आज इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल की ओर से एक परिचर्च्राका आयोजन था । विषय था " इस रेलिगिओं बेयोंड मीडिया स्क्रूटिनी" मुझे जिनकी बाते सब से अच्छी लगी वो थे मौलाना वहीदुद्दीन खान । उनका कहना था की पत्रकार करंट अफेयर्स पर लिख सकता है पर धर्मं जैसे विषय पर लिखनेवाला कोई जानकर व्यक्ति होना चाहिए , हर किसी से धर्म विषय पर नही लिखवा लेना चाहिए । उनकी बाते सैट प्रतिशत मुझे जची । उनकी बातो के जबाब में मुकेश ने कहा की पत्रकार सिर्फ़ उन ह्यूमन रिघ्ट्स का बचाव करते है जो महिलाओ से उनके पढने - नौकरी न करने और जबरदस्ती बुरका पहनने का हुकुम जारी करते है।
दूसरी बात जो मुझे ठीक लगी वो थी मधु किश्वर की पब्लिक प्रेशर का मतलब पॉलिटिकल गुंडा । दूसरा - आप नेताजी की कोल्कता में आलोचना नही कर सकते, महारास्ट्र में शिवाजी की आलोचना नही कर सकते। कुछ बहस के बीच में जब चंदन मित्र और मधु के बीच में बहस हो गए तो चंदन मित्र ने कहा अगर अपने हुसैन की विवादित पेंटिंग अपने पत्रिका में छापी तो प्रोफेट मोहम्मद का विवादित कार्टून क्यो नही छापायही ह्य्पोक्रक्य है।
फिर मुद कर बात गोधरा पर आ ही जाती है। नंदिता दस ने अपनी फ़िल्म "फिराक "में गोधरा के बाद की घटना का वर्णन किया है। जिसे पाकिस्तान में अवार्ड मिला । नंदिता का कहना है की उसके इस अवार्ड के विरुद्ध बहुत सारे लोगो ने पोस्ट डाला की २६/११ के बाद पाकिस्तान नही जाना चाहिए था । मेरा एक कहना है हर बार गोदरा को हम कब तक भुनाते रहे गे, औरतो के साथ हर कल में पुर्सो ने राजनीती , प्रेम, दबगाई गिरी में , जाती के नाम पर यही किया कभी हिन्दुओ ने मुस्लिमो पर किया , कभी मुस्लिमो ने हिन्दुओ पर। पाकिस्तान में ही हिन्दुओ को स्य्स्तेमाटिक ख़तम किया गया। "खामोश पानी " फ़िल्म इसकी गवाही है। इस के अलावा कोल्कता में ही खिदिरपुर एरिया में जिधर के बाद क्या हिन्दुओ पर अत्याचार नही हुए , क्या उसकी रिपोर्टिंग हुई। क्या कोल्कता के हिन्दी पत्रकार खिदिरपुर एरिया में आसानी से जाकर रिपोर्टिंग कर लेते है। जितनी मुस्किल अग्रेजी क पत्रकारों को गुजरात में रिपोटिंग करने में होती है उतनी ही मुस्किल कोल्कता में में हिन्दी क पत्रकारों को होती है खिदिरपुर एरिया में , क्यो की उनको वह क लोग जनसंघी मानते है .ये अविश्वाश आज हमारे समाज की सच्चाई है एक दुश्रे क प्रति। हम खानों में बाते है। रविन्द्र जी फ्रॉम स्तातेस्मन का कहना था की उनके रिपोर्टरों को इस बात की कोई ख़बर नही मिली। किसी हिंदू महिला ने यह नही बताया की उसका रैप हुआ है। मेरा कहना है जब कोई आ कर बताये गा तभी हम ख़बर छपे गे क्या ? उसके पहले क्या बैठे रहे गे? क्या कोई रिपोर्टर उस एरिया में गया?
इन सब बातो से आप कटाई न सम्जेह की मई बीजेपी की हु, क्यो की सभी पार्टी ऊपर जा कर एक ही हो जाती है । जनता का दोहन करती है , और सभी बड़े लोग सत्ता में बैठे लोगो को सलाम करते है । मरते हम गरीब लोग ही है। अटल bihari जी की कविताओ पर शाहरुख़ नाचते है, आमिर खान अडवानी जी को "तारे जमीन पर देखने " बुलाते है । सड़ते हम है जमीनी लोग।
यही हाल पत्रकारिता का है। ऊपर में लोग मलाई मरते है , सड़ते रिपोर्टर और स्ट्रिन्गेर है। जय हिंद।
2 comments:
इस तरह की गतिविधियों में अगर आप हिस्सा लेती है तो बहुत अच्ची बात है । आपने जो विचार उदगार किये वह बेहद खूबसूरत है शुक्रिया
maulana vahiduddin khan saahab se main sahmat nahin ho pa raha hoon.patrakar dharm ko nahin samajhte, ve aisa kaise kah sakte hain.naam ke saath mulla ya swami falaana nand jud jaane se dharm ko jaanane ka adhikaar nahin mil jaata.daadhi badha lene se hi yadi gyanvaan hone ka certificate mil jaata to har anpadh shaving ka kharcha bacha leta.shesh aapne bahut achchha likha hai badhai.kabhi mere blog "meri awaaz suno" par bhi aayen.
Post a Comment