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27.5.08

अबे चिल्लर ...निजी पत्र व्यवहार को बिना इजाजत ब्लॉग पर प्रकाशित करना किस पत्रकारिता का सिद्धांत है....

लोकतंत्र और विचारों के बारे में बात करने का दावा करने वाले इस काले आदमी की काली करतूतों का सच देखिये...

अगर इसकी कही, सुनी एक भी बात का आपने विरोध किया या इसके मित्र मंडली में से किसी पर कोई उंगली उठायी तोः येः बाकायदा आपको कुंठित और ना जाने किन किन नामों से सम्बोदित करेगा...

यकीन न हो तोः इसके ख़िलाफ़ कुछ कहकर देखिये तो।

सही...अब येः भी तय करने का वक्त आ गया है...की इस नीच आदमी ब्लोग्गिंग को दूर किया जाए..

संसदीय बने रहकर सारे असंसदीय काम करने वाला ये इंसान ब्लोग्गिंग में आगे भी इसी तरह के कुचक्रों को अंजाम देता रहेगा...इसलिए इसका खेल हमें ख़त्म करना ही होगा...

इस आदमी में मेरी आस्था इंसान होने के नाते कुछ देर पहले तक भी थी..लेकिन इसकी कमीनगी से पहली बार पाला पड़ा...जब इसने बड़े सलीके से मक्कारों के ठिकाने पर ख़ुद को मसीहा और मुझ को दुर्जन साबित करने की कोशिश की....

क्या ये मक्कार आदमी किसी को पत्रकारिता और इंसानियत के बारे में कहने के लायक है...जो सिर्फ़ इसे नाते किसी से सम्बन्ध तोड़ लेता हो जो इसके अनुसार ग़लत आदमी है...

जिस आदमी का अपना इतिहास दागदार और निजी जिंदगी बदबूदार और कमिनागी से भरी हो वह आदमी किसी को पत्रकारिता सिखायेगा...

मैने भी कई बार देखे हैं ऐसे रीड विहीन लोग जो इसे नीच, कुंठित, कमीने और काले इंसान से रिरियाते रहते हैं...सर मेरी पोस्ट प्रकाशित कर दीजिये...सर मेरी ब्लॉग का लिंक अपने घटिया जगह पर लगा दीजिये...

जो लोग अपनी लिंक जुड़ाने के लिए किसी से इस कदर रिरियाते हैं....उनसे कोई समझदार आदमी क्या उम्मीद रखेगा....

यशवंत की सरलता की वजह से भड़ास पर लिखता हूँ..इसके लिए किसी से रिरियाना नही पड़ता..जो कि मुझ जैसे लोग कर भी नही सकते...

हाल में बात बात में यशवंत जी से अपने ब्लॉग के बारे में बात होने लगी...उन्होने मुझसे तुरंत अपनी लिंक भेजने का आग्रह किया....

एक तरफ़ आग्रह एक तरफ़ अहम्....

जाहिर है हर कोई आग्रह को ही चुनेगा....

कालिया ने मुझे विवाद में घसीटा ही है तो मैने भी उसका जवाब देना सही समझा ..

मजेदार बात देखिये...मुझे बेहतर पत्रकार और इंसान बनने की सीख वह इंसान दे रहा है जिसे इंसानियत और पत्रकारिता का मतलब ख़ुद नही पता...

अबे चिल्लर ...निजी पत्र व्यवहार को बिना मेरी इजाजत के अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर देना किस पत्रकारिता का सिद्धांत है....

सहानुभूति लेने के लिए सिर्फ़ वही पोस्ट दर्शाना जो ख़ुद के लिए लोगों की सहानुभूति बटोरें...किस पत्रकारिता का सिद्धांत है....

हर जगह गालिया खाना, ख़ुद के साथ अपने परिवार को भी अपनी महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ाना...

ऐसे आदमी से क्या कोई इंसानियत का सबक सीखना चाहेगा....

अपने ताजा कारनामे से इसकी हिटलरशाही और कमीनगी का एक और नमूना इस इंसान ने हमारे सामने पेश किया है...

सिर्फ़ मैं भड़ास पर लिखता हूँ....इसलिए मैं यशवंत का कार्यकर्ता हुआ...क्या ये इस आदमी के दिमाग के दिवालियेपन का नमूना नही है...

इतना तंगदिल और अलोकतांत्रिक सोच रखने वाला आदमी ब्लॉग को कुछ बेहतर देगा ये, इस पर बाबा लोगों को सोचना होगा...

इमानदारी से एक निवेदन सबसे की ये इंसान भयंकर रूप से मानसिक बीमारी की चपेट में है...वैसे तो ये अस्पताल जायेगा नहीं लेकिन इसे पकड़कर किसी अच्छे मनोचिकित्सक को जरूर दिखाना चाहिए...वरना हम सब यूँ ही घटिया विवादों में उलझकर ब्लोगिंग का बंटाधार करने में इसे नीच का साथ देंगे...

आगे इसे घटिया आदमी के साथ हुए पत्र व्यवहार का पुरा विवरण है....जिस आधार पर गुनी जन ब्लोग्स को इसे नीच से बचाने के बारे में सोचें....

ना चाहते हुए भी काले और कमीने इंसान द्वारा बेवजह मुझे फंसाने के चलते ये पोस्ट लिखना पड़ा...उसके लिए मैं ब्लॉग जगत का गुनाहगार रहूंगा....सजा वक्त तय करेगा....

आपका
हृदयेंद्र

fuhaar.blogspot.com

3 comments:

Anonymous said...

thats great brother bilkual sahi kaha ki bina kisi ki ijajat ke aap kisi ke personal mail ko publish kaise kar sakte hai well good job brother aur inke chamcho ki chinta mat karo ye saale sab pattechati kar ke hi apna aap ko mahan samjhte hai shayad yahi sab kar ke inko patrkarita jagat se koi award mil jayega mujhe to lagta hai inke 4-5 log aise hai jo inko har tarah se support karte hai chahe ye galat ho ya sahi but ab log in sabki aukat samajh gaye hai ki ye kis khet ki mooli hai saale sab apne aap ko pradhanmantri ki aulad samjhte hai jo man aata hai kah dete hai are aise logo se baat kar ke ya jawab dekar apna hi apmaan ho raha hai agar aapne blog ko chor diya hai to i appriciate u brother.

Anonymous said...

thats great brother bilkual sahi kaha ki bina kisi ki ijajat ke aap kisi ke personal mail ko publish kaise kar sakte hai well good job brother aur inke chamcho ki chinta mat karo ye saale sab pattechati kar ke hi apna aap ko mahan samjhte hai shayad yahi sab kar ke inko patrkarita jagat se koi award mil jayega mujhe to lagta hai inke 4-5 log aise hai jo inko har tarah se support karte hai chahe ye galat ho ya sahi but ab log in sabki aukat samajh gaye hai ki ye kis khet ki mooli hai saale sab apne aap ko pradhanmantri ki aulad samjhte hai jo man aata hai kah dete hai are aise logo se baat kar ke ya jawab dekar apna hi apmaan ho raha hai agar aapne blog ko chor diya hai to i appriciate u brother.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

हृदयेंद्र भाई,आप लोग कलुआ को बहुत ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं दरअसल वो दिमागी मरीज है और उसे मेरे इलाज की सख्त जरूरत है,पत्रकारिता और इंसानियत तो वैसे भी आजकल दुर्लभ चीजें मानी जाती हैं और आप कलुआ से इन गुणों की उम्मीद करें तो निराशा तो होगी ही लेकिन आपने निराश किया जरा जम कर गरिआया होता तो आपका दिल हल्का हो जाता,थोड़ी मादर-फ़ादर कर लीजिये अगर मन न भरा हो तो.....