भारत के स्लम को डॉग बनाकर मिलियनों कमाने वाले डैनी बॉयल शायद यह भूल रहे हैं की इस स्लम डॉग देश का ही ( लक्ष्मी मित्तल ) उनके (ब्रिटेन ) देश का सबसे बड़ा हस्ती है। कुछ भारतीय कलाकार इस सिनेमा से जुड़कर आज अपने को सातवें आसमान पर पा रहे हैं और गोल्डन ग्लोब , बाफ्टा पाकर तथा ऑस्कर पाकर धन्य महसूस कर रहे हैं। किंतु यह पुरुस्कार उन्हें भारत की गरीबी , संस्कृति को बेइज्जत करने , बच्चों की नकारात्मक छवि बनाकर पेश करने की दी जा रही है । पश्चमी दुनिया को आज का उदीयमान भारत हजम नहीं हो रहा है और वह हर उस छवि को देखकर दिल को तसल्ली देगा जिसमें भारत को मलिन बस्ती वाला मुल्क ,गरीबों के घर वाला मुल्क , बाल शोषण वाला मुल्क, हिंदू मुस्लिम दंगो वाला मुल्क के रूप में चित्रण हो। डैनी बॉयल ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया हैं । क्या किसी भारतीय फिल्मकारों में यह हिम्मत क्यों नही होता है जो अपने फ़िल्म में 1947 में अंग्रेजों द्वारा लूट कर छोड़ दिए गए भारत को आज के विश्वा हस्ती बन रहे भारत के रूप में परिवर्तन को दिखा सके।
26.2.09
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3 comments:
बहुत बढ़िया सवाल उछाला है.. इसी सोच के लोगो की जरुरत है.. हिंदुस्तान को..
क्या ऐसी फिल्म बनाने का अधिकार सिर्फ हमें हैं ? सच्चाई से मुह नहीं मोड़ना चाहिए
to bhi bat khatm n hogi kyonki sharm ab utni buri bat mani nahin jati.
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