भोपाल शहर की एक अच्छी कॉलोनी में रहने वाले राजेश और उनका परिवार अपने घर के बगल में बने एक मंदिर से खासे परेशान हो चुके हैं l दरअसल, यहाँ अल सुबह से लेकर देर रात तक इतना शोर होता है कि वह सुकून के लिए तरस गए हैं, उनकी सुबह कि नींद गायब हो गई है और बच्चों कि पढ़ाई में भी खलल पैदा हो रहा है, यह किस्सा अकेले राजेश और उनके परिवार का नहीं है और न ही किसी एक शहर का। तमाम शहरों और कस्बों में लगातार बढ़ रहे धर्मस्थल और उनसे निकलने वाला शोर एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। सालभर पहले ऐसे ही एक मामले में दिल्ली गुरुदारा प्रबंधक समिति ने गुरुदारों से कहा था कि वे स्पीकर का उपयोग करना बंद कर दें। इसी तरह अन्य धर्मस्थलों में भी यह कदम उठाया जाना चाहिए या नहीं, इस पर अधिकांश लोगों कि राय है कि आस्था का मामला आस्थावानों और उनके ईश्वर या खुदा के बीच का मामला है, जिसका सार्वजनिक प्रदर्शन कतई उचित नहीं है. इधर, यह भी जाहिर है कि शहरों में वैध-अवैध तरीके से किस तरह धर्मस्थलों कि तादाद बढती जा रही है और किस तरह वहाँ जुटने वाली भीड़ सड़कों पर जाम का कारण बन रही है. लेकिन आस्था के नाम पर सब मौन है. दिखावे कि आस्था के प्रदर्शन पर रोक के लिए जागरूक लोगों और प्रशासन को आगे आना चाहिये.
9.11.08
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1 comment:
शायद इसीलिए वास्तु में मन्दिर के निकट बने मकानों को अशुभ माना जाता है
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