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9.3.12

होली के दिन जब दिल खिल जाते हैं..

शंकर जालान




होली के दिन जब दिल खिल जाते हैं.., रंग बरसे भीगे चुनर वाली.., होली आई रे कन्हाई.., जग होली ब्रज होला...आदि गीतों की ऐसी पंक्तियां हैं, जिसे सुनते ही होली के त्योहार की कल्पना से मन झूम उठता है। अब जब मार्च महीना शुरू हो गया है और होली में दो दिन ही बाकी बचे हैं। इस लिहाज से बाजारों में होली के सामान की दुकानें सज गई हैं। इस बार बाजार में चाइना से आयातित होली के सामान की बहुत सी किस्म मौजूद है और वो भी देखने में आकर्षक व सस्ती। होली पर शहर का माहौल रंगीन होने लगा है। क्या बच्चे, क्या युवा और क्या महिलाएं सभी होली की तैयारियों में जुट गए हैं। बाजार भी होली के रंगों और पिचकारियों से सज चुके हैं।
इन दिनों महानगर समेत आसपास के जिलों के बाजार होली से संबंधित सामग्री से पटे पड़े हैं। इन बाजारों में चाइना में बनी पिचकारियों का ही दबदबा है। छोटे बच्चे से लेकर बड़े और हर वर्ग के लिए पिचकारी उपलब्ध है। छोटे बच्चों के लिए म्यूजिकल पिचकारी, मिक्की माउस, स्पाईडर मैन, फिश, ऐनक व डायनासोर की आकृति में बनी पिचकारियां बिक रही हैं। वहीं, बड़ों के लिए बड़े-बड़े टैंकर जैसी पिचकारियों से बाजार पटा पड़ा है। खास बात यह है कि इस बार स्टील व पीतल से बनी पिचकारी न के बराबर ही है। बाजार में प्लास्टिक से बनी पिचकारी ही अत्याधिक देखने को मिल रही है, जिनकी कीमत 20 रुपए से लेकर पांच सौ रुपए तक है।
बड़ाबाजार में होली की सामग्री बेच रहे एक दुकानदान ने बताया कि होली में गुब्बारे तो हर बार ही देखने को मिलते हैं, पर इस बार रंग-बिरंगे गुब्बारों की पैकिंग के साथ एक टैप भी मिल रही है, जिसे नल पर चढ़ा कर गुब्बारों में आसानी से पानी भरा जा सकता है। इन गुब्बारों के पैकेट की कीमत 30 रुपए से शुरू होती है। उन्होंने बताया कि एक पैकेट पर 50 गुब्बारें होते हैं।
नूतन बाजार स्थित पिचकारी दुकान के मालिक का कहना है कि होली के सामान में इस बार अत्याधिक चाइना में बना सामान ही आया है, जिसकी खासियत सस्ता होना व कलरफुल लुक होना है। उन्होंने बताया कि होली में अब दो दिन ही बचे हैं, इसीलिए ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बच्चों में फिश व ऐनक स्टाइल की पिचकारी खरीदने का रूझान देखने को मिल रहा है।
व्यापारियों के मुताबिक संगठित क्षेत्र नहीं होने के कारण होली के बाजारों का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं होता है, लेकिन एकअनुमान के तौर पर होली के उत्पादों का बाजार देश भर में पांच हजार करोड़ रुपए का है। जबकि कारोबारियोंका अंदाजा है कि इस साल होली के दौरान देश भर में दो हजार करोड़ रुपए के रंगों को घोल दिया जाएगा। पिछले चार-पांच सालों में लोगों की पिचकारियों में हर्बल कलर ने भी अपनी खास जगह बनाई है। हालांकि इस बाजार में चाइना की हिस्सेदारी भी बढ़ती जा रही है। व्यापारियों का कहना है कि कम कीमत होने के कारण ग्रामीण इलाकों में चाइना से आयातित सामग्री की मांग बढ़ती जा रही है। रसायन व्यापार संघ के मुताबिक सिर्फ कोलकाता में पांच से छह करोड़ रुपए के रंगों की बिक्री होने का अनुमान है।

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