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31.3.11

गिरी बिजली, जोगी अब तेरा सहारा

शाबाश रमन सिंह जी । बहुत ही शातिराना चाल चल रहे हो आम जनता के साथ । पहले विपक्ष को अपने साथ मिला लिये फिर विपक्ष को आदिवासियों की ओर भिडा दिये और विद्युत नियामक बोर्ड की आड में बिजली दरों में 22 फीसदी तक की बढोत्तरी कर डाले । क्योंकि अब आपसे कोई कुछ पुछ तो सकेगा न ही क्योंकि आप तो बता दोगे कि भाई मैं तो चाँवल वाला बाबा हूँ भला बिजली से मेरा क्या लेना देना । सारा प्रदेश जानता था कि बिजली के दाम बढेंगे फिर भी सबने बढने का इंतजार किया किसी ने यह नही पुछा कि जब प्रदेश में सरप्लस बिजली उत्पादन हो रहा है तो राज्य के निवासियों को धूल गर्दा खिलाने के बाद अब बढी बिजली का पैसा क्यों वसूला जा रहा है । 24 घंटे लाइट रहना कोई उपलब्धी नही कही जा सकती क्योंकि ये काम जोगी शासन में हो चुका था रहा सवाल बिजली के दामों में बढोत्तरी का तो इसका कारण एक ही समझ पडता है कि प्रदेश के नेताओं को हराम के खाने की इतनी बुरी आदत पड गई है कि अभ वो हर जगह से पैसा खाना चाहते हैं । जोगी जी जिन्होने वास्तव में प्रदेश में एक बेहतरीन शासन कायम किये थे और बनियों को दूर करके आदिवासीयों और प्रदेश की जनता को मुनाफा दिलाते रहे थे उनके खिलाफ माहौल बना कर अब खुद बनियागिरी कर रहे हैं ।
                                             इस समय यदि कोई सही व्यक्ति हो सकता है जिसके बैनर के नीचे प्रदेश की जनता रमन सरकार को कटघरे में खडे कर सकती है तो वह निश्चित रूप से अजीत जोगी हो सकते हैं । मेरे इस कथन से कोई मुझे कांग्रेस समर्थक ना समझे इसलिये साफ कर देना चाहूँगा कि मैं एक पत्रकार होने की दृष्टि से केवल व्यक्ति का चुनाव करता हूँ जिससे आम जनता का हीत सध सके । मेरे कहने का अर्थ आप ये समझें कि प्रधेश में जो मुनाफाखोरी, भ्रष्टाचार चल रहा है उससे निपटने के लिये विपक्ष होता है लेकिन इश समय प्रदेश का विपक्ष सरकारी बोली मे चल रहा है इसलिये वर्थमान में प्रदेश के लोगों को एक ऐसे व्यक्ति का साथ चाहिये जिसके साथ मिलकर हम अपनी आवाज बुलंद कर सकें । यदि मैं और आप अकेले खडे होकर जनता के सामने चिल्लाएंगे तो स्वार्थी कहलाएँगे जबकि एक पदस्थ  व्यक्ति के कहने पर कार्यवाही होती है ।
              मुझे पूरा यकिन है कि जोगी जी इसे जरूर पढेंगे इसलिये मेरा उनसे निवेदन है कि आदरणीय जोगीजी छत्तीसगढ प्रदेश की भोली जनता को वह मार्ग बताएं जिसके द्वारा प्रदेश सरकार की मनमानी और बनियागिरी को बंद कराया जा सके । हर जगह भ्रष्टाचार अपना पैर पसार रहा है छोटे छोटे कामों के लिये रिश्वत मांगी जा रही है , कानून व्यवस्था बिगड रही है यहां तक की पुलिस विभाग भी असंतुष्ट है (निधी तिवारी की मौत पर कोई कार्यवाही नही हुई, दुर्ग में पार्षद के खिलाफ कार्यवाही होने पर थाना प्रभारी को लाइन में बैठा दिया गया जैसी कई घटनाएं है) । भाजपा के नेता अपना जीवन स्तर सुधारने के चक्कर में जनता को दिन हिन बना रहे हैं । इस बिजली की बढती किमत जनता को कहां ले जाकर मारेगी इसकी कल्पना व्यर्थ है । चांवल 2 रूपये किलो मिल रहा होगा लेकिन उसकी आड में 10 रूपये की बिजली थमा देना कहां का न्याय है । अतः आपसे निवेदन है कि इस मामले को ध्यान में रखते हुए किसी आंदोलन की रूपरेखा तय करें ।
                                                नेताओँ को तो मुफ्त में मिल रही है बिजली उनका इससे कोई लेना देना नही है । पहले तो घटिया मीटर दिये गये जो औसत से ज्यादा खपत दिखा रहे हैं और ऊपर ये अब किमत भी बढा रहे हैं ।
                                               और क्या लिखूं मन में भरी भडास के कारण कुछ समझ नही आ रहा है इसलिये अभी तो बंद करता हूँ फिर लिखूंगा ।

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