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8.6.10

ये सजा है या भद्दा मजाक?

हजारों लोगों को क्रूर मौत देने वाला भोपाल गैस कांड में माननीय न्यायालय जो ऐतिहासिक सजा आरोपियों को सुनायी है उससे सवाल उठाये जा रहे हैं, लेकिन हर कदम पर जिंदगी हारने के आदि हो चुके गरीब लोगों के हक में शायद यही हो सकता है। कानून की अपनी मजबूरी रही कि जिन धाराओं के तहत जांच एजेंसी ने आरोपपत्र दाखिल किये थे उसमें यही सजा दी जा सकती है कोई फांसी नहीं। हां यह न्याय प्रणाली और कानून की खामी जरूर कही जा सकती है कि हजारों लोगों की मौत पर 25 साल तक इंसाफ का इंतजार जिन लोगों ने किया उन्हें वास्तविक इंसाफ नहंी मिल सका। मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन विदेश में मौज काट रहा है। हादसे का शिकार अध्किांश गरीब लोग थे। तीन पीढ़िया इससे प्रभावित हो गईं। गरीब तो हार के आदि हो चुके हैं। चार दिन के शोर-शराबे के बाद सब शांत हो जायेगा बिल्कुल बरसाती मैंढक तरह। अफसोस ही जाहिर किया जा सकता है।

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