कैसे कैसे मंजर साथी देखे हैं इन आंखों ने
सुख की तरस रही,लेकिन दुःख जीभर देखे आंखों ने
पल दो पल की खातिर कोई मन-आंगन में बैठ गया तो
तन्हा अगले पल ही हमको देखा है इन आंखों ने
कुंवर प्रीतम
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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