कुछ दिनों पहले भडास पर हमारे मुखिया ने सूचना डाली थी की भडास दुनिया का न.१ हिन्दी ब्लॉग है। साथ ही सभी ब्लोगरों को खुली चुनौती की अगर कोई है जो भडास से आगे है तो अपनी बात साबित करे, हम उनकी बातों को वरीयता देते हुए अपने दावा वापस ले लेंगे। आज भडास पर ३१५ ब्लोगर हैं, भडास के पोस्टों की संख्या ३'१३५ के पार जा चुकी है। इस संख्या को चुनौती देने के लिए कोई सामने नही आया। यानि की सबकी सहमति और हिन्दी ब्लॉग के शिखर पर निर्विरोध "भडास"।
हिन्दी पत्रकारिता की तरह ही हिन्दी ब्लॉग में भी मठाधीश वह जिनको सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने निजी स्वार्थ और लोलुप स्वभाव से सरोकार है, ने इस चुनौती को तो स्वीकार नही किया क्योँकी वो बेचारा कहीं भी रेस में नही था परन्तु इस बात का मुगालता की बहुत से ब्लॉग के बाद जन्मा ये "भडास" अपनी सार्थकता,सर्वश्रेष्ठता,उपयोगिता,संग ही सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग कैसे हो सकता है जबकि मठाधीश तो हम हैं और कारिस्तानी और कारगुजारियों का सिलसिला....... ये ऐसा चला की थमने का नाम नही फ़िर भी भडास का शिखर पथ जारी रहा। कारिस्तानी ऐसी की ब्लॉग जगत से ही प्रतिबंधित करने की साजिश। उस ब्लॉग को प्रतिबंधित करवाने की जो सबसे ज्यादा लोगों की बात सुनता है, देखता है, रखता है और सिर्फ़ इतना ही नही अपनी सार्थकता भी सिद्ध करता है। हमारे मुख्य प्रवक्ता मनीष राज द्वारा सुनीता प्रकरण पर भडास के संग उसको न्याय दिलाने का सामुहिक प्रयास। सलाहकार शशिकान्त अवस्थी द्वारा एक माँ को उसके घर पहुँचाने में सार्थक सहयोग।
ये सिर्फ़ इसलिए नही की हम ब्लोगर हैं बल्कि इसलिए की हमारा इस समाज के प्रति दायित्व, जिम्मेदारी सिर्फ़ इस वेब के पन्ने पे बहस और खत्म नही है जो अमूमन लोकतंत्र का चौथा पाया करता है, पेज बनाना और जिम्मेदारी से इतिश्री और लो भैये हम बन गए बुद्धिजीवी, टी वी पर सनसनी, बेतुके खबर क्यूंकि टी आर पी का चक्कर और ये हमारे समाज के पैरोकार.
समाज के इन बहुरूपिये से भडास का भडासीपन बर्दास्त नही हो रहा। बड़े बड़े फन्ने खान भडास के आगे बौने हो गए हैं और इनमे वह पत्रकार भी हैं जो ब्लॉगजगत के मठाधीश हैं मगर सब से परे अपने प्रगति पथ पर अग्रसर भडास आगे ही बढ़ता जा रहा है।
भडास की बढ़ती लोकप्रियता, कार्यशैली, और समजोंन्मुखी कार्य के लिए भडास पिता यशवंत को बेहिचक "ब्लोग पिता" का खिताब दिया जाय। और ये इस लिए नहीं की भडास नम्बर में सबसे आगे है बल्कि इसलिए क्योँ की सामजिक दायित्वों का निर्वहन समाज में जा कर करता है, ब्लोग मठाधीश की तरह ग्रीन रूम में बैठ कर नहीं.
एक बार फिर से तमाम ब्लोगर को चुनोती हमारी संख्या, पोस्ट, और ब्लोग अतिथि की संख्या के आधार पर हम ये घोषणा करते हैं की भडास शीर्ष पर है। अगर किसी मित्र,बंधू को एतराज हो तो आगे आयें।
यह दावा खारिज हो सकता है, जब कोई दूसरा हिंदी ब्लागर यह दावा करे या जानकारी दे कि उसका ब्लाग या फलां का ब्लाग सदस्य संख्या, हिट्स व पेज व्यू, पोस्टों की संख्या चारों मामले में भड़ास से उपर है।अगर इस पर किसी भी ब्लागर को कुछ कहना हो तो उनका स्वागत है क्योंकि उनकी बात से हम भी सीखना व जानना चाहते हैं।
रजनीश के झा
प्रवक्ता
भड़ास
28.5.08
हिन्दी-ब्लॉग का बेताज बादशाह "भड़ास"...... चिंदी चोर कालिया की फटी
Labels: यशवंत, रजनीश, रुपेश, शिखर, हिन्दी-ब्लॉग
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