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16.2.09

प्यार और नफरत

मैंने पूछा
क्यूँ नफरत
क्यों है प्यार
और
उसने कहा
प्यार तो है सारा संसार
पर कहते है
कि सिक्के का दो पहलु होते है यार
फिर नफरत के बिना कैसा प्यार
इसलिए जहा है प्यार
वही नफरत
प्यार और नफरत से
मिलकर बना ये संसार

3 comments:

Ashutosh said...

aapne to kavita bahut acchi likhi hai,kaamaal ki kavita hai!

हिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से

RAJNISH PARIHAR said...

ठीक लिखा.... है ..ये दोनों शब्द एक दूसरे बिना अधूरे है नफ़रत झेलने वाला प्यार की फुहार ज्यादा अच्छे से समझ जाता है...

Anonymous said...

koi bada anubhavi itni bariki se nafrat or pyar me rista bata sakta hai,aap ki kavita me wo sab hai jo pyar or nafrat me hai...... rishikesh mishra..sidhi..m.p.