यह कविता कविकुलगुरु कालिदास जी को समर्पित है । उनका मेघदूत प्रेम का अमर काव्य है ।हमारे देश में
संत वेलेंटाइन डे मनानेवालों को उनकी याद क्यों नहीं आती ।
इन हवाओं से ये आरजू है मेरी
तेरी जुल्फों से खुशबू चुराया करें ।
जब बदन छू के तेरा ये मदहोश हों
पास आकर मेरे गीत गाया करें ।
मैं मुक्कदर पे इसके फ़िदा हो गया
पास जाने से तेरे ये क्या हो गया !
धूप छूकर तुम्हें आज सोना बनी
अब जमीं आसमाँ को सजाया करे ।
तेरे दम से है साँसों का ये सिलसिला
फूल उल्फत का है मेरे दिल में खिला ।
अपनी आँखों के भौरों से कह दो कभी
इश्क के फूल को चूम जाया करें ।
11.2.11
इन हवाओं से आरजू ये मेरी
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