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5.10.09


सजनी के प्यारे सजना
रहते हैं परदेश,
वहीँ से भेजा सजना ने
सजनी को संदेश,
तुम्हारे लिए मैं क्या भेजूं
दे दो ई मेल आदेश,
साजन की प्यारी
सजनी ने
भेज दिया संदेश,
रुखी-सूखी खा लेँगे
आ जाओ अपने देश।

3 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

ऐसी अच्छी सज़नी छोड़
सज़ना
काहे गया विदेश

देवेन्द्र पाण्डेय said...

ऐसी अच्छी सज़नी छोड़
सज़ना
काहे गया विदेश

प्रणाम पर्यटन said...

अभी भी समय है ,
लौट आए अपने देश
देश में निकला है चाँद
वह चाँद जो है घुघट में.
प्रदीप श्रीवास्तव
निजामाबाद