"अश्रु भरे इन आँखों में, मुस्कानों का डेरा जाने कब होगा,
उम्मीदों के घोंसले में, खुशियों का बसेरा जाने कब होगा,
उजालों की ये किरणें तो रोज छिटक आती हैं कमरों में,
पर इस घर में, इस जिंदगी में, सवेरा जाने कब होगा !"
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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