Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

21.5.08

हम भी देखेंगे

हास्य-गजल
चलो अंधे कुंए में आज उतरकर हम भी देखेंगे
अंधेरे आबनूसी हैं संवरकर हम भी देखेंगे
सुना है जादू बिकता है तेरी आंखों के प्लाजा में
तेरे जलवों की गलियों से गुजरकर हम भी देखेंगे
हुस्न की ब्रेड का मक्खन बड़े अंदाजवाला है
मिला जो चांस तबीयत से कुतरकर हम भी देखेंगे
सुना है शोख तितली ने थकाया सारे भंवरों को
कभी अमराई में उसको पकड़कर हम भी देखेंगे

जड़ें होती नहीं फिर भी हरे रहते हैं मनीप्लांट
जड़ों से इसलिए यारो उखड़कर हम भी देखेंगे।

पं. सुरेश नीरव
मों.९८१०२४३९६६

9 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

जड़ें होती नहीं फिर भी हरे रहते हैं मनीप्लांट
जड़ों से इसलिए यारो उखड़कर हम भी देखेंगे।
बड़े बरगद हो यार हजारों हाथ वाले नीरव
अमरबेल बनकर तुम्हे जकड़कर हम भी देखेंगे। ।

महाराज बात में वजन हो न हो आप की तरह पर तुकी-बेतुकी तो हम भी पेले ही रहेंगे....

Maqbool said...

panditji aap ki ghazal padhi .bada maza aaya.mere hisab se aap bargad nahin hain balki kalp vrakchh hain. ghazal ke hunar main pooree tarah daksh hain.kardain yudhisthir ko aundha,itnne bade yaksh hain.m.k

VARUN ROY said...

गुरुदेव.
आप ही ब्रेड कुतरते रहेंगे तो आपके चेले चपाटी क्या करेंगे.
वरुण राय

Anonymous said...

पंडित जी प्रणाम.
एक बार फिर हँसाया. आपके हँसाने और रुलाने की जो कड़ी है वो हमारे भडास की जान है. बस डॉक्टर साब ने सही कहा.
बरगद बनकर रहिये. ऊपर से नीचे तक बढिये.

जय जय भडास.

Anonymous said...

silently i have read many items presented by you. i do not know which manner bhadasi bhai takes it, but it is very surprising to me that your imagination is marvellous. how much deepening in your thoughts. heartiest congritulations.

Anonymous said...

silently i have read many items presented by you. i do not know which manner bhadasi bhai takes it, but it is very surprising to me that your imagination is marvellous. how much deepening in your thoughts. heartiest congratulations.

Anonymous said...

silently i have read many items presented by you. i do not know which manner bhadasi bhai takes it, but it is very surprising to me that your imagination is marvellous. how much deepening in your thoughts. heartiest congratulations.

Anonymous said...

पं० जी मज़ा आ गया, यूं ही भडासियों
को हंसाते रहें।
धन्यवाद
अंकित माथुर

यशवंत सिंह yashwant singh said...

aap ke saath ham bhi dekhenge.....good yaar...