अब तक की समीक्षा से यह तय हुआ कि अयोध्या समस्या का सर्व-सम्मत हल वर्तमान न्यायिक-तन्त्र नहीं दे सकता। इससे सम्बन्धित दोनों समुदाय आपस में बात करके कोई हल निकालना चाहें तो बात बने! बात आपसी सहमति पर टिकी है, सभी ऐसा कह रहे हैं। इस मुद्दे पर विचार-विश्लेषण कर लेना समीचीन होगा।
आपसी बातचीत व्यक्तियों में हो सकती है। यहाँ जो भी व्यक्ति बात करेगा, उसे अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करना है। कोई भी व्यक्ति इस बातचीत में अपना स्वतन्त्र मत नहीं रखेगा, किसी हालत में नहीं रखेगा। अर्थात बातचीत दोनों समुदायों के बीच होनी है। समुदाय मानव-निर्मित इकाई है, प्राकृतिक इकाई नहीं। जैसे परिवार प्राकृतिक इकाई है।
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3.10.10
अयोध्या-फ़ैसला-5
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