संजय सक्सेना, लखनऊ
भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके कांगे्रस के टिकट पर पटना साहिब से और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा के गठबंधन प्रत्याशी के रूप में लखनऊ से चुनाव लड़ने की खबर लगभग पक्की हो गई है, लेकिन पूनम सिन्हा के लिए जीत के हालात वैसे नहीं बन पाए हैं जैसे उनके पति और गुजरे जमाने के नायक और खलनायक शत्रुघ्न सिन्हा सोचते थे। बॉलीवुड में शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना साहिब में अपना टिकट पक्का होने के बाद लखनऊ में अपनी पत्नी पूनम सिन्हा के लिए सियासी गोटियां बेहद खूबसूरती से बिछाई थी, अगर उनकी गोटी पिटती नहीं तो सिन्हा परिवार में एक नहीं, दो-दो सांसद हो जातें।
मगर कांग्रेस ने शत्रुघ्न पर इतनी मेहरबानी करना उचित नहीं समझा और उसने शाटगन को ठेंगा दिखाते हुए लम्बे समय से लखनऊ से चुनाव लड़ने की की चर्चा में छाए रहे आचार्य प्रमोद कृष्णन का टिकट तुरंत घोषित कर दिया। पूनम सिन्हा के चुनाव लड़ने की खबर आने के बाद कांग्रेस को आर्चाय का नाम फायनल करने में 24 घंटे भी नहीं लगे। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक रविदास महरोत्रा ने तो यहां तक कह दिया है कि पूनम 18 को नामंकन करेंगी, लेकिन अभी समाजवादी पार्टी की तरफ से इस संबंध में कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है।
बताते चलें शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा ने कल लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सांसद डिम्पल यादव की उपस्थिति में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी। उनको लखनऊ से गठबंधन का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। लखनऊ में पांचवें चरण के दौरान 6 मई को मतदान होना है। नामांकन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल है। सूत्र बताते हैं कि पूनम सिन्हा के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद अब लखनऊ से उनके गठबंधन का उम्मीदवार के रूप में नामांकन करना ही शेष रह गया है।
समाजवादी पार्टी के नेता तथा पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने बताया कि पूनम सिन्हा लखनऊ से सपा-बसपा-रालोद की संयुक्त प्रत्याशी होंगी। लखनऊ में राजनाथ सिंह के कल नामांकन के बाद गठबंधन ने पूनम सिन्हा के रूप में अपना दांव खेला है। पूनम सिन्हा को टिकट मिलना कोई संयोग नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान उन्होंने पूनम के लिए लोकसभा सीट का टिकट मांगा था। समाजवादी पार्टी चाहती थी कि पहले शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो जाएं, ताकि लखनऊ सीट से विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार मैदान में हो।
बहरहाल, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी और शत्रुघ्न सिन्हा की उम्मीदों को ठेंगा दिखाते हुए लखनऊ से आचार्य प्रमोद कृष्णन को टिकट दे दिया। आचार्य प्रमोद कृष्णन कल्कि पीठाधीश्वर हैं और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर संभल से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें मात्र 16 हजार वोट मिले थे और वह पांचवे स्थान पर रहे थे। आचार्य प्रमोद कृष्णन को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्टार प्रचारक की तरह उतारा था। सॉफ्ट हिन्दुत्व के मुद्दे को धार देने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की काट के लिए इन तीनों प्रदेशों में प्रमोद कृष्णन की खूब सभाएं करवाई गई थीं। वह अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर खुलकर हमले बोलते हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णन ट्विटर पर भी काफी सक्रिय रहते हैं।
लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार संजय सक्सेना की रिपोर्ट.
भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके कांगे्रस के टिकट पर पटना साहिब से और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा के गठबंधन प्रत्याशी के रूप में लखनऊ से चुनाव लड़ने की खबर लगभग पक्की हो गई है, लेकिन पूनम सिन्हा के लिए जीत के हालात वैसे नहीं बन पाए हैं जैसे उनके पति और गुजरे जमाने के नायक और खलनायक शत्रुघ्न सिन्हा सोचते थे। बॉलीवुड में शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना साहिब में अपना टिकट पक्का होने के बाद लखनऊ में अपनी पत्नी पूनम सिन्हा के लिए सियासी गोटियां बेहद खूबसूरती से बिछाई थी, अगर उनकी गोटी पिटती नहीं तो सिन्हा परिवार में एक नहीं, दो-दो सांसद हो जातें।
मगर कांग्रेस ने शत्रुघ्न पर इतनी मेहरबानी करना उचित नहीं समझा और उसने शाटगन को ठेंगा दिखाते हुए लम्बे समय से लखनऊ से चुनाव लड़ने की की चर्चा में छाए रहे आचार्य प्रमोद कृष्णन का टिकट तुरंत घोषित कर दिया। पूनम सिन्हा के चुनाव लड़ने की खबर आने के बाद कांग्रेस को आर्चाय का नाम फायनल करने में 24 घंटे भी नहीं लगे। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक रविदास महरोत्रा ने तो यहां तक कह दिया है कि पूनम 18 को नामंकन करेंगी, लेकिन अभी समाजवादी पार्टी की तरफ से इस संबंध में कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है।
बताते चलें शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा ने कल लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सांसद डिम्पल यादव की उपस्थिति में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी। उनको लखनऊ से गठबंधन का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। लखनऊ में पांचवें चरण के दौरान 6 मई को मतदान होना है। नामांकन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल है। सूत्र बताते हैं कि पूनम सिन्हा के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद अब लखनऊ से उनके गठबंधन का उम्मीदवार के रूप में नामांकन करना ही शेष रह गया है।
समाजवादी पार्टी के नेता तथा पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने बताया कि पूनम सिन्हा लखनऊ से सपा-बसपा-रालोद की संयुक्त प्रत्याशी होंगी। लखनऊ में राजनाथ सिंह के कल नामांकन के बाद गठबंधन ने पूनम सिन्हा के रूप में अपना दांव खेला है। पूनम सिन्हा को टिकट मिलना कोई संयोग नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान उन्होंने पूनम के लिए लोकसभा सीट का टिकट मांगा था। समाजवादी पार्टी चाहती थी कि पहले शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो जाएं, ताकि लखनऊ सीट से विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार मैदान में हो।
बहरहाल, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी और शत्रुघ्न सिन्हा की उम्मीदों को ठेंगा दिखाते हुए लखनऊ से आचार्य प्रमोद कृष्णन को टिकट दे दिया। आचार्य प्रमोद कृष्णन कल्कि पीठाधीश्वर हैं और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर संभल से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें मात्र 16 हजार वोट मिले थे और वह पांचवे स्थान पर रहे थे। आचार्य प्रमोद कृष्णन को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्टार प्रचारक की तरह उतारा था। सॉफ्ट हिन्दुत्व के मुद्दे को धार देने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की काट के लिए इन तीनों प्रदेशों में प्रमोद कृष्णन की खूब सभाएं करवाई गई थीं। वह अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर खुलकर हमले बोलते हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णन ट्विटर पर भी काफी सक्रिय रहते हैं।
लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार संजय सक्सेना की रिपोर्ट.
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