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3.5.08

बैंक अपने ग्राहकों को उनका पूरा ब्याज भी नही दे रहे हैं

यदि आपने किसी माह की एक तारीख को अपने बचत खाए मैं एक लाख रूपये जमा किए हैं, फिर आपने दिनांक उनतीस को अपने खाते से ९५००० रूपये निकल लिए अब हिसाब लगाये की आपको इस २९ दिन की जमा राशी पर कितना ब्याज मिलेगा। यदि हम रिज़र्व बैंक की शर्तों के मुताबिक चलें तो हम यह सोचेंगे की लगभग साढ़े तीन प्रतिशत की डर से ब्याज मिलेगा, पर यदि हम हकीकत देखेंगे तो वो यह है की सन्१९४० मैं बनी बैंक प्रणाली के अनुसार हमें सिर्फ़ ५००० रूपये पर ही ब्याज मिलेगा। इस प्रकार बैंकों ने अपने सम्माननीय ग्राहकों को आज तक अरबों रूपये कम दिये हैं। खाताधारकों ने सोचा भी नही होगा की बैंक उनके पैसे पर वो ब्याज भी नही दे रहे हैं जो दरआरबी आई ने तय की है । इस आशय की एक याचिका इंदौर के दो आर्थिक सलाहकारों महेश नथनी और अजीत जैन ने उच्च न्यायालयके समक्ष प्रस्तुत की है। याचिका मैं बैंक के बचत खाते के ब्याज के गड़ना तरीके को चुनौती दी गयी है अदालत ने याचिका को संज्ञान मैं लेते हुए आर बी आई से एक माह के अन्दर स्पष्टीकरण माँगा है। सोचये जब आप किसी बैंक से लोन लेते हैं तो बैंक आपके द्वारा ली गई रकम पर प्रतिदिन के आधार पर ब्याज गड़ना करती है लेकिन आपके बचत खाते मैं रखे पैसे पर यह नियम लागू नही होता है। आज देश के विभिन्न व्यावसायिक बैंकों मैं ग्राहकों के बचत खातों मैं लगभग तीन लाख पैंसठ हजार करोड़ रूपये जमा हैं इस आधार पर हम कह सकते हैं की बैंक आज अपने ग्राहकों को लगभग पचासी हजार करोड़ रूपये कम दे रही हैं। इस सम्बन्ध मैं आर बी आई का कहना ही की यह हमारी १९४० की बैंक नीति के अनुसार है मन ये गया है की हर माह की तारीख १० से ३१ तक बचत खातों मैं स्ताब्ले हो जाती है। याचिका करता का कहना है की - बदले परिवेश मैं आरबीआई की ये दलील गले नही उतरती है। बैंकों को आपने ग्राहकों को एक स्थाई ब्याज दर से ब्याज देना ही चाहिए इस तरह से तो ग्राहक के खरे पैसे का पूरा मूल्य नही दिया जा रहा है । जिस तरह से बैंक अपने लोने पर ब्याज लेती है ठीक वोही तरीका बैंक को बचत खातों के लिए भी अपनाना चाहिए। आब आप अगली बार जब भी अपने बैंक जायें थो अपने बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज की जानकारी लेना मत भूलियेगा और सोचये की आज तक बैंक ने आपके कितना ब्याज कम दिया।
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2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

संजीव भाई,ऐसे मुद्दों पर खामोश नहीं रहना चाहिये बल्कि RTI का डंडा पेल देना चाहिये....

Anonymous said...

संजीव भाई ई बात तो आपने सही उठाई है. स्स्साले बैंक वाले ये ही करते हैं.
मैं भडास से अनुरोध करूंगा कि वोह इस पर कुछ उत्तरोत्तर करे.
जय जय भडास