Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

5.2.09

सभी ब्लागरों से निवेदन, कृपया इसे पढ़ें और मुझे सलाह दें

दोस्तों, पिछले दिनों भड़ास से हटाए गए कुछ साथियों ने विरोध के लिए बाकायदा एक ब्लाग बनाकर हर दो दिन में एक पोस्ट यशवंत सिंह के खिलाफ डाल रहे हैं। इन पोस्टों में यशवंत सिंह को देश का सबसे बड़ा बनिया, दलाल, कमीशनखोर, स्वार्थी, धंधेबाज बताया जा रहा है और इसके पीछे वजह यह बताया जा रहा है कि भड़ास ब्लाग बनाकर और इस मंच का इस्तेमाल करते हुए भड़ास4मीडिया बनाकर और भड़ास4मीडिया के बाद अब प्रधानजी डाट काम लांच कर पैसा क्यूं कमाने लगा हूं। अगर कमा रहा हूं तो उसमें उन लोगों को क्यों नहीं दिया जा रहा है जो भड़ास से जुड़े हुए हैं या जुड़े रहे हैं।

जो लोग ये सब आरोप लगा रहे हैं, लिख रहे हैं, उनकी पीड़ा को मैं समझ सकता हूं। ये लोग जब भड़ास में थे तो इसी ब्लाग पर गूगल के विज्ञापन लगाए रखता था और उसका एक बार पांच हजार रुपये का चेक भी आया लेकिन मजेदार है कि आजकल तो इस ब्लाग पर कोई कामर्शियल विज्ञापन भी नहीं हैं। जो हैं वे होम एड हैं या ब्लागों के लिंक हैं। दूसरी चीज, ब्लागिंग में आने के बाद इसकी आगे की संभावनाओं को देखते हुए डाट काम पर आया और भड़ास4मीडिया शुरू किया। इसके लिए न सिर्फ 45 हजार रुपये महीने की नौकरी छोड़ी बल्कि एक चुनौती लिया जिसमें फेल होने पर सड़क पर आ जाने का पूरी तरह खतरा था। शुरुआती दिक्कतों के बाद मामला संभलता गया और निःसंदेह भड़ास4मीडिया के बनने बढ़ने और मुझे संभालने में ऐसे कई साथियों का हाथ है जो किन्हीं कारणों से अब भड़ास ब्लाग के सदस्य नहीं हैं।

खैर, शुरू में इनके लिखे को ये मानकर उपेक्षित करता रहा कि भड़ास से हटाए जाने के चलते यह स्वाभाविक तात्कालिक गुस्सा है जो कुछ दिनों में शांत हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इन लोगों का यशवंत को दुनिया का सबसे बड़ा खलनायक (दुर्गुणों, बुराइयों और कमीनगी का शहंशाह) बनाना जारी रहा। इन लोगों से मेल के जरिए और एसएमएस के जरिए अनुरोध किया कि भइयों, मान जाओ। पर मेरे अनुरोध को मेरा बनियापा समझकर ये लोग और उग्र हो गए और लगे दे दनादन कलम तोड़ने। इस प्रकरण पर मैं कोई निर्णायक स्टैंड लेना चाहता हूं। इसके लिए, मैंने कल दिन भर अपने कई वरिष्ठ अग्रजों, साथियों से विचार-विमर्श किया तो उनके अलग-अलग सुझाव आए। पहले सुझाव पढ़ें--

  1. एक का कहना था कि जब आप मशहूर होने लगते हैं, आपकी स्वीकृति बढ़ने लगती है, आपका नाम होने लगता है तो कुछ जले-भुने लोग आपको टारगेट पर ले लेते हैं और कुछ भी उटपटांग लिखते बकते करते दिख-मिल जाते हैं। इनका एक ही इलाज है, अंतिम हद तक इग्नोर करिए। जितना रिएक्ट करेगे उतना ये उग्र होंगे क्योंकि इससे इनका मंशा सधता है।
  2. दूसरे का कहना था कि इन लोगों ने वाकई हद कर दी है। साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज कराकर समुचित इलाज करवा देना चाहिए।
  3. तीसरे का कहना था कि यार यशवंत, तुम्हारे पर पहले ही कई तरह के आरोप लगते रहे हैं और उन आरोपों से तुम खुद मजबूत हुए, आरोप लगाने वाले नहीं। होने दो, इससे तुम्हारी चर्चा बनी रहेगी और आज की दुनिया में जो चर्चा या कुचर्चा में नहीं होता वो समझ लो मार्केट या मेनस्ट्रीम से बाहर है।
  4. चौथे साथी ने मुझसे ही पूछ दिया कि क्या किसी अनाम मंच पर आप दूसरों के लिखे चूतियापों को पढ़ने के लिए वक्त निकाल पाते हैं? अगर निकाल पाते हैं तो फिर आपसे बड़ा कोई चूतिया नहीं है। आप सार्थक चीजों को पढ़िए। नेट पर निर्रथक का तो अंबार लगा हुआ है। बुरा पढ़ेंगे देखेंगे सोचेंगे तो बुरा बनेंगे।
  5. पांचवें साथी का कहना है कि यह चरम खंडन का दौर है। इन दिनों हर वो नई चीज जो अलग हट के बनने या बनाने की कोशिश की जा रही है, वो निशाने पर है और उसे तब तक निशाने पर रखा जाता है जब तक उसे तोड़ नहीं दिया जाता या उसे खत्म नहीं कर दिया जाता। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि विरोध करने वालों का विरोध करने की बजाय नई चीज को और ज्यादा मजबूत करने, आगे ले जाने में जोर लगाना चाहिए ताकि प्लस में सृजन रहे, विरोध नहीं।
  6. छठें साथी का कहना है कि बेटा यशवंत, तुमने भी बहुत लोगों को गरियाया है, अब झेलो। ईश्वर इसी दुनिया में सबके साथ न्याय करता है। ये तुम्हारे लिए वाकई प्रायश्चित का वक्त है।
  7. सातवें सज्जन के मुताबिक भड़ास जिस गाली-गलौज का प्रतीक रहा है और उसके आप अगुवा रहे हैं तो वही गाली-गलौज अगर कहीं और से आपको मिल रही है तो इसमें इतने परेशान क्यों हैं। सोचिए उनके बारे में जिन लोगों को आप लोगों ने गरियाकर न सिर्फ दुखी किया बल्कि उनकी प्रतिष्ठा भी धूमिल की। उन लोगों ने तो थोड़ा भी रिएक्ट नहीं किया और न पुलिस में रिपोर्ट लिखाने गए। अगर अभिव्यक्ति की इतनी ही आजादी की बातें करते हैं तो खुद को भी गरियाया जाने का स्वागतद करिए।
  8. आठवें मित्र का कहना है कि उन लोगों के लिखे को कोई नहीं पढ़ रहा है, तुम खुद अपने मित्रों को यूआरएल देकर पढ़वा रहे हो। दूसरी बात, अगर कोई पढ़ता भी है तो वो तुम्हारे बारे में तो धारणा बाद में बदलेगा या बनाएगा, जो लिख रहे हैं, उनके बारे में धारणा पहले बना लेगा इसलिए समझो मुनाफे में तुम्हीं हो। तुम्हें तो कायदे से अपने विरोध के ब्लागों का लिंक भड़ास पर लगा देना चाहिए, ये कहते हुए कि ये हैं मेरे खुले विरोधी, जिनका मैं स्वागत करता हूं, अगर आप भी मेरे खिलाफ लिखना चाहें तो इस क्लब में जुड़ जाएं। ऐसा अगर कर दिया तो समझो वाकई तुम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यक्ति बन जाओगे, जो बनना अभी बाकी है।
  9. एक अन्य दोस्त का कहना है कि यशवंत गल्ती तो तुम्हारी भी है। आप किसी को यूं ही निकाल दोगे तो उसका रिएक्ट करना स्वाभाविक है। इस प्रकरण से ही पता चलता है कि तुम भी कच्चे खिलाड़ी हो। पक्का खिलाड़ी अपने नजदीकियों को कभी नाराज नहीं करता। जो कच्चे खिलाड़ी होते हैं, वो आपस में ही लड़ जाते हैं। तो बच्चा, अभी खेल खेलना कायदे से सीख। ऐसे नहीं चल पाओगे दिल्ली में।
  10. एक सलाह ये थी कि आप लोग उनके बार बार लिखने के बावजूद उत्तेजित नहीं हो रहे हो, भड़ास पर उनके खिलाफ गालियां नहीं लिख रहे हो, उनसे पंगा नहीं ले रहे हो, यही चीज तो उन लोगों को परेशान किए जा रही है। जब जब आप उनको नोटिस करेंगे, उनके लिखे पर रिएक्ट करेंगे, तब तक उनका मकसद हल होता जाएगा। आप लोग प्लीज, चुपचाप अपना काम करें।
  11. एक दार्शनिक सलाह ये थी कि इसी दिल्ली में कोई यशवंत सिंह रिक्शाचालक भी होगा। अगर उसके खिलाफ कोई ब्लाग बनाकर लिखना शुरू कर दे तो उस रिक्शाचालक को ता-उम्र न पता चले कि उसके खिलाफ लिखा जा रहा है। कोई अगर उसे बता भी दे कि ऐ रिक्शावाले भइया, तुम्हे एक ब्लाग पर गंदी गंदी गालियां दी गई है, तो भकुवा कर इधर उधर ताकेगा, उसे समझे में नहीं आएगा कि गाली कहां दी गई है। तो यशवंत जी, आप भी भकुवाना सीखिए। खुद को रिक्शाचालक मानिए और कुंठितों को विष वमन कर अपना मन हल्का करने का मौका देते रहिए। अगर आप रिएक्ट करेंगे तो उनका मन फिर भारी हो जाएगा और भर जाएगा इसलिए अपना काम करिए।

इतने सारे मत आने के बाद आपकी तरह मैं भी कनफ्यूज हूं, इसीलिए ये पोस्ट लिख रहा हूं। इस मामले में क्या किया जाना चाहिए। बात यहां किसी यशवंत सिंह को किसी ब्लाग पर गाली लिखे जाने की नहीं है। ऐसे मामले में हम जैसे ब्लागर को क्या एथिकल या लीगल या मोरल स्टैंड लेना चाहिए। अभी तक के जो उदाहरण हैं वो ज्यादातर साइबर पुलिस के जरिए आरोपी ब्लागर को पकड़ने के रहे हैं।

मैं आप सभी ब्लागरों के दरबार में अपने लिए गुहार लगा रहा हूं, प्लीज, मुझे गाइड करें। इस पोस्ट को पढ़ने वाले हर शख्स से विनती करता हूं कि अपनी राय कमेंट के रूप में नीचे जरूर दे ताकि मैं कोई भी अगला कदम निजी भावावेश में उठाने के बजाय अन्य लोगों की राय के आधार पर उठाऊं जिससे यह मसाल एक नजीर बन सके।

आभार के साथ
यशवंत सिंह

27 comments:

Akhilesh k Singh said...

भइया परेशान होने की जरुरत नही है , जब आप सफलता की सीढियाँ चढ़ रहे हैं तो जाहिर है आप की आलोचना भी होगी, मै तो ये कहूँगा आप की जितनी आलोचना होगी आप समझिये आप उतने ही सफल हो रहे है, आलोचनाओ की परवाह ना करे आगे बढ़ते रहिये , भड़ास4मीडिया और भड़ास सफलता के नए मापदंड तय करेगी बस आप धर्य बनाये रखे हम आप के साथ हैं....

News4Nation said...

उसका उतना नाम हुआ है जो जितना बदनाम हुआ हुआ!!
कम से कम कोई आपको किसी भी बहाने याद तो करता है इस मामले मे आप हम लोगों से सौभाग्यसली हो !!!
जो हो रहा है सो होने दीजिये,ये वक़्त भी गुजार जायेगा!!
जय हिन्दुस्तान - जय यंगिस्तान

Anonymous said...

यशवंत जी, अनाम नाम से कमेंट करने के लिए माफ करें। पूरा पढ़ गया। कमेंट मैं नहीं करता लेकिन आपने अनुरोध किया है तो अपनी बात कह देर रहा हूं। यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं है कि मैं कौन हूं, ज्यादा जरूरी है इस मुद्दे पर मेरा कहना। वैसे, इतना बता दूं कि मैं भी एक हिंदी ब्लागर हूं लेकिन आपके ब्लाग का सदस्य नहीं हूं।

ब्लागिंग में गाली-गलौज की अस्वस्थ परंपरा भड़ास ने शुरू किया और आप इसे समर्थन देते रहे। ऐसे लोगों को बढ़ावा देते रहे। अब जब आप चेत गए हैं कि गाली-गलौज के जरिए लंबे समय तक ब्लाग या संस्थान या पर्सनाल्टी सरवाइव नहीं कर सकती तो इसे नई दिशा दे रहे हैं जो काफी अच्छा, सार्थक और सराहनीय है। आपने जिन लोगों को हटाया है वे अगर कहीं गाली दे रहे हैं तो उसे देखने की जरूरत नहीं है। आप जिस विजन और मिशन पर चल पड़े हैं, उसी पर ध्यान केंद्रित करिए। यशवंत सिंह अब कोई व्यक्ति नहीं हैं। वे प्रतीक हैं हिंदी भाषी देसज इलाकों से आने वाले नौजवानों के संघर्ष, सृजन और सफलता के। इस कारण आगे भी आपके विरोध में कई लोग आ सकते हैं। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।
आपका शुभचिंतक

Anonymous said...

भाई आप भले आदमी हैं, ऐसा तो होता ही है ये सब वो बातें होती हैं जिनको सुनकर हम अपने आप को कुछ जरुरत से ज्यादा ही महत्त्व देने लगते हैं,जो किसी भी कर्मठ को शोभा नही देता है, एक पते की बात बता रहा हूँ. रही बात विरोधियों की तो जो आदमी अपने दुश्मन नही बना सकता वो दोस्त भी नही बना सकता ये मेरा मानना है. उसकी शत्रुता का स्तर ही बताता है की वो दोस्ती में कितना सफल होगा. ध्यान देने बात है की मित्रता की सीमायें हैं पर शत्रुता की नही. शायद इसीलिए स्तरहीन शत्रुता हमें उस निम्न स्तर पर छोड़ देते है जिसपर मित्रता आ भी नही पाती. अतः शत्रुता को छोड सिर्फ़ मित्रता का स्तर बनायें रखें. जितना समय आपने पोस्ट को लिखने में जाया किया है मैं जानता हूँ उससे कई गुना समय आपने इस विषय पर सोचा होगा. आपका लक्ष्य बड़ा है सोच भी. इस तरह समय जाया करेंगे तो फिर हो चुकी क्रांति. बाकी आपकी मर्जी.

Anonymous said...

shri yashvant jee

jo logaisa kar rahen hai we aapke pale huye hai. meri ray me do'nt care. koi pratikirya mat karo. karoge to wah hojayega jo wah chahte hain.
" tu hai to tera fikr kya, tu nahi to tera jikr kya"

anupam trivedi said...

Yashwantji it hardly matters whom says what? You are doing a good job and that should be appreciated. Keep on moving
Wishes

aditya chaudhary said...

aap ek sahi kam kar rahe hain. mujhe nahi lagta k isme kuchh bhi galat hai. waise bhi jo sathi aapko chhod gye hain unhe shayd is bat ki ummid bilkul bhi nahi thi ki aap kamyab ho jayenge. aur jab aisa ho raha hai to shayd unhe apne kiye ka pachhtawa bhi hai aur yahi pachhtawa aapke upr bhadas nikal kar bahar aa raha hai. waise agar bhadas par kisi bhi tarah ka gali galauch hota hai to use band kiya jana chahiye. bhadas ko us manch ke rup me majbuti di jani chahiye jo patarkarita ke mulyon ki parwah aur unhe bachane ke liye sabse bada manch bane. bas is bat ka dhyan rakhiye. baki ek kahawat hai hi ki bhaunkne wale bhaunkte hain aur hathi mast hokar chalta rahta hai. to chinta na karen. aapke wirodh me jitne log hai usse kai hazar guna aapke sath bhi.....

Nischal Maheshwari said...

" If people start talking against you, its confirmed that you are rising."

Anonymous said...

" If people start talking against you, its confirmed that you are rising."

Unknown said...

यशवंत भाई,
जो हो रहा है, होने दीजिए। कोई भी स्थिति स्थाई नहीं होती। यह वक्त भी गुजर जाएगा। कई लोगों को तो निंदा या हमले से ऊर्जा मिलती है। मजबूती आती है। ऐसी बदनामी तो ख्याति की ओर ले जाती है।
संतों ने कहा है- निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
उनके कहने का मतलब है- हर निंदा या आलोचना या हमले को आप सकारात्मक ढंग से लीजिए। उसका रचनात्मक उपयोग करिए।
गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- सुखदुखे समे कृत्वा। सुख और दुख या निंदा आलोचना में संतुलित रहें।आप रचनात्मक काम में व्यस्त रहिए। हां, ठीक ही तो है- भकुवाना सबसे अच्छा उपाय है।
- विनय बिहारी सिंह

RAJIV MAHESHWARI said...

पहेले तो उन लोगो के साथ मिलकर दूसरो को जो मन में आया वो गाली-गल्लोच करी .अब वो लोग आप के साथ वो सब कर रहे है , तो आप को बहुत बुरा लग रहा है.
मीठा -मीठा गप-गप कड़वा थू-थू.
ये सब लिख कर क्या आप सब की सहानभूति
बटोरना चाहते है.भैया अब झेलो "बोया पेड़ बाबुल का आम कहा से आए."

अमित द्विवेदी said...

दादा यही वो चीजें हैं जिससे पता चलता है कि लोगों के बीच मनमुटाव कैसे बढ़ता है। आये दिन खबरें पढ़ता हूं कि पैसे के चलते लोग किस हद तक गुजर जाते हैं। ना कोई रिश्ता देखता है ना धर्म। बहुत साल पहले जब मैं कक्षा दस में था उस समय एक लेख पढ़ा था अपने ही देश मशहूर लेखक ने लिखा था ईष्र्या तू ना गई मेरे मन से। इसके साथ ही एक बार किसी बाबा जी कथा में मैंने सुना कि लोग अपने दुख से अपना दुखी नहीं होते जितना कि दूसरों केसुख से होते हैं। मुझे यह तकलीफ नहीं है कि मेरे पास गाड़ी क्यूंं नहीं है पर इस बात का दुख जरूर है कि सामने वाले केपास गाड़ी कैसे है? यह मनुष्य की बेसिक प्रवृçत्त है जो कि आदिकाल से चली आ रही है इसे ना तो अब तक कोई बदल सका है ना ही बदल सकेगा। पर मेरा मानना है कि किसी केगुस्से पर प्रतिक्रिया देने के बजाय उसे अवाइड करना चाहिए। हो सकता है कि जो आज आपको अपना दुश्मन मान रहा है कल वह दोस्त हो जाए। मेरे अनुसार दोस्ती दुश्मनी की पहली सीढ़ी है। कोई दुश्मन तभी बनता है जब वह आपका प्रिय होता है या पुराना जानने वाला होता है। ऐसे चीजों से दूर रहना ही सबसे बड़ी बुçद्धमानी है क्योंकि यहां पर कोई किसी का दुश्मन है ही नहीं। जो आज आपको गाली दे रहे हैं या बनिया कह रहे हैं वे आपके ही पुराने चाहने वाले हो सकते हैं जो आपकी तारीफ में ढ़ेरों लाइनें खर्च कर चुके होंगे। अपने दिमाग की बत्ती सिर्फ आपकी प्रशंसा के लिए जलाई होगी। अब भाई साहब आप की बताइए जब आपको अपनी ढ़ेरों तारीफें सुनने में कष्ट नहीं हुआ तो अब गालियां खाने से क्यों घबरा रहे हैं। सब आपके अपने हैं आज नहीं तो कल फिर आपकेपास होंगे और प्रिय होंगे। दादा यही दुनिया है अब आप तरक्की कर रहे हैं तो ऐसी चीजें और तेजी से घटेंगी कितनों से आप नाराज होगे हां? चलिए अब इन बातों को भूल जाइए और अपना समय अच्छे कामों में लगाइए और तरक्की की ओर बढ़ते रहिए। भड़ास आपका Žलॉग है यहां पर भी कभी कभार कुछ लिख दिया कीजिए।
जय भड़ास और जय हिंद और जय हिंद की धरती

somadri said...

आप अकेले नहीं है यशवंत जी ,
आपके साथ हैं 500 से अधिक साथियों की कलम और उनकी शुभकामनायें
एक छोटी सी बात को माथे से न लगायें, धूल जब आंखों में घुस जाती है, तो चोखेर-बाली बन कर परेशान करती है..
तो क्या समझे आप?

टेंशन नहीं लेने का, टेंशन देना का

Anonymous said...

kuch bhee kaho isse pata chal raha hai ki aap kahan pahunch chuke hain. ab to duniya bhee jalne lagee hai aapse. har din dheron log mukesh ambani aur anil ambani ko gariyate rahte hain par uska asar un par naheee hota kyunki unke paas itna samay nahee hotaa. ye zindagi ka mela hai jisme har tarah ke log hain. kuch kabadi bhee chillate rahte hain. dekhna abhee unki baukhlahat aur badhegee. but mujhe nahee lagta ki aapko usse pareshaan hona chahiye

Anonymous said...

यश्‍वंत भाई जी ,


आप परेशान न हों, ये तो बहुत अच्‍छी बात है कि आप को बाकायदा ब्‍लाग बना कर गरियाया जा रहा है । इससे साबित होता है कि अब आप भी बडे आदमी हो गये हैं क्‍योंकि बडे आदमियों को ही ये लग्‍जरी नसीब होती है । हमें तो साले सब मुंह पर ही गरिया देते हैं कोई साला एसएमएस करने की भी जहमत नहीं उठाता ।

पुनीत निगम
कानपुर

यशवंत सिंह yashwant singh said...

दोस्तों, आपकी बातों ने मेरे लिए संजीवनी का काम किया है। मैं आप सभी की बातों पर गहराई से विचार करूंगा और कोशिश करूंगा कि ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल ही करूं। जो लोग गालियां दे रहे हैं, उन लोगों के सदबुद्धि आने की उम्मीद करूंगा और उनके लिए अपने दिल का दरवाजा हमेशा खुला रखने का प्रयास करूंगा।

यशवंत सिंह yashwant singh said...

आप लोगों को शुक्रिया कहना तो भूल ही गया।
दिल से धन्यवाद और आभार
यशवंत

Jagmohan Manchanda said...

Bhaiya ji, Aap ki padh kar, aapni bharas nikalaney ko man kar raha hai, lekin anpadh hoon. blog likhna nahin aata, na seekhane ka time lagta hai. rat ke 10.26 ho chuke hein.lagta hai jab nikaloonga to pura noval likha jayega.

Anonymous said...
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pisuindia.com said...

यशवंत भैया पूरी pisuindia.com अपके साथ है। उसके 1200 छात्र आपके पीछे हैं। और एक कहावत है न "हाथी चले बाजार कुत्ता भोंके हजार" इसलिए आप हाथी हो हाथी की तरह चलो, कुत्ते तो ऐसे ही पीछे लगते रहेगे। आपको पता हाथी जब पैर उठायगा तो कितने कुत्ते मारे जाएंगे।

Anonymous said...

Sir
It was most disheartning to see people going against you and bhadas4media. Being a print marketing professional and having had the opportunity to work with you in your earlier job assignments I know your fighting and innovative spirits. Infact with your portal you have given a platform to media persons to really pour out their 'bhadas'. The persons whom you are referring are those who have little patience, who are not seeing the hard side of your efforts. It is better for you and for the whole community that you get rid of these negative persons and carry on the excellent work you have done to unite the media world. We are with u. Always.

Anonymous said...

फादर ऑफ़ हिंदी ब्लॉग जर्नालिस्म श्री यसवंत जी अपने गली गलोच करने वालो को हटाया यह अच्छी बात है अब कुछ जगह खाली हुई है उसमे हम छात्रों को भी कुछ जगज दीजिए

media ka falspha said...

फादर ऑफ़ हिंदी ब्लॉग जर्नालिस्म श्री यसवंत जी अपने गली गलोच करने वालो को हटाया यह अच्छी बात है अब कुछ जगह खाली हुई है उसमे हम छात्रों को भी कुछ जगज दीजिए

DINKAR said...

यशवंत दादा आपने कुछ दिनों पहले नए वर्ष के अवसर पर अपनी सफलता की कहानी ब्लॉग पर पोस्ट की थी . पोस्ट को बहुत सरे लोगों ने पढ़ा जिसमे सब आपके चाहने वाले ही नही थे. उसमे कुछ आपसे जलने वाले भी थे. ये डम्मी ब्लॉग बनाकर जो लोग आपको गाडिया रहे हैं ये उस आत्मघाती पत्रकारों का कमाल है जो यशवंत जैसे रिस्की नहीं बन सकते किंतु यशवंत रिस्की बन कर क्यों सफल हो गया उससे जलते जरुर हैं. सभी तरह के जॉब के सर्वे करने के बाद मेरा जो निष्कर्ष निकला उसमे सबसे अधिक जला कटा पत्रकारिता के जॉब में ही मुझे मिला. ये उसी जलने वाले पत्रकारों के उँगलियों से निकला विषवमन हैं . बेचारे की बोर्ड पर टाइप कर कर के अपने ऊँगली घिस लेंगें लेकिन तप तप कर बड़े बने हमारे यशवंत दादा को इन विषवमन करने वालों से कुछ नहीं होने वाला. इसलिए यशवंत दादा इन छुट्तों को गिघ्याने दो . इनके फालतू चीजों पर दिमाग ही मत लगाओ. मैं आपसे आमने सामने जरुर मिलूंगा. मुझे भी नवपरिवर्तन पसंद हैं.
दिनकर भडासी.

bijnior district said...

यशवंत जी 1
मेरे दादा जी एक बात कहते थे, वह आपके लिए प्रस्तुत है..
उनका कहना था कि बेटे तू चोर है एवं कोई चोर कहता है तो बुरा क्यों मानता है। तू चोर तो है ही। एवं चोर नही है फिर भी कोई चोर कहता है, तो बुरा क्यों मानता है जब तू चोर है ही नहीं।
कबीर का दोहा भी है..
कबीरा तेरी झोपड़ी गलकटियन के पास ।
करेंगे सो भरेंगें तू क्यों होत उदास

सलीम अख्तर सिद्दीकी said...

ye to hamesha se hota aaya hai. bas apna kam imandari se karte rahin.

सलीम अख्तर सिद्दीकी said...

koi baat nahin sir haq baat kahene walon ke saath hamesha hi ye hota aaya hai