काफी वयस्तता के बाद कुछ फुर्सत के छण मिले ,मित्रों ने कहा की काफी दिन से ब्लॉग पर कुछ लिखा नहीं अतः आज सोच की श्राद्धपक्ष आनेवाला है उसी पर कुछ लिखा जाये वैस कर्मकांड मेरा विषय नही है किंतु संस्कारो का लो़प होना मानसिक वदेना देता है
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4.9.09
II श्राद्ध विशेष II
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