुसार भाजपा में चुनाव की जगह आम सहमति से चयन होने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। मंड़लों के चुनावों में तो कोई खास उलट फेर होने की संभावना नहीं हैं।
विकास किसका महाकौशल का या खुद का? -राजनेता कोई संत या सन्यासी नहीं होता जिससे कि त्याग और बलिदान की उम्मीद की जाये। कोई ऐसा राजनीतिज्ञ जिसका सब कुछ छीन कर किसी दूसरे की झोली में डाल दिया गया हो वो तो और अधिक प्रतिशोध की आग में झुलसा हुआ रहता हैं। और ऐसे में उसे फिर से कोई अवसर देने वाला अवसर दे दे तो फिर कहना ही क्या है? ऐसा ही कुछ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को मविप्रा का लालबत्तीधारी अध्यक्ष बनाकर किया है। उल्लेखनीय है कि दो बार के विधायक रहते हुये भी भाजपा ने नरेश दिवाकर की कई आरोपों के चलते टिकिट काट कर तत्कालीन सांसद नीता पटेरिया को दे दी थी। वे भारी मतों से चुनाव जीत भी गयीं थीं। प्रदेश में चार सांसदों को चुनाव लड़ाया गया था जिनमें से तीन को दो चरणों में कबीना मंत्री बना दिया गया। लेकिन ना जाने क्यों शिवराज सिंह ने नीता पटेरिया को मंत्री नहीं बनाया हालांकि उन्हें प्रदेश महिला मोर्चे का अध्यक्ष जरूर बना दिया गया। इसके बाद जब लाल बत्तियां बंटनी शुरू हुयी तो शिवराज ने पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया। यहां यह उल्लेखनीय है कि विकास के लिहाज से प्रदेश के पिछड़े हुये क्षेत्रों के विकास को गति प्रदान करने के लिये प्राधिकरण बनाये गये हैं। इस लिहाज से देखा जाये तो नरेश जी के अध्यक्ष बनने के बाद से महाकौशल के विकास को गति पकड़ना चाहिये था लेकिन ऐसा कुछ तो दिखायी नहीं दिया वरन उनके राजनैतिक व्यक्तित्व में विकास जरूर दिखायी दे रहा हैं। जिले को भी कोई विशेष उपलब्धि नहीं हुयी हैं। हां कहने को उन दो सड़कों के लिये राशि मंजूर करने की जरूर घोषणा हुयी है। ये सड़के है सर्किट हाउस से एस.पी. बंगले तक तथा सिंघानिया के मकान से मठ स्कूल जिसे जुलूस मार्ग कहा जाता है। ये दोनों सड़कें ही उनके विधायक रहते हुये दुगनी लागत में उनके समर्थक भाजपा ठेकेदारों ने घटिया बनायीं थी। इनमें से एक पहली सड़क तो बन गयी है लेकिन जुलूस मार्ग अभी भी नहीं बनी है जबकि दशहरा का जुलूस तो इस साल का भी निकल गया है। सियासी हल्कों में यह चर्चा है कि आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष महाकौशल के विकास के लिये बनाया था या उनके राजनैतिक व्यक्तित्व के विकास के लिये?
विकास की गंगा कहां गुम हो गयी उगली में?-जिले में विकास की गंगा बहाने वाले भागीरथ,इंका महाबली,प्रदेश के कद्दावर नेता,दादा ठाकुर और विकास पुरुष जैसे ना जाने कितने नामों से जिले के इकलौते इंका विधायक और विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह को पुकारा जाता हैं। लेकिन बीस साल से जिस केवलारी विस क्षेत्र का वे प्रतिनिधित्व कर रहें हैं वहां खुद कितना विकास हुआ है? इसका खुलासा हाल ही में हुआ हैं। वैसे तो हर साल हर विस द्वोत्र में हाई रूकूल और हायर सेकेन्डरी स्कूल खुलते हैं। लेकिन इस साल केवलारी विस द्वोत्र में उगली के पास रुमाल गांव में खुले हायर सेकेन्डरी स्कूल ने राजनैतिक भूचाल ला दिया है। इस घोषणा के बाद से ही उगली में द्वोत्रीय विधायक और विस उपध्यक्ष हरवंश सिंह का विरोध चालू हो गया। वहां गांव के लोगों और इंका नेताओं का भी यह कहना है कि हरवंश सिंह के पहले चुनाव जीतने के बाद से ही उगली में हायर सेकेन्डरी स्कूल खोलने की मांग की जा रही थी। यह मांग अभी तक पूरी नहीं हो पायी है जबकि उससे छोटे गांव रुमाल में हायर सेकेन्डरी स्कूल खुल गया। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सितम्बर माह में ही शिक्षक दिवस के मौके पर क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह ने रुमाल गांव में ही शिक्षकों के सम्मान का आयोजन किया था। इस घोषणा से उगली गांव में आक्रोश पैदा हो गया और विधायक के आगमन पर पुतला जलाने की घोषणा कर दी गयी। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हरवंश सिंह कांग्रेस के दिग्विजय मंत्री मंड़ल में दस साल तक एक ताकतवर मंत्री के रूप में रहें हैं। वर्तमान में भाजपा के राज में भी वे लाल बत्तीधारी विस उपाध्यक्ष के पद पर विराजमान हैं। इन सब कारणों से जो विरोध उपजा उसे येन केन प्रकारेण हरवंश सिंह ने फिलहाल तो शांत कर लिया और उनका पुतला बनने के बाद भी जल नहीं पाया। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि पिछले चुनाव में उनका मुकाबला करने वाले भाजपा प्रत्याशी डॉ. ढ़ासिंह बिसेन भी इन दिनों प्रदेश वित्त आयोग के अध्यक्ष बन कर लाल बत्ती पर सवार कबीना मंत्री के दर्जे के साथ केवलारी क्षेत्र में ही घूम रहें हैं। लेकिन 2013 में होने वाले विस चुनाव के पहले उपजे इस विरोध ने इंका विधायक हरवंश सिंह को चौकन्ना कर दिया हैं और अब वे डेमेज कंट्रोल करने के उपाय तलाशने में जुट गयें हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि इस विरोध की खबर सुनकर हरवंश ने अपने दो सिपहसालारों को भी खूब खरी खोटी सुनायी है जबकि इसमें उनका कोई दोष भी नही था। अब चुनाव तक वे इस विरोध को कैसे और कितना शांत कर पायेंगें? यह तो अभी भविष्य की गर्त में ही हैं। 
जिला भाजपा अध्यक्ष को लेकर अटकलें हुयी तेज-इन दिनों जिले में भाजपा के चुनावों को लेकर राजनैतिक हलचल जारी हैं। हालांकि आलकमान के निर्देशानुसार भाजपा में चुनाव की जगह आम सहमति से चयन होने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। मंड़लों के चुनावों में तो कोई खास उलट फेर होने की संभावना नहीं हैं। अधिकांश मंड़लों में अध्यक्ष पद पर पुराने चेहरों के बने रहने की ही संभावना हैं। जिला अध्यक्ष पद को लेकर सर्वाधिक चर्चे हो रहे हैं। जिले में भाजपा के तीन नेताओं के इर्द गिर्द ही यह चयन प्रक्रिया घूम रही हैं। इनमें डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन,नीता पटेरिया और नरेश दिवाकर शामिल हैं। वैसे तो अध्यक्ष पद के लिये आधा दर्जन से ज्यादा नाम शामिल हैं जिनमें वर्तमान अध्यक्ष सुजीत जैन के अलाव पूर्व अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर एवं सुदर्शन बाझल,सुदामा गुप्ता, भुवनलाल अवधिया,प्रेम तिवारी,अशोक टेकाम आदि शामिल हैं। नरेश दिवाकर के मामले में कहा जा रहा है कि वे अपनी तरफ से सुजीत को अध्यक्ष बनाने की कोशिश तो नहीं करेंगें लेकिन यदि आम सहमति बनती दिखी तो वे विरोध भी शायद ना करें। वैसे उनकी ओर से सुदर्शन बाझल का नाम आगे किया जा सकता हैं। यदि आदिवासी अध्यक्ष बनाने की बात हुयी तो वे अशोक टेकाम के नाम को आगे कर सकते हैं। डॉ. बिसेन खुले तौर पर कुछ बोल नहीं रहें हैं लेकिन सुजीत से उन्हें भी कोई  तकलीफ नहीं हैं। प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष एवं विधायक नीता पटेरिया ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। जिले के दोनों आदिवासी विधायक शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले की विशेष रुचि अपने क्षेत्रों के मंड़ल अध्यक्षों तक ज्यादा केन्द्रित हैं। इस सबके बावजूद भी यह माना जा रहा हैं प्रदेश स्तर पर जिसके नाम पर आम सहमति बन जायेगी उसके सर पर ही ताज पहनाया जायेगा।”मुसाफिर”  

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