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20.6.10

नेजे पे भी बुलन्द रहा,कट के सर मेरा ।
लेकिन झुका ना झूठे,खुदाओं के सामने ।।

जिले में युवक कांग्रेस में हुयी नयी नियुक्तियों में बधाई के विज्ञापनों के दौर चालू हैं। पिछले दस पन्द्रह से ऐसा माना जाता था कि कांग्रेस में हर एक नियुक्ति में एक नेता हरवंश सिंह के ही आशीZवाद से ही हुआ करती थीं। लेकिन इन नियुक्तियों से एक बात का जरूर खुलासा हुआ हैं कि कुछ और नेता ऐसे हैं जिनके आशीZवाद से भी नियुक्तियां हो सकती हैं। जिला कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में पिछले दिनों महामहिम राज्यपाल महोदय के नाम एक ज्ञापन सौंपकर पुलिस और प्रशासनिक प्रताड़ना और भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गई हैं। नपा चुनाव के बाद से राजनैतिक प्रतिशोध के शिकार हो रहे नपा के अध्यक्ष पद के पूर्व इंका प्रत्याशी संजय भारद्वाज ने झुकने के बजाय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना उचित समझा हैं। प्रदेश के वनमन्त्री सरताज सिंह ने विगत दिनों तेन्दूपत्ता के लाभांश का वितरण किया। मंच पर आरोप प्रत्यारोप के हल्के फुलके दौर भी चले। मंच पर बैठे नेताओं का मानना हैं कि संवैधानिक पद पर रहते हुये भी हरवंश सिह ने जिस तरह का उदबोधन दिया उसका जवाब यदि वैसे ही मन्त्री सरताज सिंह देते तो शासकीय कार्यक्रम का यह मंच राजनैतिक आरोपों प्रत्यारोपों का मंच बन रह जाता जिसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता हैं।
औरों के भी आशीZवाद से हुयी नियुक्तियंा युवा इंका में -
जिले में युवक कांग्रेस में हुयी नयी नियुक्तियों में बधाई के विज्ञापनों के दौर चालू हैं। पिछले दस पन्द्रह से ऐसा माना जाता था कि कांग्रेस में हर एक नियुक्ति में एक नेता हरवंश सिंह के ही आशीZवाद से ही हुआ करती थीं। लेकिन इन नियुक्तियों से एक बात का जरूर खुलासा हुआ हैं कि कुछ और नेता ऐसे हैं जिनके आशीZवाद से भी नियुक्तियां हो सकती हैं। ये दोनो ही जिला युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार उर्फ पप्पू खुराना तथा राजा बघेल हैं। बधायी के विज्ञापन से ही यह साफ हो जाता हें कि कौन किस नये आशीZवाद से इस पद तक पहुचा हैं। फर्क रहता हैं तो सिर्फ फोटों का। एक सेट में हरवंश से शुरू होकर राजा बघेल पर समाप्त होतीं हैं क्योंकि इस गुट की कांग्रेस तो हरवंश से शुरू होकर वहीं समाप्त हों जाती हैं। दूसरे सेट में राहुल गांधी,कमलनाथ से शुरू होकर फोटो का सिलसिला पप्पू खुराना पर समाप्त होता हैं। खैर यह सब तो कांग्रेस में होता रहता हैं। लेकिन अब देखना यह हैं कि लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर नियुक्त रह कर काफी खोजबीन करने के बाद उन्होंने जो अपनी जम्बो जेट कार्यकारिणी बनायी हैं उससे कांग्रेस को जरूर ही मजबूती मिलेगी और विपक्ष में आयोजित होने वाले आन्दोलनों में अच्छी खासी संख्या युवकों की दिखायी देगी। लेकिन अब भी यदि हाल वही बेढंगा रहा तो फिर नये और पुराने तरीके में कोई फर्क नहीं दिखायी देने वाला हैं।
जिला इंका ने ज्ञापन सौप आन्दोलन की दी चेतावनी-
जिला कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में पिछले दिनों महामहिम राज्यपाल महोदय के नाम एक ज्ञापन सौंपकर पुलिस, प्रशासनिक प्रताड़ना और भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गई हैं। इसके पूर्व भी नपा अध्यक्ष पद के पूर्व इंका प्रत्याशी संजय भारद्वाज ने एक विज्ञप्ति जारी कर इसका उल्लेख किया था। जिला इंका ने अपने ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया है कि पहले तो अधिकारियों ने नपा चुनाव में कांग्रेस की सुनिश्चित जीत में पलीता लगाया और अब राजनैतिक प्रतिशोध के चलते कांग्रेस के प्रत्याशी संजय भारद्वाज को पुलिस और प्रशासन द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा हैं तथा उनके व्यवसाय में उन्हें परेशान किया जा रहा हैं। वैसे एक बात तो सत्य हैं कि नपा अध्यक्ष के चुनाव के परिणाम से सभी भौंचक रह गये थे। इंका प्रत्याशी और कांग्रेस का भौंचक रहना तो ठीक ही था लेकिन शहर का मतदाता भी इस परिणाम से अचंभित तो जरूर था। और तो और जीतने वाली भाजपा और उसके अधिकांश नेता भी इस परिणाम से भौंचक रह गये थे कि ऐसा रिजल्ट कैसे आ गयार्षोर्षो लगभग सभी राजनैतिक दल,मीडिया और राजनैतिक विश्लेषक भी यह मान रहे थे कि कांग्रेस यह चुनाव जीत रही हैं। परिणाम आने के बाद विश्लेषकों का यह भी मानना रहा कि इस चुनाव में मुख्यमन्त्री के फ्लाप रोड शो और उसके भारी भरकम प्रचार प्रसार तथा संघ के नेता विशेष के कोटे से आयी टिकिट के कारण येन केन प्रकारेण चुनाव जीतने की रणनीति बनायी गई जिसमें शासकीय अमले की भूमिका का भी निर्णायक योगदान रखा गया। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि मुख्यमन्त्री के रोड़ शो के दौरान ही इंका प्रत्याशी सहित कुछ इंका नेताओं के खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया गया। जागरूक मतदाता संघ ने मुख्यमन्त्री से कुछ सवालों के जवाब पूछने वाले बड़े बड़े फ्लेक्स शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाये थे जिन्हें पुलिस मुख्यमन्त्री के आने के पहले निकाल रही थी इसे लेकर लोगों का विवाद हुआ था। मतगणना के दौरान ही कुछ अधिकारी तो इतने अधिक प्रसन्न और अति उत्साहित दिखायी दे रहे थे कि मानो वे ही चुनाव जीत रहें हों। समय समय पर इंका प्रत्याशी के निर्वाचन अभिकत्ताZ ने इस बारे में राज्य निर्वाचन आयोग का ध्यानाकषिZत भी कराया था। इंकाइयों का दावा हैं कि इस चुनाव के बाद पालिका के भ्रष्टाचार से सम्बंधित कुछ दस्तावेज जब संजय भारद्वाज नें सूचना के अधिकार के तहत निकालने के लिये आवेदन लगाया तभी से उनके व्यवसाय को टारगेट बना कर उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा। ÞरुटीनÞ व्यवस्थाओं से अलग चाहे जब तरह तरह के हुक्म फरमाये जाने लगे। कानूनन जो सुविधा शहर के अन्य लायसेंसियों को दी गई वह औपचारिकतायें पूरी होने बाद भी उन्हें नहीं दी गईं। कहा तो यहां तक जा रहा हैं कि बार बार यह सन्देश भेजे जा रहे थे कि भ्रष्टाचार पुराण बन्द कर दो। लेकिन संजय भारद्वाज ने अन्याय के खिलाफ झुकने के बजाय संघंर्ष का रास्ता अिख्तयार किया । बताया जा रहा हैं कि इन तमाम बातों को लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा कर न्याय की गुहार लगायी हैं। शायद ऐसे ही अवसरों के लिये देश की मशहूर शायरा श्यामा सिंह सबा ने यह शेर लिखा है कि,
नेजे पे भी बुलन्द रहा,
कट के सर मेरा।
लेकिन झुका ना झूठे,
खुदाओं के सामने।।

जिला कांग्रेस ने ज्ञापन सौंपकर यह चेतावनी भी दी हैं कि यदि सरकार उचित कार्यवाही नहीं करती हैं तो कांग्रेस आन्दोलन करने को मजबूर हो जायेगी।
वनमन्त्री ने संग्राहकों को बांटे लाभांश के चैक-
प्रदेश के वनमन्त्री सरताज सिंह ने विगत दिनों तेन्दूपत्ता के लाभांश का वितरण किया। भारी बारिश के बीच भी कांग्रेस संस्कृति में ही वाहनों पर ढ़ोकर लाये गये ग्रामीण कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस अवसर पर मंच पर कांग्रेस शासनकाल के वन मन्त्री हरवंश सिंह और भाजपा के सरकार के वन मन्त्री रहे डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी मौजूद थे। जब हरवंश सिंह बोनस बाटा करते थे तो भाजपा नेता उदाहरण देकर बताया करते थे कि जितना मिला नहीं उससे ज्यादा आने जाने में खर्च हो गया। इस बार भी विस उपाध्यक्ष एवं इंका सरकार के वनमन्त्री रहे हरवंश सिंह ने अपनी सरकार का बखान किया तो नीता पटेरिया ने अपनी सरकार का बखान किया। उमा सरकार में वन मन्त्री के रूप में डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन द्वारा हरे तेदूपत्ता की बनायी गई नीति के कारण संग्राहक मजदूरों को अधिक लाभ मिलने लगा हैं यह दावा भी भाजपायी करते हैं। लेकिन कुल मिलाकर ऐसा लगता हैं कि सरकारें बदलती हैं तो मन्त्री भले ही बदल जायें लेकिन करनी में बदलाव नहीं आता और जिसके भले का दावा सरकारें करतीं हैं वह निरीह चुपचाप अपने भले का दावा तो सुनता रहता हैं लेकिन उसका भला कहां हो रहा हैंर्षोर्षो यह खुद उसे ही पता नहीं चलता हैं। मंच पर बैठे नेताओं का मानना हैं कि संवैधानिक पद पर रहते हुये भी हरवंश सिह ने जिस तरह का उदबोधन दिया उसका जवाब यदि वैसे ही मन्त्री सरताज सिंह देते तो शासकीय कार्यक्रम का यह मंच राजनैतिक आरोपों प्रत्यारोपों का मंच बन रह जाता जिसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता हैं।

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