मेरी उम्र अभी सिर्फ 21 साल है, मैने शनि और साईं के बारे में काफी सोचा और कई बुजुर्गों से भी इस पर बात की है, उनका मानना है कि बीते केवल 10 से 15 वर्षों में इन दोनों देवताओं के प्रति लोग काफी आकर्षित हुए है। मैं जहां रहता हूं वहां 4 से 5 महिने पहले से एक बस हर शनिवार को हरियाणा में कोसी के लिए जाती है जहां शनिदेव का बड़ा मंदिर है, शनिदेव की पूजा अर्चना का ये सिलसिला एक दम से बूम पर गया है। 10 साल पहले शायद ही कोई शनिदेव को जानता होगा। लोग शनिदेव को बुरा समझते थे और उसका नाम लेने से भी हिचकते थे। लेकिन आज हालात दूसरे है। इसका असर हम टीवी चैनल पर आराम से देख सकते है। नाटक से लेकर न्यूज चैनल तक इसका असर साफ देखा जा सकता है। वहीं दूसरी और हम साईं बाबा को देख सकते है। हालांकि सांई बाबा की धूम शनिदेव के पहले से मच चुकी थी लेकिन आज के दौर में दोनो की स्थिति लगभग बराबर है। आज हम कई जगह सांई बाबा के मंदिर देख सकते है। वहां रोजाना जुटने वाली भीड़ देख सकते है। लेकिन मन में एक सवाल उठता कि आखिर ऐसा क्यों..
दरअसल, इसके पीछे शायद बड़े व्यापारियों का हाथ हो सकता है जो इसकी आड़ में अपने धंधे को अंजाम देते है। वैसे भी इस काम को करने में उन्हें ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती, क्योकि भारत में बहुत बड़ी आबादी अंधविश्वासी है, जिसका फायदा वो लोग बड़ी चतुराई से उठा रहे है और शनिदेव और सांई बाबा का बूम जोरों पर है।
सूरज सिंह
9.3.10
शनि और साईं बूम
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