Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

28.1.20

यात्रा वृतांत : कई मामलों में बेहद विशेष है पवनार आश्रम






भूदान आंदोलन के प्रणेता विनोबा भावे के कार्यों और विचारों के जीवंत कहानी कहता वर्धा स्थित परमधाम आश्रम (पवनार आश्रम) आज भी जनसेवा में लगा हुआ है । धाम नदी के किनारे निर्मित इस क़रीब 15 एकड़ के क्षेत्रफल में विस्तारित इस आश्रम जाने का अवसर मुझे वर्धा निवास के दौरान प्राप्त होता रहा ।

यह आश्रम सामान्य आश्रमों की अपेक्षा बेहद विशेष व अद्वितीय है । कुछ बातें जो इसे विशिष्ठ बनातीं हैं इस प्रकार हैं -

खंडित मूर्तियों की स्थापना - समान्य तौर पर खंडित मूर्तियों की स्थापना निषेध मानी जाती है लेकिन  आश्रम के निर्माण के दौरान किए गए उत्खनन से 250 ई. से 1200 ई. के बीच विभिन्न कालखंडों से संबंधित कई प्रतिमाएं और मूर्तियाँ सामने आईं, जो आश्रम में स्थापित हैं। इनमें देवी गंगा की मूर्तियों सहित महाभारत एवं रामायण जैसे महाकाव्यों के दृश्यों को दर्शाती अन्य मूर्तियां शामिल हैं। इनमें से सबसे आकर्षक भरत मिलन के प्रसंग की प्रतिमा हैं। यहाँ स्थापित कुछ मूर्तियां खंडित भी हैं, जिन्हें उसी अवस्था में प्रदर्शित किया गया है। आश्रम के मार्ग में भगवान विष्णु और भगवान हनुमान को समर्पित दो मंदिर भी विद्यमान हैं ।

सूर्य आधारित घड़ी - यहाँ पर सूर्य के प्रकाश पर आधारित एक घड़ी निर्मित की गयी है, जो को छाया द्वारा समय की जानकारी देती है | इस घड़ी में प्रदर्शित समय कभी भी गलत नहीं होता है  ।

इसके अतिरिक्त यहाँ कई बुजुर्ग साध्वियां भी रहतीं हैं । यहाँ रहने वाली बहुत सी महिलाएं परित्यक्ता, विधवा व कई प्रकार की समस्याओं से पीड़ित हैं। इन्होंने भौतिक दुनिया से अलग यहाँ रहने का निर्णय लिया । ये महिलाएं इसे आश्रम नहीं ब्रह्म विद्या मंदिर कहती हैं। मैं आश्रम में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला से मिला। जो स्वाभाव से स्नेहिल व मिलनसार थीं। उनसे मुझे भूदान आन्दोलन के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुईं। विनोबा भावे गौ सेवा को बड़ा महत्व देते थे | इस आश्रम में एक बड़ा गौ पालन केंद्र भी है | जहाँ विचरती बेहद स्वस्थ व आकर्षक गौ वंश यहाँ हो रही गोसेवा को खुद ब खुद बयां करता है।

विनोबा जी गाँधी जी से अत्यधिक प्रभावित थे अतः इस आश्रम से कुटीर उद्योग के माध्यम से उत्पादन पर बल दिया जा रहा है। यहाँ पर कृषि व दुग्ध उत्पादन यहाँ के रहवासियों द्वारा किया जाता है । यहाँ पर स्थित पुस्तकालय में विनोबा जी के विचारों, व्यक्तित्व व कृतित्व से सम्बंधित साहित्य तो मिलता ही है साथ ही साथ आध्यात्म, दर्शन व अन्य जीवनपोयोगी पुस्तकें भी यहाँ मौजूद हैं । यहाँ स्थित विनोबा भावे जी के समाधी स्थल पर लोग बैठकर ध्यान लगाते हैं व आत्म साक्षात्कार करने का प्रयास करते हैं।

आश्रम के एक ओर से कल-कल बहती धाम नदी का सुंदर दृश्य दिखाई पड़ता है। धाम नदी में वर्षा ऋतु में अत्याधित तो सामान्य दिनों में कम जल रहता है। खंडित मूर्तियों के संग्रहण स्थान से एक सीढ़ी नदी की ओर उतरती है।

यहाँ जाने के लिए निकटम हवाई अड्डा नागपुर है तो ट्रेन मार्ग से वर्धा  हावड़ा-मुंबई -नागपुर लाइन से जुड़ा हुआ है । साथ ही  नेशनल हाईवे नंबर 361 (नागपुर-वर्धा-यवतमाल नांदेड़-लातूर-तुलजापुर) यहाँ से होकर गुजरता है । प्रबन्धन की अनुमति मिलने पर यहाँ कुछ दिन ठहरने की भी व्यवस्था का प्रावधान है। यहाँ की जीवन पद्धति को समझने के लिए लोग यहाँ  कुछ दिन व्यतीत करते हैं तथा आश्रम के अनुरूप दिनचर्या का पालन करते हैं।

दुनिया की चकाचौंध से दूर शांति, अध्यात्म व आत्ममंथन की खोज में लगे हुए लोगों के लिए यह एक बेहतर स्थान हो सकता है ।


सक्षम द्विवेदी,
रिसर्च इन डायस्पोरिक सिनेमा,
पता - 20 नया कटरा दिलकुशा पार्क, इलाहबाद,
मो.7380662596

No comments: