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23.5.08

आज सब इक ख्याल आया

आज सब इक ख्याल आया।
जवाब ढूढा मगर सवाल आया।।
क्यूं नहीं पूछ लिया उससे दिल की बात।
रह रह कर यही मलाल आया।।
जिसको नकारा समझती रही दुनिया।
जिंदगी के इम्तिहान में वह कमाल आया।।
अलहदा वो सबसे इसलिए है कि।
जहीन सबसे उसका जमाल आया।।
मुफ्त में खाने की पड गई आदत जिसको।
क्या फर्क पडता है क्या हराम आया क्या हलाल आया।।
आज सब इक ख्याल आया।
जवाब ढूढा मगर सवाल आया।।
अबरार अहमद

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अबरार भाईजान,कितने ही सवालों के जवाब तलाशने पर फिर नए सवाल ही मिलते हैं, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

Anonymous said...

भाई,
अच्छी सोच है. जवाब तलाशते रहिये, जरूर मिलेगा.