उत्तरी भारत में कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है. देव धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है. इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है. इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है. धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए. इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती है.
धनतेरस का महत्व
साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है. सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है. साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है.
धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था. धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है. धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है.
धन तेरस पूजा मुहूर्त
1. प्रदोष काल:-
सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है. प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है.
दिल्ली में 9 नवम्बर 2015 सूर्यास्त समय सायं 17:28 तक रहेगा. इस समय अवधि में स्थिर लग्न 17:51 से लेकर 19.47 के मध्य वृषभ काल रहेगा. मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
2. चौघाडिया मुहूर्त:-
9 नवंबर 2015, सोमवार
अमृ्त काल मुहूर्त 04:30 से 18:00 तक
चर काल 18:00 से लेकर 19:30 तक
लाभ काल 22:30 से 24:00 तक
उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है.
सांय काल में शुभ महूर्त
17:24 से 20:07 तक का समय धन तेरस की पूजा के लिये विशेष शुभ रहेगा.
धनतेरस में क्या खरीदें
लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.
इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.
धन तेरस पूजन
धन तेरस पूजन
-------------------
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें और पूर्व की ओर मुखकर बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धनवंतरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवंतरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
इसके बाद पूजन स्थल पर चावल चढ़ाएं और आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान धनवंतरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवेद्य लगाएं। अब दोबारा आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। धनवंतरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी अर्पित करें।
रोगनाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।
अब भगवान धनवंतरि को श्री फल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजन के अंत में कर्पूर आरती करें।
कुबेर की पूजा:
----------------
धनतेरस पर आप धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करके अपनी दरिद्रता दूर कर धनवान बन सकते हैं। धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने का यह सबसे अच्छा मौका है। यदि कुबेर आप पर प्रसन्न हो गए तो आप के जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहेगी। कुबेर को प्रसन्न करना बेहद आसान है। धन-सम्पति की प्राप्ति हेतु घर के पूजास्थल में एक दीया जलाएं। मंत्रो‘चार के द्वारा आप कुबेर को प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए पारद कुबेर यंत्र के सामने मंत्रो‘चार करें। यह उपासना धनतेरस से लेकर दीवाली तक की जाती है। ऐसा करने से जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता, दरिद्रता का नाश होता है और व्यापार में वृद्धि होती है।
कुबेर का मंत्र:
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यादिपतये।
धनधान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।।
यम की पूजा:
--------------
माना जाता है कि धनतेरस की शाम जो व्यक्ति यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आंगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं और उनकी पूजा करके प्रार्थना करते हैं कि वह घर में प्रवेश नहीं करें और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।
दीपदान करते समय यह मंत्र पढ़ें -
मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतामिति।। ओम यमाय नम:।।
लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए...
-------------------------------
लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए अष्टदल कमल बनाकर कुबेर, लक्ष्मी एवं गणेश जी की स्थापना कर उपासना की जाती है। इस अनुष्ठान में पांच घी के दीपक जलाकर और कमल, गुलाब आदि पुष्पों से उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करना लाभप्रद होता है। इसके अलावा ओम् श्रीं श्रीयै नम: का जाप करना चाहिए।
जिन जातकों को धन का अभाव हो, वे इस दिन चांदी के गणेश, लक्ष्मी या सिक्का अवश्य खरीदें तथा दीपावली के दिन उनकी पूजा करें, तो वर्ष भर धन दौलत से परिपूर्ण होता है। कुबेर यंत्र और श्री यंत्र की पूजा करना भी शुभ है। धनतेरस के दिन घर में नई चीज, खासकर चांदी बर्तन और सोना-चांदी खरीदकर लाने की पारंपरिक रिवाज है। इस दिन धन का अपव्यय नहीं किया जाता है।
इस दिन लोग व्यापार में भी उधार के लेन-देन से बचते हैं। सायंकाल महाप्रदोषकाल में यमराज की प्रसन्नता के लिए 111 दिये का दान करना श्रेष्ठ होता है। यह दीपदान वैसे तो बहते पानी में किया जाता है, लेकिन आजकल जलाभाव के कारण चारदीवारी या खाली स्थान या चबूतरे में रखकर भी दीपदान किया जा सकता है। इस दिन धन्वंतरि जयंती पर विशेष रूप से बनाए गए आसव, अर्क, शक्तिवर्धक चूर्ण, चरणामृत, च्यवनप्राश आदि इष्ट-मित्रों को प्रसाद रूप में बांटे जाते हैं।
धनतेरस की कथा
एक किवदन्ती के अनुसार एक राज्य में एक राजा था, कई वर्षों तक प्रतिक्षा करने के बाद, उसके यहां पुत्र संतान कि प्राप्ति हुई. राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी.
ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ, ओर ऎसी घटना से बचने के लिये उसने राजकुमार को ऎसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी, राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, और उन्होने आपस में विवाह कर लिया.
ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें. यमदूत को देख कर राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी. यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा की इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताईयें. इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में जो प्राणी मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा. तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है.
Jai Shree Krishna
Thanks,
Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)
17.10.15
धन तेरस, सोमवार, कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष 9 नवम्बर, 2015
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment