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27.5.08

कौन बचायेगा इसकी मोहल्लाछाप हरकतों से ब्लोग्गिंग को..

बड़े मजे और दिलचस्पी के साथ ब्लोग्गिंग का शौक शुरू हुआ था...पूरे मजे के साथ इसमे जुटा भी हुआ था....लेकिन कहावत है की बुरे आदमी की हवा भी लगने का अंजाम बुरा ही होता है...वही हुआ....अपने बेहद प्रिय बिजेन के कहने पर कालिया से बात हुयी...मकसद इतना ही की...कुछ नया जानने समझने का मौका मिलेगा...खैर बात आई गई ...इधर भड़ास पर लिखना भी जारी रहा....चूँकि कभी जोड़ घटाव जीवन में किया नही..तोः इसके बारे में बहुत बारीकी से पता भी नही है...इधर मेरा भड़ास पर लिखना चालू..उधर काले भेडिये का मुझ पर आँख तरेरना शुरू....यूँही कई बार ऑनलाइन होने पर कैसे है, क्या हाल है...जैसे संवाद हो जाते थे..लेकिन भड़ास पर लिखना शुरू होते ही कालिया ने बात करना बंद कर दिया...
इधर कालिया के ताजा कुचक्र में भी..मन में कई सवाल होने के बावजूद chup रहना ही बेहतर समझा...इस विवाद में कूदने का मन भी नही था...लेकिन जब उसकी पत्नी को इस विवाद में घसीटा गया....ब्लॉग को व्यक्तिगत आक्षेपों से दूर रखने के लिए ही निवेदन करने की गरज से (वैसे येः अपराध मैं भी कर चुका हूँ, आवेश में या नया होने के चलते.. इसके लिए घर के समझदार लोग जो सजा दें वह भी सहर्ष स्वीकार है) आज कालिया को मेल किया सिर्फ़ इतना निवेदन करने के लिए की इसे व्यक्तिगत रंजिशों से दूर रखा जाए...कालिया ने बची-कुची सहानुभूति बटोरने के लिए इसेबाजारू मोहल्ले में भी बड़े शान से चस्पा भी किया है इस भेडिये ने...अभी एक साथी से बात हो रही थी..जो की इन ब्लोग्स के पाठक हैं....बड़े दुखी मन से उन सज्जन ने कहा हृदयेंद्र ये सब सही नही हो रहा है...बस मुझे भी यही लगता था की येः सही नही है, ब्लोग्गिंग की दुनिया में..अब एक दूसरे के कपड़े उतारना ही बाकी रह गया है...मैं हमेशा कहता हूँ की अपने छुटपन का एहसास है मुझे..वरिस्ट होने के नाते बेहद विनम्रता से मैंने अपनी बातें भी कही....लेकिन बिना कुछ कहे सुने...कालिया ने यशवंत को मेरा नेता करार दे दिया...और उनका समर्थक...इस aadmi ki soch dekhiye...apni kuntha key chaltey ek blogger ko karyakarta karaar de diya...bhaiyya bhadas ney kab raajneetik party ki sadasyata grahan kar lee mujhey to pata hi nahi chala...uspar kaminagi yeah ki apni sirf pahli post is neech aadmi ne prakashit ki..aur beech ki kai post ka koi jikra hi nahi kiya....mere lagataar vinamra bane rahne aur shrafat ka parichay dene ke baad bhi is neech ne apni hitlarsaahi aur ahamkaar ki galatfahmi mein apmaanit karne ki koshish jaari rakhi...jiska jawaab miltey hi ye bhediya tilmilaaya utha...
contd....
hridayendra

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

हृदयेंद्र भाई,आप लोगों ने क्या zoology बिलकुल नहीं पढ़ा क्या यार? ये भेड़िया नहीं सुअर है वो भी एक दुर्लभ प्रजाति का जिसकी चमड़ी गैंड़े से भी ज्यादा मोटी होती है ये मैं बता चुका हूं तो व्यर्थ ही इसे रोज ही नया जानवर क्यों बना रहे हो मेनका गांधी बुरा मान जाएगी....

Anonymous said...

भैये हृदयेंद्र,

बचाने और मारने की जरूरत ही नहीं है. मोहल्ले के इस खुजली वाले कुत्ते को खुजली आई थी जो भडासी से खुजवाने आ गया और लात खाकर गया, वैसे अब ये लतखोर लात खाने लायक भी नहीं रहा है, सो जाने दो, देखें अपना खुद कब तक खुजाता है.

जय जय भडास