चरण सिंह राजपूत
जो लोग यह सोच रहे हैं कि देश में कुछ अच्छा होने जा रहा है वह भूल जाएं। रेप, गैंगरेप हत्या और उसके बाद जलाने के मामले में देश में तमाम बवाल मचने के बावजूद, संसद और राज्य सभा में सासंदों के चिल्लाने के बावजूद उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र में गैंगरेप की पीड़िता को पांच लोगों ने जिंदा जलाने की कोशिश की। हालांकि सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिये गये हैं पर यह वारदात यह दर्शाती है कि आरोपियों के मन में किसी कानून या फिर समाज का कोई भय रह नहीं गया है। यह भी कहा जा सकता है कि कानून को ताक पर रखकर बहू-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले लोग हर जिम्मेदार तंत्र को ठेंगा दिखा रहे हैं। कौन हैं इस मानसिकता का जिम्मेदार?
हैदाराबाद में पशु चिकित्सक का गैंगरेप के बाद जला देने की घटना को लेकर देश में मचा बवाल अभी थमा नहीं कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गैंगरेप की पीड़ितो को जलाने की कोशिश की गई। मतलब यह कानून, शोर-शराबा, लोकसभा, राज्यभा, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री या फिर दूसरे जिम्मेदार पदाधिकारियों के साथ ही जिम्मेदार तंत्र किसी का अब इन अपराधियों के मन में कोई भय नहीं रह गय है।
उन्नाव में घटी यह घटना यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं बलात्कारियों को सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोगों का संरक्षण मिल रहा है। यह अपने आप में पुलिस व्यवस्था पर उंगली उठाने की बात है कि लड़की की तरफ से आरोप था कि शादी का झांसा देकर दो लोगों ने उससे गैंगरेप किया। इन दोनों आरोपियों का नाम पेट्रोल डालकर जलाने की घटना में भी शामिल है। मतलब गैंगरेप करने के बाद उनको अभी तक अपनी गलती का एहसास कराने वाला कोई नहीं मिला है। इधर, पीड़िता के परिवार का कहना है कि जेल से छूटकर आए आरोपी पिछले दो दिनों से उन्हें धमकी दे रहे थे। मतलब पुलिस से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
दरअसल सत्ता के मद में राजनेता इतने मदमस्त हो चुके हैं कि उन्हें न समाज की चिंता है, न ही देश की और न ही बहू-बेटियों की इज्जत की। उन्हें तो किसी भी तरह से सत्ता चाहिए। वह बात दूसरी है कि उस सत्ता को दिलाने में कोई बलात्कारी सहयोग कर रहा है, कोई रिश्वतखोर सहयोग कर रहा है या फिर कोई लुटेरा उससे उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। यदि ये लोग इन लोगों की मदद से सत्ता पाएंगे तो फिर अपराध करने से कैसे रोकेंगे ?
यह केंद्र सरकार के साथ ही राज्यों सरकारों व समाज के ठेकेदारोंं के मुंह पर तमाचा है कि तमाम प्रयास के बावजूद रेप, गैंगरेप और पीड़िताओं को जलाने की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। यदि इसके कारणों पर जाएंगे तो यह ही पाएंगे कि रेप करने वाले, पीड़िताओं को जलाने वाले ये सब वे लोग हैं जिन्हें कहीं न कहीं से गलत काम में संरक्षण मिल रहा है। वह संरक्षण राजनीतिक भी हो सकता है, सामाजिक भी होसकता है, आर्थिक भी हो सकता है या फिर किसी नौकरशाह का भी हो सकता है।
कुल मिलाकर आज पैदा हुए अराजकता के माहौल में यह कहा जा सकता है कि देश में बाढ़ ही फसल को खा रही है। मतलब जो तंत्र देश और समाज की सुरक्षा के लिए बने थे वे ही देेश और समाज के भक्षक हो गये हैं। लगातार बढ़ रही रेप, गैंगरेप और पीड़िताओं की जलाने की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि देश में अब किसी को किसी तंत्र से कोई भय नहीं रह गया है। इसके जिम्मेदार कौन हैं ? निश्चित रूप से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
दरअसल देश में राजनीतिक दलों का एकमात्र एजेंडा यह है कि किसी भी तरह से सत्ता हासिल कर ली जाए और फिर जनता के खून-पसीने की कमाई पर अय्याशी की जाए। इस अय्याशी में किसी गरीब का घर बर्बाद हो, किसी की बहू-बेटी की इज् जत लूटी जाए। इससे इन लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। यही स्थिति नौकरशाह की है कि किसी भी तरह से राजनेताओं को सेट कर लूट-खसोट की संपत्ति को बचाने के साथ ही अपनी नौकरी सुरक्षित कर ली जाए।
समाज का आईना कहे जाने वाला मीडिया तो अब पूंजपीतियों, राजनेताओं और नौकरशाह की चाटुकारिता तक सीमित रह गया है। व्यापार जो आगे बढ़ाना है। जनता इन सबके आगे है। हर किसी को अपना स्वार्थ सिद्ध करना है। वह बात दूसरी है कि उस स्वार्थ में उसके ही किसी पड़ौसी, अपने या फिर रिश्तेदार की बहू-बूटियों की इज्जत भी नीलाम हो जाए । जब हर कोई अपने तक सीमित रह गया है। देश और समाज की चिंता करने वाले को बेवकूफ औेर जिम्मेदारियों से भागने बताये जाने लगा है तो यह मंजर तो सामने आएगा ही।
देश में कितने लोग हैं जो आगे बढ़कर देश और समाज की चिंता कर रहे हैं। कितने लोग हंै जो देश और समाज की चिंता करने वाले लोगों को समझ रहे हैं। उनकी मदद कर रहे हैं या फिर उनकी हौंसलाअफजाई कर रहे हैं। उनकी भावनाओं को समझ रहे हैं ? आज की तारीख में समाज की स्थिति तो यह हो गया है कि यदि कहीं पर कोई गलत बात का बात विरोध करता है तो सब उसको ही चुप करा देते हैं। वह बात दूसरी है कि जब वह गलत काम अपने साथ हो रहा होता है तो फिर समाज को कोसना शुरू हो जाता है।
देश और समाज की चिंता करने वाले लोग बलात्कारियों, अराजक और देश का नुकसान करने वाले लोगों के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों को अपने घर से ही सहयोग नहीं मिल रहा है। उल्टा उपके घर के ही लोग उनके इस काम में रोड़ा बनने लगने लगते हैं। हर किसी को पैसा चाहिए। भले ही वह पैसा किसी भी तरह से कमाया जाए । यदि समाज की यह मानसिकता होगी तो प्रभावशााली लोग तो बहू-बेटियों की इज्जत से खेलेगी ही। यदि वे विरोध करेंगी तो उनकी हत्या करेंगे ही। उनको जलाएंगे ही।
यदि लोग चाहते हैं कि देश में इस तरह की वारदातें रुकें तो सरकारों और पुलिस प्रशासन पर भरोसा करना बंद करना होगा। समाज के जो लोग इस व्यवस्था से लड़ रहे हैं उनको सहयोग देना होगा। खुद अन्याय के खिलाफ आगे आना होगा। अन्याय का विरोध करने वाले लोगें की की हौसला अफजाई करनी होगी। जब तक समाज में गलत काम करने वालों में किसी तरह कोई भय पैदा नहीं होगा तब तक इस तरह की वारदातें नहीं रुक सकती हैं।
यदि आप राजनीतिक दलों, पूंजपीतियों और नौकरशाह की मानसिकता पर सर्वेेे तो थोड़ी सी पॉवर, थोड़ा सा पैसा या फिर थोड़ा सा रुतबा आने पर इन लोगोंं को अय्याशी चाहिए। यही हाल मीडिया या फिर न्यायपालिका का है। यदि संविधान की रक्षा के लिए बनाए गए तंत्रों का यह हाल है तो कौन सुरक्षा देगा समाज को ? ताबड़तोड़ हो रही रेप, गैंगरेप और पीड़िताओं को जलाने घटना यही दर्शाती हैं तो जिन लोगों पर समाज की सुरक्षा की की जिम्मेदारी हैं वे ही लोग इन वारदातों को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं। कौन जिम्मेदार है इन घटनाओं का ? कौन जिम्मेदार है इन घटनाओं को रुकने न देने का ?
दरअसल पैसा आदमी की जिंदगी में इतना हावी हो गया है कि उसे पैसे के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है । यदि कोई आदमी घर बेचकर भी किसी के लिए कुछ कर दे और वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उसको कोई समझने वाला नहीं है। यदि कोई प्रभावशाली और आर्थिक रूप से मजबूत व्यक्ति किसी के घर में घुसकर उसकी बहू-बेटियों पर कुदृष्टि डालता हेै। या फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उनकी इज् जत से खिलवाड़ कर रहा है तो घर के लोग उसे सम्मान दे रहे हैं कि उससे उनके कुछ काम निकल रहे हैं या फिर निकल सकते हैं। यदि यह माहौल समाज के जिम्मेदार लोगों ने बना दिया है तो इस तरह की घटनाएं कैसे रुकेंगे ? क्या आज की किसी राजनीतिक दल को रेप, गैंगरेप पीड़िता की चिंता है ? चिंता इस बात की है कि किसी तरह से इन वारदातों के माध्मय से सत्ता हासिल कर ली जाए और फिर सत्ता में बैठकर अपने धंधे को चमकाया जाए जमकर अय्याशी की जाए।
CHARAN SINGH RAJPUT
charansraj12@gmail.com
जो लोग यह सोच रहे हैं कि देश में कुछ अच्छा होने जा रहा है वह भूल जाएं। रेप, गैंगरेप हत्या और उसके बाद जलाने के मामले में देश में तमाम बवाल मचने के बावजूद, संसद और राज्य सभा में सासंदों के चिल्लाने के बावजूद उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र में गैंगरेप की पीड़िता को पांच लोगों ने जिंदा जलाने की कोशिश की। हालांकि सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिये गये हैं पर यह वारदात यह दर्शाती है कि आरोपियों के मन में किसी कानून या फिर समाज का कोई भय रह नहीं गया है। यह भी कहा जा सकता है कि कानून को ताक पर रखकर बहू-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले लोग हर जिम्मेदार तंत्र को ठेंगा दिखा रहे हैं। कौन हैं इस मानसिकता का जिम्मेदार?
हैदाराबाद में पशु चिकित्सक का गैंगरेप के बाद जला देने की घटना को लेकर देश में मचा बवाल अभी थमा नहीं कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गैंगरेप की पीड़ितो को जलाने की कोशिश की गई। मतलब यह कानून, शोर-शराबा, लोकसभा, राज्यभा, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री या फिर दूसरे जिम्मेदार पदाधिकारियों के साथ ही जिम्मेदार तंत्र किसी का अब इन अपराधियों के मन में कोई भय नहीं रह गय है।
उन्नाव में घटी यह घटना यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं बलात्कारियों को सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोगों का संरक्षण मिल रहा है। यह अपने आप में पुलिस व्यवस्था पर उंगली उठाने की बात है कि लड़की की तरफ से आरोप था कि शादी का झांसा देकर दो लोगों ने उससे गैंगरेप किया। इन दोनों आरोपियों का नाम पेट्रोल डालकर जलाने की घटना में भी शामिल है। मतलब गैंगरेप करने के बाद उनको अभी तक अपनी गलती का एहसास कराने वाला कोई नहीं मिला है। इधर, पीड़िता के परिवार का कहना है कि जेल से छूटकर आए आरोपी पिछले दो दिनों से उन्हें धमकी दे रहे थे। मतलब पुलिस से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
दरअसल सत्ता के मद में राजनेता इतने मदमस्त हो चुके हैं कि उन्हें न समाज की चिंता है, न ही देश की और न ही बहू-बेटियों की इज्जत की। उन्हें तो किसी भी तरह से सत्ता चाहिए। वह बात दूसरी है कि उस सत्ता को दिलाने में कोई बलात्कारी सहयोग कर रहा है, कोई रिश्वतखोर सहयोग कर रहा है या फिर कोई लुटेरा उससे उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। यदि ये लोग इन लोगों की मदद से सत्ता पाएंगे तो फिर अपराध करने से कैसे रोकेंगे ?
यह केंद्र सरकार के साथ ही राज्यों सरकारों व समाज के ठेकेदारोंं के मुंह पर तमाचा है कि तमाम प्रयास के बावजूद रेप, गैंगरेप और पीड़िताओं को जलाने की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। यदि इसके कारणों पर जाएंगे तो यह ही पाएंगे कि रेप करने वाले, पीड़िताओं को जलाने वाले ये सब वे लोग हैं जिन्हें कहीं न कहीं से गलत काम में संरक्षण मिल रहा है। वह संरक्षण राजनीतिक भी हो सकता है, सामाजिक भी होसकता है, आर्थिक भी हो सकता है या फिर किसी नौकरशाह का भी हो सकता है।
कुल मिलाकर आज पैदा हुए अराजकता के माहौल में यह कहा जा सकता है कि देश में बाढ़ ही फसल को खा रही है। मतलब जो तंत्र देश और समाज की सुरक्षा के लिए बने थे वे ही देेश और समाज के भक्षक हो गये हैं। लगातार बढ़ रही रेप, गैंगरेप और पीड़िताओं की जलाने की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि देश में अब किसी को किसी तंत्र से कोई भय नहीं रह गया है। इसके जिम्मेदार कौन हैं ? निश्चित रूप से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
दरअसल देश में राजनीतिक दलों का एकमात्र एजेंडा यह है कि किसी भी तरह से सत्ता हासिल कर ली जाए और फिर जनता के खून-पसीने की कमाई पर अय्याशी की जाए। इस अय्याशी में किसी गरीब का घर बर्बाद हो, किसी की बहू-बेटी की इज् जत लूटी जाए। इससे इन लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। यही स्थिति नौकरशाह की है कि किसी भी तरह से राजनेताओं को सेट कर लूट-खसोट की संपत्ति को बचाने के साथ ही अपनी नौकरी सुरक्षित कर ली जाए।
समाज का आईना कहे जाने वाला मीडिया तो अब पूंजपीतियों, राजनेताओं और नौकरशाह की चाटुकारिता तक सीमित रह गया है। व्यापार जो आगे बढ़ाना है। जनता इन सबके आगे है। हर किसी को अपना स्वार्थ सिद्ध करना है। वह बात दूसरी है कि उस स्वार्थ में उसके ही किसी पड़ौसी, अपने या फिर रिश्तेदार की बहू-बूटियों की इज्जत भी नीलाम हो जाए । जब हर कोई अपने तक सीमित रह गया है। देश और समाज की चिंता करने वाले को बेवकूफ औेर जिम्मेदारियों से भागने बताये जाने लगा है तो यह मंजर तो सामने आएगा ही।
देश में कितने लोग हैं जो आगे बढ़कर देश और समाज की चिंता कर रहे हैं। कितने लोग हंै जो देश और समाज की चिंता करने वाले लोगों को समझ रहे हैं। उनकी मदद कर रहे हैं या फिर उनकी हौंसलाअफजाई कर रहे हैं। उनकी भावनाओं को समझ रहे हैं ? आज की तारीख में समाज की स्थिति तो यह हो गया है कि यदि कहीं पर कोई गलत बात का बात विरोध करता है तो सब उसको ही चुप करा देते हैं। वह बात दूसरी है कि जब वह गलत काम अपने साथ हो रहा होता है तो फिर समाज को कोसना शुरू हो जाता है।
देश और समाज की चिंता करने वाले लोग बलात्कारियों, अराजक और देश का नुकसान करने वाले लोगों के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों को अपने घर से ही सहयोग नहीं मिल रहा है। उल्टा उपके घर के ही लोग उनके इस काम में रोड़ा बनने लगने लगते हैं। हर किसी को पैसा चाहिए। भले ही वह पैसा किसी भी तरह से कमाया जाए । यदि समाज की यह मानसिकता होगी तो प्रभावशााली लोग तो बहू-बेटियों की इज्जत से खेलेगी ही। यदि वे विरोध करेंगी तो उनकी हत्या करेंगे ही। उनको जलाएंगे ही।
यदि लोग चाहते हैं कि देश में इस तरह की वारदातें रुकें तो सरकारों और पुलिस प्रशासन पर भरोसा करना बंद करना होगा। समाज के जो लोग इस व्यवस्था से लड़ रहे हैं उनको सहयोग देना होगा। खुद अन्याय के खिलाफ आगे आना होगा। अन्याय का विरोध करने वाले लोगें की की हौसला अफजाई करनी होगी। जब तक समाज में गलत काम करने वालों में किसी तरह कोई भय पैदा नहीं होगा तब तक इस तरह की वारदातें नहीं रुक सकती हैं।
यदि आप राजनीतिक दलों, पूंजपीतियों और नौकरशाह की मानसिकता पर सर्वेेे तो थोड़ी सी पॉवर, थोड़ा सा पैसा या फिर थोड़ा सा रुतबा आने पर इन लोगोंं को अय्याशी चाहिए। यही हाल मीडिया या फिर न्यायपालिका का है। यदि संविधान की रक्षा के लिए बनाए गए तंत्रों का यह हाल है तो कौन सुरक्षा देगा समाज को ? ताबड़तोड़ हो रही रेप, गैंगरेप और पीड़िताओं को जलाने घटना यही दर्शाती हैं तो जिन लोगों पर समाज की सुरक्षा की की जिम्मेदारी हैं वे ही लोग इन वारदातों को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं। कौन जिम्मेदार है इन घटनाओं का ? कौन जिम्मेदार है इन घटनाओं को रुकने न देने का ?
दरअसल पैसा आदमी की जिंदगी में इतना हावी हो गया है कि उसे पैसे के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है । यदि कोई आदमी घर बेचकर भी किसी के लिए कुछ कर दे और वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उसको कोई समझने वाला नहीं है। यदि कोई प्रभावशाली और आर्थिक रूप से मजबूत व्यक्ति किसी के घर में घुसकर उसकी बहू-बेटियों पर कुदृष्टि डालता हेै। या फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उनकी इज् जत से खिलवाड़ कर रहा है तो घर के लोग उसे सम्मान दे रहे हैं कि उससे उनके कुछ काम निकल रहे हैं या फिर निकल सकते हैं। यदि यह माहौल समाज के जिम्मेदार लोगों ने बना दिया है तो इस तरह की घटनाएं कैसे रुकेंगे ? क्या आज की किसी राजनीतिक दल को रेप, गैंगरेप पीड़िता की चिंता है ? चिंता इस बात की है कि किसी तरह से इन वारदातों के माध्मय से सत्ता हासिल कर ली जाए और फिर सत्ता में बैठकर अपने धंधे को चमकाया जाए जमकर अय्याशी की जाए।
CHARAN SINGH RAJPUT
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