कितनी आसानी से सबको टोपी पहना देता है
जालिम दिल्ली वाला दिल सबको बहला देता है
जेब से लेकर चूल्हे तक सब पर पहरेदारी है
जली रोटियां खाने बैठो, वह भी मंगवा लेता है
एक पहेली आज तलक समझ न पाया हिन्दोस्तां
सत्ता में आते ही नेता झोली भरवा लेता है
चिकना चाबुक पीठ के पीछे, और लबों पर मीठे बोल
भारत मां को गैर की खातिर गिरवी रखवा देता है
-कुंवर प्रीतम
7-10-2012

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