कहा सुना ।
दिनांकः- 8/8/2011
जैसा कि एक बातचित के दौरान मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि विधेयक को संसद की स्थाई समिति को सौंप दिया है। शायद लोकपाल विधेयक जब पुनः शीतकालीन सत्र मे रक्खा जाएगा उस समय इसके पारित होने की प्रवल संभावना है, लेकिन लोक पाल की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने मे छः माह लगेंगे। एक अन्य प्रश्न के जबाब मे उन्होने कहा कि प्रस्तावित लोकपाल कानून मे सब कुछ नया है इसके लिए देश मे पहली बार एक अलग स्वतंत्र एजेंसी का गठन किया गएगा। लोकपाल का चयन एजेंसी की कमेटी द्वारा किया जाएगा, इस कमेटी मे प्रधान मंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के नेता, और मुख्य न्यायधीश द्वारा नामित न्यायधीश होंगे और यह एजेंसी भ्रष्टाचार के मामलो पर बिना किसी से मंजूरी लिए निडर और बिना पक्षपात के जांच करने मे सक्षम होगी। प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने के जबाव मे उन्होने कहा कि प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे मे लाने से सरकार के कामकाज मे प्रतिकुल प्रभाव पड़ सकता है। सांसदो को इसके दायरे मे रखा गया है लेकिन संसद के भीतर किए जाने वाले आचरण को इसमे शामिल नही किया गया है। एक और प्रश्न के जबाव मे उन्होने यह कहा है कि जहां तक अन्ना हजारे के सिविल सोसाइटी की चालिस प्रावधानों मे से सरकारी लोकपाल विधेयक मे चौतिस प्रावधानो को मान लिया गया है केवल छह प्रावधानो को छोड़ दिया गया है। आखिर सवाल के जबाब मे उन्होंने कहा कि वैसे तो सरकारी लोकपाल कानून से उच्च नौकरशाही और राजनीति मे व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकेगा। लेकिन जहा तक भ्रष्टाचार समाप्त होने की बात है, यह एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है इसकी लड़ाई समाज के हर व्यक्ति को लड़ना पड़ेगा। यहां एक प्रश्न उठना लाजमि है कि जब प्रधान मंत्री के पद को लोकपाल के दायरे मे लाने के बजाए इस स्वतंत्र कमेटी मे ही रक्खा गया है तब लोकपाल को मंजूरी लेने ,डर और पक्षपात जैसे बातो की कोई औचित्य नजर नही आता है ? जहां तक संसद के भीतर आचरण की बात है इसको भी बाहर रखने का कारण सरकारों को खुद ही अपने ही सांसदो पर भरोसा नही है कि कब, कौन और कैसे क्या कर जाए पता नही है। जहां तक बात आती है न्यायपालिका की जब हमारे देश का नागरिक सांसदो, मंत्रीयो को और उच्चय पदासिन लोगों को घुस देकर अपने सही पद को पाने की इच्छा की पूर्ती करेंगे तो यह स्वाभाविक ही है कि अपने पद पर पहुंचते ही पहले उस धन की उगाही करने की सोचेंगे। मतलब यह कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी आगे भी सुचारु रुप से भविष्य मे भी जारी रहने का संकेत मानव संसाधन मंत्री जी ने दे दिया है। सरकार के लोकपाल मे जिन छह मुद्दो को शमिल नही किया गया है वास्तव मे यह 6 प्राविधान ही पुरे लोक पाल विल की मजबूती है। आख़िरकार यही कहना और सुनना पड़ेगा कि हमे आने वाले भविष्य मे इस भ्रष्टाचारी रुपी दलदल मे ही अपना सम्पूर्ण जिवन गुजारना पड़ेगा आने वाले समय मे दूर-दूर तक आशा की कोई किरण नजर नही आ रही है।
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