29.10.20

मार्केट में बहुतायत में पाए जाने लगे वरिष्ठ पत्रकार...

आज बहुत दिनों के बाद कुछ लिखने का मन हुआ... काफी सोचने पर मन मे ये विचार आया कि आजकल मार्किट में किलो के भाव मे वरिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार देखने को मिल जाते है मन मे खयाल आया कि आखिर ये वरिष्ठ पत्रकार आते कहा है? आखिर ये वरिष्ठ पत्रकार बनते कहा पर है? आखिर ये वरिष्ठ पत्रकार करते क्या है?

नालंदा में जदयू प्रत्याशी के उम्र संबंधी गलत शपथ पत्र को पत्रकारों ने नहीं छापा


नालंदा से  संजय कुमार की रिपोर्ट


बिहारशरीफ ।बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं  हरनौत विधानसभा क्षेत्र  से जदयू  प्रत्यासी हरि नारायण सिंह का उम्र संबंधी गलत शपथ पत्र   मामले में  यहां के पत्रकारों ने निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं की ।जदयू प्रत्याशी द्वारा 2015 के चुनाव में अपना उम्र 75 साल बताए था। परंतु ,20 20 में जो शपथ भरा  गया है ,उसमें उन्होंने अपनी उम्र 73 साल बतायी है। इस संबंधी खबरें सोशल मीडिया पर  तेजी से वायरल हुआ। परंतु, नालंदा का  कोई भी मीडिया कर्मी ने इस समाचार को अपने अखबारों में जगह नही दी। कई लोगों का कहना है कि प्रत्याशी द्वारा खबरें नहीं छापने के एवज में मोटी रकम दी गयी है। जबकि गलत हलफनामे के कारण इनकी सदस्यता , चुनाव जीतने के बाद भी समाप्त हो सकती हैं । आखिर 5 साल उम्र बढ़नी चाहिए थी।परंतु, दो साल उम्र कम हो गयी।

26.10.20

नेशनल वॉइस के कर्मियों को चार माह से नहीं मिली सेलरी

नेशनल वॉइस चैनल मार्च महीने से नॉएडा सेक्टर 65 के B -128 में है.. सर आपको बातना चाहेंगे की इस चैनल के हालत अभी पैसो के मामलो में इतना बुरा हो गया है.. कि यहाँ के किसी भी कर्मचारी को पिछले 4 महीने से पैसा नहीं मिला है। . हालात यहाँ इतना बुरा है की कुछ दिने पहले एक कर्मचारी ने आत्महत्या  करने का प्रयास किया था। . जो भड़ास नामक एक पोर्टल पर इसकी खबर भी छपी थी। . लोगो के अंदर काफी गुस्सा है पर पैसे  फसे होने के कारण कोई कुछ नहीं बोल पा रहा और साथ में यहाँ सभी परेशान है.

BJP की रणनीति-सत्ता के साथ भी और सत्ता के खिलाफ भी!

मधुप मणि “पिक्कू”

कुछ अरसा पहले एक गीत आया था “हम तो मशहूर हुए हैं आपकी चाहत में”. ठीक वैसे हीं नीतीश के प्यार में मशहूर हुई या यूँ कहें कि घुटने के बल बैठने वाली बीजेपी को इस मोहब्बत का सौदा मंहगा पड़ता नजर आने लगा है. 

तेजस्वी के बढ़ते ग्राफ से घबराई बीजेपी ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किया है. जानकारों की माने तो सत्ता विरोधी लहर से खुद को बचाने की कवायद के क्रम में बीजेपी ने सिर्फ नरेन्द्र मोदी की तस्वीर विज्ञापन में दिया है. यह विज्ञापन पहले चरण के चुनाव के ठीक पहले रिलीज़ किया गया.

मीडिया सर्वे की मानें तो एनडीए की वापसी तय है पर वहीँ धरातल पर और चुनावी क्षेत्रों का दौरा कर रहे रिपोर्ट्स की ओर देखें तो कहानी कुछ और बयां कर रही है. तेजस्वी यादव की सभा में लग रही भीड़ से एनडीए खेमे में बेचैनी बढ़ गयी है तो चिराग पासवान के द्वारा नीतीश कुमार से बिहार की जनता की नाराजगी के दावे को भी मजबूती मिल रही है.

PPFA urges PM Modi to pursue with Islamabad on protection of Hindu shrines

Guwahati: Patriotic People's Front Assam (PPFA), while expressing
annoyances over the vandalism at an ancient Durga temple in Sindh
province of Pakistan recently, urged Prime Minister Narendra Modi to
pursue with his counterpart in Islamabad for adequate protection and
preservation of all holy Hindu shrines in the trouble-torn neighboring
country.

मोदी सरकार के खिलाफ भी क्रांति का बीज फूट रहा बिहार की धरती से

सी.एस. राजपूत

नई दिल्ली। बिहार हमेशा से ही बदलाव की धरती रही है। चाहे आजादी की लड़ाई रही हो, कांग्रेस के खिलाफ सोशलिस्टों की हुंकार रही हो, ईमरजेंसी के खिलाफ जेपी का फूंका गया बिगुल हो या फिर सामाजिक बदलाव की पुकार, हर मामले में बिहार की धरती से ही क्रांति का आगाज हुआ है। अब जब देश में अर्थव्यवस्था रसातल में चली गई है। बेरोजगार युवाओं की फौज सडक़ों पर घूम रही है। काम धंधे सब चौपट हो गये हैं। श्रम कानून में संशोधन कर श्रमिकों को कॉरपोरेट घरानों के यहां बंधुआ मजदूर बनाने की तैयारी मोदी सरकार ने कर ली है। किसान कानून बनाकर किसान को उसके ही खेत में मजदूर बनाने का ठेका अडानी और अंबानी को दे दिया गया है। उद्योगपतियों को खाद्याान्न के स्टॉक में छूट देकर देश को ब्लैकमेल करने की छूट प्रधानमंत्री ने दी दी है। जब मोदी सरकार हर संवैधानिक तंत्र को बंधक बनाने पर उतारू है।

चुनावी मौसम में यूपी-बिहार बार्डर पर शराब माफियाओं की सरगर्मी तेज

अजय कुमार, लखनऊ

लखनऊ। विधान सभा चुनाव बिहार में हो रहे हैं लेकिन सक्रियता उत्तर प्रदेश में बढी हुई है। शराब तस्करों और अवैध हथियार के सौदागरों के अचानक ‘अच्छे दिन आ गए’ हैं। बिहार में शराब और हथियार दोनों की ही मांग तेज हुई तो यूपी के शराब माफिया मौके का फायदा उठाने के लिए मैदान में कूद पडे़। यूपी-बिहार सीमा से सटे आधा दर्जन से अधिक जिलों में शराब तस्करों और अवैध हथियारों की खेप कभी पकड़ी जाती है तो कभी पुलिस गच्चा खा जाती है तो ‘माल’ अपने ठिकाने पर पहुंच जाता है। नदी व पगडंडी के रास्ते बिहार में हथियार एवं शराब भेजी जा रही है।इस बात की भनक यूपी पुलिस को भी है। इसीलिए कुशीनगर, देवरिया, बलिया,चंदौली, गाजीपुर,देवरिया,कुशीनगर,महाराजगंज आदि जिलों में बार्डर के थानों पर चैकसी बढ़ी हुई हैं। पगडंडी पर पुलिस पिकेट लगाकर बिहार जाने वाले सभी वाहनों के साथ ही संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी की जाती है ,लेकिन इससे अवैध कारोबारियों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। इन दिनों भी पुलिस ने सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में चुनाव के लिए सतर्कता बढ़ा दी है, फिर भी में बिहार में शराब माफियाओं द्वारा पुलिस पर हमला करने के कई मामले सामने आए हैं। इस महीने की शुरुआत में पटना में पुलिसकर्मियों की पिटाई भी की गई थी, जब वे शराब तस्करी के संदेह पर एक जगह पर छापा मारने गए थे।

ताजमहल में फिर लहराया भगवा

धार्मिक और आर्कोलॉजीकल इमारत को ठेस पहुंचाने से बाज नहीं आ रहे कुछ धार्मिक ठेकेदार ताजमहल में फिर लहराया भगवा

हिंदू जागरण मंच के युवा जिला अध्यक्ष गौरव ठाकुर का वायरल हो रहा वीडियो,

ताजमहल के अंदर की गई शिव आराधना,

वायरल वीडियो के मामले में सामने आए हिंदू जागरण मंच के युवा जिला अध्यक्ष गौरव ठाकुर,

 गौरव ठाकुर का दावा हिंदू आस्था का केंद्र है ताजमहल

ताजमहल को तेजो महालय कह कर निष्पक्ष जांच कराना चाहते हैं  गौरव ठाकुर,

केंद्र सरकार से की है ताज महल को तेजो महालय के तौर पर जांच  की मांग

दलित बनाम बहुजन

एस.आर. दारापुरी आई.पी.एस. (से.नि.) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट

पिछले काफी समय से राजनीति में दलित की जगह बहुजन शब्द का इस्तेमाल हो रहा है. बहुजन अवधारणा के प्रवर्तकों के अनुसार बहुजन में दलित और पिछड़ा वर्ग शामिल हैं. कांशी राम के अनुसार इस में मुसलमान भी शामिल हैं और इन की सख्या 85% है. उन की थ्योरी के अनुसार बहुजनों को एक जुट हो कर 15% सवर्णों से सत्ता छीन लेनी चाहिए. वैसे सुनने में तो यह सूत्र बहुत अच्छा लगता है और इस में बड़ी संभावनाएं भी लगती हैं. परन्तु देखने की बात यह है कि बहुजन को एकता में बाँधने का सूत्र क्या है. क्या यह दलितों और पिछड़ों के अछूत और शुद्र होने का सूत्र है या कुछ और? अछूत और शुद्र असंख्य जातियों में बटे हुए हैं और वे अलग दर्जे के जाति अभिमान से ग्रस्त हैं. वे ब्राह्मणवाद (श्रेष्ठतावाद) से उतने ही ग्रस्त है जितना कि वे सवर्णों को आरोपित करते हैं. उन के अन्दर कई तीव्र अंतर्विरोध हैं. पिछड़ी जातियां आपने आप को दलितों से ऊँचा मानती हैं और वैसा ही व्यवहार भी करती हैं. वर्तमान में दलितों पर अधिकतर अत्याचार उच्च जातियों की बजाये पिछड़ी संपन्न (कुलक) जातियों द्वारा ही किये जा रहे हैं. अधिकतर दलित मजदूर हैं और इन नव धनाडय जातियों का आर्थिक हित मजदूरों से टकराता है. इसी लिए मजदूरी और बेगार को लेकर यह जातियां दलितों पर अत्याचार करती हैं. ऐसी स्थिति में दलितों और पिछड़ी जातियों में एकता किस आधार पर स्थापित हो सकती है? एक ओर सामाजिक दूरी है तो दूसरी ओर आर्थिक हित का टकराव. अतः दलित और पिछड़ा या अछूत और शूद्र होना मात्र एकता का सूत्र नहीं हो सकता. यदि राजनीतिक स्वार्थ को लेकर कोई एकता बनती भी है तो वह स्थायी नहीं हो सकती जैसा कि व्यवहार में भी देखा गया है.  

24.10.20

नए कृषि क़ानून से 62 लाख करोड़ का कारोबार जाएगा अडानी-अंबानी की जेब में

 -चरण सिंह राजपूत-

किसान अपने खेत में ही बनकर रह जाएगा बंधुआ मजदूर


अपनी गलत नीतियों से देश को बेरोजगारी, महंगाई और अवसाद देने के बाद मोदी सरकार ने अब अपने आकाओं को खुश करने के लिए अन्नदाता को तबाह करने  की रणनीति बना ली है। नए कृषि कानून के तहत मोदी सरकार ने एक तरह से देश के शीर्षस्थ उद्योगपतियों को किसानों की फसल का फायदा लेने का  ठेका दे दिया है। जैसे अंग्रेजी शासन में किसानों पर अपनी सोच थोपकर फसल उगवाई जाती थी और उसे कम दामों पर खरीदकर मोटा मुनाफा कमाया जाता था। ठीक उसी प्रकार से इन नए कृषि कानून के चलते देश के पूंजपीति अपनी मर्जी की फसल किसानों से उगवाएंगे और उन्हें कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर कर मोटा मुनाफा कमाएंगे। किसान हैं कि वे अपने ही खेत में बंधुआ बनकर रह जायेंगे।

बसपा के दांव से भाजपा-कांग्रेस-सपा में बढ़ी हलचल

अजय कुमार,लखनऊ

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव हों या फिर कांग्रेस के राहुल गांधी -प्रियंका वाड्रा तीनों को ही बसपा सुप्रीमों मायावती की राजनैतिक शैली रास नहीं आती है। कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी हमेशा से भारतीय जनता पार्टी की धुर विरोधी रहीं हैं और यह दल(सपा- कांग्रेस ) चाहते हैं कि उनकी तरह से मायावती भी भाजपा को अपना दुश्मन नंबर वन मानकर चलें, लेकिन बसपा सुप्रीमों मायावती किसी भी दल को अछूत नहीं मानती हैं। न ही किसी को क्लीन चिट देती हैं। वह सपा-कांगे्रस या फिर भाजपा की सियासत को एक ही तराजू में तौलती हैं। माया जितना हमलावर भाजपा पर रहती हैं उतना ही तीखा हमला वह कांग्रेस-सपा पर भी बोलती हैं। इतना ही नहीं मोदी-योगी सरकार के कुछ अच्छे फैसलों की माया सराहना करने से भी नहीं चूकती हैं। बस, इसी की आड़ लेकर कांगे्रस और सपा नेता बसपा को भाजपा की बी टीम बताने का हल्ला शुरू कर देते हैं। इस हो-हल्ले के पीछे सपा-कांगे्रस का जो डर छिपा रहता है,उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। दोनों ही दलों के नेताओं की कोशिश यही रहती हैं कि बसपा का दलित-मुस्लिम का फार्मूला ‘हिट’ नहीं हो पाए। इसकी तोड़ के लिए बसपा को बीजेपी की बी टीम बताकर मुस्लिम वोटों का रूख अपनी तरफ मोड़ने का प्रयास यह दल करते हैं,लेकिन मायावती भी कच्ची सियासतदार नहीं हैं। वह कांगे्रस-सपा को आइना दिखाने का कोई मौका छोड़ती नहीं हैं। राज्यसभा चुनाव में भी मायावती ने अपना प्रत्याशी उतार कर यही ‘चाल’ चली है। माया के इस दांव की काट करना कांगे्रस और सपा के लिए आसान नहीं होगा।

गांधी पर सबसे बेहतरीन गांधी हैं - रमाशंकर सिंह

 

हिन्दू कालेज में गांधी पर वेबिनार 

 

दिल्ली। गांधी को लेकर, युवाओं के मन में दो तरह की बातें हैं ;एक तो गांधी को लेकर युवाओं के मन में बेचैनी है और दूसरा कई सवाल हैं। साथ ही युवाओं के बीच गांधी को लेकर बहुत ज्यादा सामग्री है, जो इस नए तरह के मीडिया द्वारा रोज परोसी जाती है, और इस तरह से गांधी की अच्छी - बुरी,कमतर या हीन छवि यह मीडिया निर्मित करता है। सुपरिचित अध्येता रमाशंकर सिंह ने उक्त विचार हिन्दू कालेज के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किये। 

कोयला चोरी के मामले में भाजपा विधायक के बेटे का नाम आने से मचा हड़कंप

 
S.k.kushwaha


आरोपी चालक का वीडियो वायरल, वायरल वीडियो में ड्राईवर ले रहा विधायक के बेटे का नाम

सिंगरौली: मध्यप्रदेश का सिंगरौली जिला औद्योगिक नगरी के लिए विश्व विख्यात है तो वही जिले के औद्योगिकीकरण को लेकर जिले में अवैध कार्यों में संलिप्त लोगों के मंसूबों का अंदाजा आप इन्हीं बातों से लगा सकते हैं की दिनदहाड़े औद्योगिक इकाइयों से कोयला कबाड़ डीजल का अवैध कार्य भली-भांति फल फूल रहा है कोयला चोरी का एक मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है जिसमें की कोयले के अवैध कार्यों में संलिप्त सफेद पोस की सरपरस्ती भी नजर आ रही है । संबंधित मामले से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें की राजनैतिक गठजोड़ की बात सामने आ रही है ।

23.10.20

DM, SP और पत्रकारों ने उड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई

आदित्य कुमार दुबे
 

बेतीया।कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने और लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन को जारी रखा है । लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है, लेकिन  बिहार के बेतिया  में सरकार के अधिकारी  और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों ने इसे ताख पर रखकर बेतिया DMऔर SP से बाइट लिया।

बिके अखबारों की जलाई होली

भू माफिया से पीड़ित लोगों ने महात्मा गांधी जी को सौंपा समाचार पत्रों के खिलाफ ज्ञापन

पन्ना जिले में आए दिन राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा आमवात हो गया है परंतु पन्ना जिला मुख्यालय के गांधी चौक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सौंपा गया ज्ञापन थोड़ा अलग है

देह व्यापार से जुड़े वीडियो के वायरल होने के बाद होटल पर पुलिस ने मारा छापा

ताजनगरी के थाना ताजगंज क्षेत्र के अंतर्गत फतेहाबाद रोड पर स्थित जेपी होटल के सामने राधा ग्राण्ड होटल का नाम बदल कर शिवम होटल में देह व्यापार चलाया जा रहा था। बुधवार की रात को पुलिस ने होटल में छापा मार कार्यवाही की। मौके से पुलिस को होटल में कोई नही मिला।

आर्थिक तंगी से जूझ रहा है एबीपी न्यूज़ बरेली का पत्रकार, बच्चो की फीस पर संकट

कोरोना जैसी महामारी से कोई भी अछूता नहीं है बरेली में तैनात एबीपी न्यूज़ के पत्रकार अनूप मिश्रा इन दिनों आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे है आलम यह है कि वह अपने बच्चो की स्कूल फीस जमा करने में असमर्थ है अनूप पहले समाचार प्लस और एवीपी न्यूज़ में काम करते थे समाचार प्लस बंद हो गया और एवीपी न्यूज़ रीजनल आने के बाद संसथान ने पैसे कम कर दिए जिससे पत्रकार के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है

बंद की कगार पर नेशनल वॉयस, लोगों को नहीं मिल रही सैलरी

फरवरी में जोरो शोरों से शुरू हुआ न्यूज़ चैनल नेशनल वॉयस अब लगभग दम तोड़ चुका है। यहां पर कार्यरत लोग अब आत्महत्या पर उतारू हो रहें है। यहाँ पर अभी तक जुलाई की सैलरी भी नहीं आई है और जिसकी भी सैलरी आती है वो किश्तों में और 20/30 प्रतिशत कट कर आती है।

जागरण ग्रुप के मालिकों द्वारा घोड़े की बला तबेले के सिर डालने का प्रयास!


बिगड़ती है जब किसी ज़ालिम की नीयत
नहीं काम आती दलील और हिक़मत।।

 
जागरण ग्रुप के मालिकों द्वारा घोड़े की बला तबेले के सिर डालने का प्रयास!
किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि जब किसी ज़ालिम की नीयत बिगड़ती है तो फिर कोई भी दलील काम नहीं आती है। ठीक उसी तरह का हाल इस समय दैनिक जागरण ग्रुप कानपुर का है। मजीठिया वेतनमान मांगने पर बौखलाए इस ग्रुप ने अपने उन कर्मठ व परिश्रमी कर्मचारियों पर कुठाराघात शुरू कर दिया है जिनकी बदौलत आज ये अखबार पाठकों में अपनी पकड़ बना चुका है।

Request of raising the issue of larger public interest

Date: 12th May, 2020

To, 

The Chief Election Commissioner

Election Commission of India,

Nirvachan Sadan, Ashoka Road,

New Delhi-110001


Subject:     Suggestions regarding disclosure of the information with respect to the status of the promises of quantitative nature made in the previous election manifestos of the candidates and political parties before the ensuing elections

Sir,

I am making this representation in the capacity of a concerned and spirited citizen of this country. I possess a Degree in Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery and also identify myself as an academic writer. I have taken up several research activities aiming at Good Governance and policy framing for the last 4 years. On the basis of the extensive academic research carried out by me, I have sent many recommendations and suggestions to the Central Government and various State Governments in order to make our society better, more transparent and egalitarian, some of which have been accepted. 

  1. Factual background:

    1. The Hon’ble Supreme Court recognising the importance of the election manifestos directed the Election Commission of India to frame guidelines directly governing the contents of the election manifestos in the case of S. Subramaniam Balaji v. State of Tamil Nadu & Ors. reported in (2013) 9 SCC 659. 

    2. Although, the Election Commission of India issued certain guidelines on election manifestos, framed in consultation with the political parties, it failed to consider that the voters ought to have a right to know as to what happened to those promises made in the election manifestos.  A failure on part of the political party or for that matter a candidate in disclosing the status of the promises made in their election manifestos before the next elections deprives a voter his right to know and thereby denudes him from making an informed choice.

    3. There is a statutory vacuum regarding regulation of election manifestos to the extent of tracking the performance of the political parties and the candidates and accountability to the public thereof. The Representation of People Act, 1951 as well as the Conduct of Election Rules, 1961 although have recognised the right to know of a voter, however, the same is insufficient. The information sought under Section 33A and Form No. 26 pertains more to the conduct of the candidates in their personal capacity. However, it is more so important to call for information with respect to their conduct as a representative of the nation.

    4. Being a socially spirited citizen of the country, I made several representations to the Election Commission of India suggesting to call for declaration from the political parties as well as contesting candidates regarding the status of the promises made in their manifestos for the previous elections.

    5. When these representations did not bear any positive results, I approached the Hon’ble High Court of Judicature at Bombay by way of a Public Interest Litigation (Civil Public Interest Litigation No.15 of 2019). The prayers sought in the said Public Interest Litigation were that necessary directions may be issued to the effect that Rule 4A of the Conduct of Election Rules, 1961 be amended empowering the Election Commission of India to seek information regarding the Status Report of the promises made in the election manifestos of the candidates and that of the political party. Further, it sought that an affidavit be required from the candidates contesting election on behalf of the political parties disclosing the status of the promises made in the previous election manifestos before the ensuing elections.

    6. It is submitted that the election manifestos are generally drafted by the political parties and candidates keeping an eye on forthcoming elections and are generally published and well publicized. The political parties/candidates bag the votes by making promises in the elections, however, the voters are kept in dark, when it comes to giving them an opportunity to know the correct status of all such promises made.

    7. It shall be difficult to hold the political parties and candidates responsible for non-fulfilment of each and every promise made in the election manifestos, however, what would be the harm caused to such political parties and candidates if a disclosure with regard to the status of the promises is required to be made by them while filing nominations.

    8. Till recently, the candidates use to propagate the manifestos published or released by the political parties to which such candidates are affiliated to. However, since last few elections, several candidates belonging to different political parties, taking into consideration the local issues, have been coming up with their own manifestos giving an account of what would they do for their constituency if they are elected. The safeguards, although few, laid down by the Election Commission of India governs only the election manifestos issued by the political parties and not the individuals. As such, there is a vacuum regarding the law governing the election manifestos published by a candidate.

    9. Voter’s (little man/citizen’s) right to know about the agenda of the political parties, their accountability and sincerity towards the promises made by it is much more fundamental and basic for the survival of democracy. The little man may think over before making his choice of electing law-breakers as law-makers.

    10. The vacuum regarding the information relating to the promises made in the election manifestos and their status has resulted into deprivation of right to know of voter as guaranteed under Article 19(1)(a) of the Constitution of India. Such a disclosure would ensure that the voters make an informed choice while casting their votes which is very much essential for a participatory democracy. If a Status Report is there at the disposal of every citizen, then it can strengthen the democratic process and also restore the confidence of the people in the democratic process of choosing elected representatives. Furthermore, such a disclosure would also keep a check upon the political parties inasmuch as all such parties/candidates shall publish their manifestos after thorough research thereby restraining them from making false promises with a view to filling their vote banks.

    11. Although, the judgment dated 23.04.2019 in Civil Public Interest Litigation No.15 of 2019 passed by the Hon’ble High Court of Judicature at Bombay which was arbitrary for several reasons, held that requiring the Election Commission to obtain a status report regarding the promises made in the form of election manifestos and make an assessment as to which promise has been fulfilled, and in what manner, is an exercise which is impossible to be performed for the reason promises made at the election are qualitative in nature.

    12. Aggrieved by such arbitrary and perverse judgment of the Hon’ble High Court of Judicature at Bombay, I preferred a Special Leave Petition (SLP (C) Diary No.29113 of 2019) before the Hon’ble Supreme Court of India. The Hon’ble Supreme Court suggested that a fresh representation with modified remedies be made to the Election Commission of India and thus the petition was then withdrawn on 14.10.2019 and pursuant to the suggestion of the Hon’ble Supreme Court, this representation is being made.


  1. Reasons why the provision of information as to the past performance of a candidate and political parties with respect to the election manifestos is essential are mentioned below:

    1. Article 19(1)(a) of the Indian Constitution includes right to know of the voters about their candidates and their performance in their tenure before any citizen exercise their franchise.  It is submitted that the Hon’ble Supreme Court recognized the voter’s right to know for the first time in the case of State of Uttar Pradesh v. Raj Narain & Ors., [(1975) 4 SCC 428] at Para 74. and has widened the horizons of the right to know of a voter while reiterating that the said right is a fundamental right under Article 19(1)(a) of the Constitution of India in the case of Lok Prahari v. Union of India reported in (2018) 4 SCC 699. Further, in the case of Union of India v. The Association for Democratic Reforms, [(2002) 5 SCC 294] held in Para 22 that a voter has a right to elect or re-elect on the basis of the antecedents and the past performance of the candidate.

    2. Article 19 of the International Covenant of Civil and Political Rights (ICCPR) guarantees the right to freedom of speech and expression with regards to voting and this right shall include the freedom to seek, receive and impart information and ideas of all kind.

    3. Any political party is not liable to disclose information under RTI. As such, the citizens of the country are left with no option to know as to what is the status of the fulfilment or otherwise of the election manifestos. For a participative form of democracy, it is important that the voters’ are educated in a right manner. It is all the more important that people cast their votes after knowing their candidate and not for any other extraneous considerations.

    4. As per Article 324, the jurisdiction of Election Commission is wide enough to include all powers necessary for smooth conduct of the entire process of election. The Election Commission of India has already exercised the power and issued guidelines with regard to the issuance of the election manifestos and as such a further safeguard with regard to the right to information as to the past performance of a candidate and political parties with respect to the election manifestos would be well within the four corners of the powers of the Election Commission, which is long awaited.

    5. Further, it is humbly submitted that in a landmark case the Hon’ble High Court of Australia recognizing the voters right to know the actions of the government and those actions being subject to electoral scrutiny by the voters in the case of Australian Capital Television Pty Ltd v The Commonwealth [177 CLR 106] wherein it observed that:  

“236. If the institutions of representative and responsible government are to operate effectively and as the Constitution intended, the business of government must be examinable and the subject of scrutiny, debate and ultimate accountability at the ballot box. The electors must be able to ascertain and examine the performances of their elected representatives and the capabilities and policies of all candidates for election. Before they can cast an effective vote at election time, they must have access to the information, ideas and arguments which are necessary to make an informed judgment as to how they have been governed and as to what policies are in the interests of themselves, their communities and the nation.…” 

  1. Prayers:

It is therefore, humbly submitted that, in order to make our democracy and our election process, transparent and to give the voters all the information they require about the political parties and the candidates so that the voters could exercise their right to vote wisely, I urge you to deeply consider the below mentioned prayers/suggestions: –  

    1. Issue guidelines regarding submission of an affidavit containing statement with respect to the status of the promises of quantitative nature made in the election manifestos of the candidates along with that of his/her political party from the candidates by suitably modifying the Model Code of Conduct;

    2. Send recommendation to the Ministry of Law and Justice to amend the Rule 4A and Form 26 appended to the Conduct of Election Rules, 1961 thereby seeking information regarding the status report of the promises of quantitative nature made in the election manifestos of the candidates along with that of his/her political party from the candidates;

    3. Issue such other order(s) or direction(s) as the Election Commission of India deems fit to ensure free and fair elections and protect voters' right to information.


Yours faithfully,


Akshay Yadavrao Bajad

 

नवरात्र के बाद उपजा का जनपद स्तरीय सम्मेलन व गोष्ठी का आयोजन होगा


अयोध्या। प्रेस क्लब में आयोजित उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन की बैठक में अध्यक्ष इन्द्रभूषण पाण्डेय ने कहा कि नवरात्र के बाद उपजा का जनपद स्तरीय सम्मेलन व गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। इसमें मुख्य अतिथि के लिए देश के किसी प्रख्यात पत्रकार को आमंत्रित करने पर विचार किया जा रहा है। जिसके लिए चार से पांच नामों के सुझाव आये है। सभी से वार्ता करके जल्द ही इस विषय पर निर्णय लिया जायेगा।

राशन माफिया की जेब से जलता है इन पत्रकारों के घरों का चूल्हा

बरेली - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडौन में सभी राशन कार्ड धारकों को हर महीने एक किलो चना फ्री वितरण करने के निर्देश दिए थे ये चना राशन माफियाओं और पत्रकारों के लिए कमाई का जरिया बन गया है।

ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों का आइडिया चोरी कर रहा आजतक -


आजतक देश का बड़ा मीडिया संस्थान है. इस चैनल के पास अकूत सम्पति है और बड़े-बड़े पत्रकार और क्रिएटिव लोगों की टीम है, इन सब के बावजूद आज़तक चैनल "हम बिहारी" नाम से एक कार्यक्रम ला रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक ‘क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य?’ का प्रकाशन


आगरा के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी पर केन्द्र एक पुस्तक लिखी है। इसका नाम है- क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य?  निखिल प्रकाशन आगरा ने पुस्तक का प्रकाशन किया है। इस पुस्तक की खास बात यह है कि पत्रकारीय और पुरातात्वीय शोध के आधार पर लिखी गई है। इस पुस्तक से फतेहपुर सीकरी के इतिहास पर नई रोशनी पड़ती है।

रॉबिन हुड पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय का पीछा नही छोड़ता अपशगुन


बक्सर- बिहार के रॉबिन हुड पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय का करीब दो दशक से अपशगुन पीछा नही छोड़ रहा है, राजनीती की मीमांसा पाले पाण्डेय जी इस विधान सभा चुनाव में उनकी स्थिति ऐसी बनी की वे न इस डाल के हुये और नही उस पात के हुए, राजनीत के स्कूल में दो बार दाखिला लेने की कोशिश की, लेकिन प्रवेश पर अपशगुन का पहरा लग गया, क्यों कहा की अपशगुन श्री पाण्डेय का पीछा करता चला आरहा है,

ok India journalist is doing illegal act

ok india particulars given on website is not authentic, its number is not working and its given website is also not working but its bahraich uttar pradesh based a journalist Rohit srivastav is doing all types of illegal work as encroachment on public road as clear from attached photo .

कोरोना योद्धाओ को सैल्यूट करने रैंप पर उतरे मॉडल्स व सेलीब्रीटीज

नई दिल्ली। अनलॉक का सिलसिला शुरु हुआ और दिल्ली की जिंदगी पटरी पर लौटनी शुरु हो गई। पहले बाजार खुले, मॉल्स और अब मनोरंजन की दुनिया मे रंगत लौटने लगी है। दिल्ली के रोहिणी में आयोजित एक फैशन व अवार्डस शो मे मॉडल्स और सेलीब्रीटीज ने रैंप पर कैटवाक कर करोना योद्धाओ को सैल्यूट किया।

ABP Ananda’s creative integrations give brands the edge this Durga Puja

The channel’s three Durga Puja properties create original content for top brands

Kolkata, 22nd October 2020: West Bengal’s most illustrious news channel, ABP Ananda has not just been wooing its audiences with its special Durga Puja programming, but also leaving no stone unturned to help brands achieve awareness and equity through interactive and customizable sponsor integrations.

इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलने पर आत्मदाह की दी धमकी

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गोमिया (बेरमो)। इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलने और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के कर्मचारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने से बाध्य होकर बीमा धारक सह गोमिया निवासी संदीप अग्रवाल ने आत्मदाह करने की एक पत्र रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के प्रधान प्रबंधक को भेजा है।

किताबें पढ़ने और योग्य गुरु से विमर्श से ही अच्छा शोध सम्भव:डॉ सन्दीप अवस्थी



आगरा। एम आई टी विश्वविद्यालय, पुणे, हिन्दी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैंड्स और शासकीय महाकौशल महाविद्यालय, जबलपुर के संयुक्त तत्ववधान में पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला संगोष्ठी (20-24अक्टूबर 2020) के आभासीय मंच पर वेदांत मर्मज्ञ, पटकथा लेखक, आलोचक डॉ संदीप अवस्थी जी के नेतृत्व में आज से 5 दिवसीय कार्यशाला का तृतीय दिन  के पंचम सत्र का शुभारंभ हुआ।

एम्स ॠषिकेश में तरक्की के नाम पर भ्रष्टाचार का खुला खेल

वैसे तो ऐम्स ॠषिकेश के संबंध में भ्रष्टाचार की खबरें छपना एक आम बात हो गई है, परंतु हैरानी की बात यह है कि यह सिलसिला अब रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। ऐसा प्रतीत होता है कि दिन प्र्तिदिन संस्थान तरक्की के दिखावे के पीछे भ्र्ष्टाचार की ऊचाईयाँ छू रहा है, और राज्य या केंद्र सरकार मूक दर्शक बनी देख रहीं हैं। सवाल यह है कि क्या इसी दिन के लिये देश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त विकासशील प्रशासन का सपना दिखाया गया था। सूत्रों से पता चला है कि हाल ही में स्वास्थ मंत्रालय भारत सरकार के कार्यालय से अवर सचिव श्री शम्भू कुमार जी द्वारा एम्स के निदेशक को एक शिकायती पत्र प्रेक्षित किया गया है, जिसमें उनसे इस विषय में सफ़ाई देने को कहा गया है।

राष्ट्रपति से गुजरात के काला क़ानून (गुंडा एक्ट) रद्द करने की अपील

मानवअधिकारों को सम्पूर्ण रूप में लागू करो, काले क़ानून बनाना बंद करो  

अहमदाबाद, 23-10-20, आज दिनांक 23-10-20 को माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमिटी MCC गुजरात ने गुजरात गुंडा और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक 2020 विधेयक क्रमांक 22 को रद्द करने के संबंध में महामहिम राष्ट्रपति महोदय नई दिल्ली, भारत को विस्तार से पत्र लिखा है| इस संबंध में गुजरात के महामहिम राज्यपाल महोदय को दिनांक 1-10-20 को पत्र लिखकर इस कानून को रद्द करने की अपील की थी, राज्यपाल महोदय ने इस बिल को भारत के राष्ट्रपति महोदय को भेजा है|

22.10.20

कोरोना से जंग के साथ डिप्रेशन से भी लड़ रहे हैं लोग

भारत में कोरोना संकट ने करोड़ों लोगों को अलग थलग और बेरोजगार कर दिया है |डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि चिंता, डिप्रेशन और आत्महत्या के मामले बढ़ सकते हैं और देश में मानसिक स्वास्थ्य नए संकट का रूप ले सकता है| स्वतंत्र रिसर्चरों के एक हालिया सर्वे में पता चला है कि भारत में  चले लंबे लॉकडाउन के कारण कोरोना वायरस से इतर होने वाली मौतों में आत्महत्या एक बड़ा कारण हैं |सर्वे के मुताबिक, इस साल मार्च में 125 लोगों की मौत संक्रमण के डर, अकेलेपन, बाहर आने जाने की आजादी छिन जाने या फिर घर न जा पाने की हताशा के कारण हुई| अध्ययन में वित्तीय तंगियों और शराब ना मिल पाने को भी आत्महत्या के कारणों में गिनाया गया है|हालात यहां तक देखने को मिल रहे हैं कि कोरोना अवसाद के कारण चिकित्सक तक मौत को गले लगाने में नहीं हिचकिचा रहे हैं। पिछले दिनों कोविड सेंटरों पर आत्म हत्याओं के मामले देश के अलग-अलग कोनों में देखेने को मिले हैं। कोरोना ने एक तरह से सब कुछ हिला कर रख दिया है। हालांकि दोष केवल कोरोना को ही नहीं दिया जा सकता है। हां, कोरोना के कारण डिप्रेशन के हालात बहुत अधिक बढ़े हैं। दरअसल कोरोना का भय और शुरुआती दौर में दुर्भाग्य से कोरोना संक्रमित होने पर जिस तरह से उसे कोविड सेंटरों में आइसोलेट करने की तस्वीर देखने को मिली हैं उससे लोगों में दहशत और अधिक बढ़ गई है।

21.10.20

मुस्लिम जगत की कश्मकश पर ताजा किताब-‘उफ ये मौलाना’

लेखक विजय मनोहर तिवारी ने भारत के संदर्भ में कोरोना काल में मुस्लिम जगत की हलचल का पैना विश्लेषण किया है...

 




दिल्ली। पत्रकार-लेखक विजय मनोहर तिवारी की ताजा किताब ‘उफ ये मौलाना’ छपकर आ रही है। गरुड़ प्रकाशन की ओर से इसकी घोषणा की गई है। चार सौ बीस पेज की यह किताब कोरोना काल की एक डायरी की शक्ल में है। इस किताब में भारत में काेरोना के आगमन के बाद के दो महीनों तक हुई घटनाओं का विश्लेषण किया गया है। किताब की थीम है- जब एक महामारी के कारण देश और दुनिया इतिहास की सबसे संकटपूर्ण स्थिति में फँसे हों और ऐसे समय समाज का कोई तबका अलग और उलट ढंग से पेश आए तो यह किसी भी सभ्य समाज और मजबूत सरकार के लिए नजरअंदाज करने वाली घटना नहीं है। भारतीय संदर्भ में यह किताब कोरोना काल का एक विचारोत्तेजक दस्तावेज है।

22 अक्टूबर जन्म दिवस पर विशेष : जंग-ए-आज़ादी के महानायक : अशफाकुल्लाह खाँ

 


"कभी तो कामयाबी पर मेरा हिन्दोस्ताँ होगा।
रिहा सैय्याद के हाथों से अपना आशियाँ होगा।।"

अंग्रेजी शासन से देश को आज़ाद कराने के लिए हंसते−हंसते  फांसी का फंदा चूम कर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अशफ़ाक़ुल्लाह खान जंग−ए−आजादी के महानायक थे।  निर्भय और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद अशफ़ाक़ उल्ला खान भारत माँ के सच्चे सपूत थे। "काकोरी कांड के बाद जब अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया तो अंग्रेजों ने उन्हें सरकारी गवाह बनाने की कोशिश की और कहा कि यदि हिन्दुस्तान  आज़ाद हो भी गया तो उस पर हिन्दुओं का राज होगा तथा मुसलमानों को कुछ नहीं मिलेगा। इसके जवाब में  अशफाक ने अंग्रेजों से कहा था− तुम लोग हिन्दू−मुसलमानों में फूट डालकर आजादी की लड़ाई को नहीं दबा सकते। हिन्दुस्तान में क्रांति की ज्वाला भड़क चुकी है जो अंग्रेजी साम्राज्य को जलाकर राख कर देगी।  हिंदुस्तान आज़ाद हो कर रहेगा। अपने दोस्तों के खिलाफ मैं सरकारी गवाह बिल्कुल नहीं बनूंगा। "

20.10.20

बलिया बवाल कई सवाल!

वाह रे सियासत सत्ता की छांव में सब कुछ संभव है सत्ता की हनक के नीचे बड़े-बड़े अधिकारी मूक-दर्शक मात्र बनकर रह जाते हैं। यह एक ऐसा सत्य है जोकि जग जाहिर है। समय-समय पर ऐसा सदैव ही देखा गया है। कभी वही प्रशासन बहुत ही तेज तर्रार रूप रेखा को दर्शाता हुआ बड़ी ही तीव्र गति के साथ कार्य करता हुआ दिखाई देता है और कभी वही प्रशासन मूक-दर्शक बनकर रह जाता है। रुतबे की हनक ने एक बार फिर बलिया की धरती पर अपना वास्तविक चेहरा देश के सामने प्रस्तुत किया है। जिससे नियम और कानून की सारी परतें खुल गईं और सभी दावों के परखच्चे उड़ गए।

सियासत का सधा हुआ कदमताल!

-सज्जाद हैदर-
जी हाँ बिहार की धरती पर चुनावी बिगुल बज चुका है सभी पार्टियों ने अपने-अपने योद्धाओं को चुनावी मैदान में झोंक रखा है। शाब्दिक बाणों की बौछार आरम्भ हो चुकी है। आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। सभी सियासी महारथियों ने अपने-अपने करतब दिखाना आरंभ कर दिया है। सब अपने-अपने तरीके से सियासी वार कर रहे हैं। कोई पाकिस्तान से जिन्ना के जिन को फिर से जिंदा करने में लगा है तो कोई अपराध और भ्रष्टाचार के शैतान का सहारा लेकर उसे जान फूँकने में लगा हुआ है तो कोई अपने कार्य के गुणगान में लगा हुआ है तो कोई बिहार में सत्ता परिवर्तन की सपनों को जनता की खुली हुई आँखो में सपना झोंकने की जुगत में लगा हुआ है। चुँकि सियासी मौसम आ गया है इसलिए सब अपने-अपने हुनर दिखा रहे हैं। लेकिन जिस प्रकार से बिहार में सियासी बिसात इस बार बिछाई गई है वह बहुत ही रोचक है जिसे बहुत ही गहराई में उतरकर समझने की आवश्यकता है।

More scribes die of Covid-19, JFA expresses anguish

Thakuria Navajyoti
    
 
Guwahati: The Covid-19 pandemic continues to take its toll as more
journalists are dying because of novel corona virus aggravated
complications across India.  Lately  Mysuru based senior journalist
Pavan Hettur (35), who worked for Kannada daily Prajavani succumbed to
the infection at a private hospital. He was admitted  after testing
Covid-19 positive and passed away on 18 October 2020.

दलितों की मौत पर भाजपा-आरएसएस मौन

मृतकों के परिजनों को मिले 15-15 लाख मुआवजा


अलीगढ | शहर के देहलीगेट क्षेत्र स्थित मौहल्ला खटीकान में खिलौना पिस्तौल कारखाने में हुए हादसे पर राष्ट्रीय लोकदल ने दुःख व्यक्त किया है | राष्ट्रीय लोकदल के एससी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक खैर भगवती प्रसाद सूर्यवंशी रालोद नेताओं के साथ सोमवार को मौहल्ला खटीकान में पीड़ित परिवारों के बीच पहुंचे और हादसे पर दुःख व्यक्त किया | रालोद नेताओं ने मृतकों के परिजनों से शोक संवेदनाएं व्यक्त की और मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की |

18.10.20

छवि बचाने के लिए योगी सरकार का मिशन शक्ति


आरएसएस-भाजपा के लिए महिला है दोयम दर्जे की नागरिक - दिनकर
महिला सुरक्षा की संस्थाएं बर्बाद कर प्रचार पर बहा रहे करोड़ों- प्रीती
181 व महिला समाख्या कर्मियों ने कहा कि नौकरी करे बहाल, दे बकाया वेतन


लखनऊ, 17 अक्टूबर 2020, प्रदेश में महिलाओं पर लगातार हो रही हिंसा, बलात्कार, एसिड अटैक आदि की घटनाओं से पूरे तौर पर बदनाम हो चुकी योगी सरकार ने अपनी छवि को बचाने के लिए आज से मिशन शक्ति अभियान शुरू किया है। महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए चलाए इस अभियान में जनता के सरकारी धन के करोड़ों रूपए विज्ञापन, एलईडी वैन से फ्लैग आफ, वायस मैसेज, थानों व ग्रामीण जागरूकता पर खर्च किए जा रहे हंै। वहीं वास्तव में महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा, स्वावलंबी और पीड़िता को तत्काल राहत देने वाली 181 वूमेन हेल्पलाइन व महिला समाख्या जैसे कार्यक्रमों को सरकार ने बंद कर दिया और उनके कर्मियों के बकाए वेतन तक का भुगतान नहीं किया। दरअसल आरएसएस-भाजपा वैचारिक तौर पर हमेशा से महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक ही मानता रहा है। यही वजह है कि उसके राज में रेप के अपराधियों के मुकदमें वापस लिए जाते हंै और उसके नेता महिलाओं के साथ हुई हिंसा पर महिला की ही चरित्र हत्या करने में लगे रहते हंै। इसलिए योगी जी को मिशन शक्ति अभियान के पहले अपने नेताओं की जुबान पर लगाम लगाने के लिए कार्यवाही करनी चाहिए। यह बातें आज 181 वूमेन हेल्पलाइन और महिला समाख्या कार्यकर्ताओं के वर्चुअल प्रतिवाद में सम्मलित महिला कर्मियों को सम्बोधित करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के नेता दिनकर कपूर ने कहीं।

हिंदी पत्रकारिताःविचारों की सिकुड़ती जगह

प्रो.संजय द्विवेदी

   हिंदी पत्रकारिता की गर्भनाल आजादी के आंदोलन से जुड़ी है तो इसका नेतृत्व हिंदी साहित्य के निर्माताओं के हाथ में रहा है। एक तरफ लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जैसे अनेक राष्ट्रनायक पत्रकारिता के माध्यम से लोकजागरण में लगे थे तो दूसरी ओर भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, बाबूराव विष्णु पराड़कर, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे हिंदी के निर्माता भाषा की अलख जगा रहे थे। समाचारों के साथ विचार इनकी पत्रकारिता का मूल पिंड था। विचारों के माध्यम से समाज सुधार, सामाजिक आंदोलन, भाषा का विकास और देश के लोगों को संकट भी सामने आते थे। यह यात्रा आगे चलकर भी जारी रही जब सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय, रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, धर्मवीर भारती,राहुल बारपुते, राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी, माणिकचंद्र वाजपेयी, अटलबिहारी वाजपेयी, भानुप्रताप शुक्ल, वचनेश त्रिपाठी, रामबहादुर राय, प्रबाल मैत्र, राजेंद्र शर्मा, जयकिशन शर्मा और जयकृष्ण गौड़ जैसे अनेक यशस्वी संपादक सामने आते हैं। समाचारों के साथ विचार का पृष्ट हिंदी अखबारों का यश बढ़ाता रहा और समाज को विमर्श के बिंदु देता रहा। राष्ट्रीय भावना के साथ लोकमंगल इस दौर की पत्रकारिता का मूल्य रहा है। राष्ट्रीय भाव से भरी पत्रकारिता और देश के नवनिर्माण का स्वप्न ही पत्रकारिता का लक्ष्य रहा है।राष्ट्रीय आंदोलन के भावों से अनुप्राणित यह पत्रकारिता हमें प्रेरित, प्रोत्साहित और आंदोलित करती रही है।

17.10.20

स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के खिलाफ झारखंड में उबाल, 17 अक्टूबर को राजभवन मार्च

रूपेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार


आठ अक्टूबर को झारखंड की राजधानी रांची से मुंबई एनआईए द्वारा भीमा कोरेगांव मामले में प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता 83 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के खिलाफ झारखंड में जबरदस्त उबाल है, प्रति-दिन कहीं ना कहीं विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध-प्रदर्शन की अगली कड़ी में 17 अक्टूबर को ‘स्टैंड फार स्टेन स्वामी’ के बैनर तले विभिन्न राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों के हजारों लोग रांची के जिला स्कूल से राजभवन तक ‘न्याय मार्च’ निकालेंगे।

दैनिक जागरण के पत्रकार की घटिया हरकत




महोदय ,

१५ अक्टूबर को बिहार विधानसभा के आसन्न चुनाव प्रचार सिलसिले में जमशेदपुर भाजपा  के पूर्व  अध्यक्ष  बिहार के रजौली क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे और इसी सिलसिले में स्थानीय पत्रकारों से भी उनकी मुलाकात हुयी।  दैनिक जागरण समाचार पत्र के रजौली संवाददाता पवन सिंह शराब के नशे में आकर उनके  के साथ बदतमीज़ी करने लगे और भद्दी भद्दी गलियां देने लगे।

16.10.20

माफियाओं की बेनामी सम्पत्तियों को जब्त करे योगी सरकार

सत्ताधारी दल से जुड़े अपराधियों पर भी हो कार्यवाही

प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त, अपराधियों को बचाने में लगे हैं उच्चाधिकारी  


लखनऊ : आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य स्तरीय कार्यकर्ताओं की वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए स्वराज अभियान के नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया कार्यक्रम, जिसके तहत प्रदेश के बड़े माफियाओं द्वारा कायदा कानूनों की धज्जियां उड़ाकर बनाई गयीं विशाल इमारतों पर बुलडोजर चलाये जा रहे हैं, को लेकर एक खास तरह की चर्चा है।

केवल विज्ञापनों तक ही सीमित हैं योगी सरकार के रोज़गार के दावे

राजेश सचान, संयोजक युवा मंच

सरकारी संसाधनों का अपव्यय कर अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन के द्वारा सरकारी नौकरी और रोजगार के आंकड़े पेश करने से प्रदेश में जारी रोजगार के भयावह संकट की असलियत को छिपाया नहीं जा सकता है ! इतना कहना ही पर्याप्त है कि सरकार बनने के बाद सरकारी नौकरी के लिए नये विज्ञापन पुलिस को छोड़ दिया जाये तो नाममात्र के ही निकले हैं। एक लाख सैंतीस हजार शिक्षा मित्रों की बर्खास्तगी के बाद हो रही भर्ती को नई भर्ती के बतौर पेश किया जा रहा है। इस भर्ती के अलावा पुलिस के अलावा ज्यादातर भर्तियां इस सरकार के कार्यकाल में शुरू नहीं की गई हैं। उसमें स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर जो भर्ती हुई हैं उन्हें भी सरकारी नौकरी बता कर पेश किया जा रहा है।

13.10.20

एनडीटीवी के मालिक प्रणय राय को एक पत्र

आदरणीय प्रणय राय साहब,

सुना कि टीआरपी की कपड़ाफाड़ लड़ाई के बीच एनडीटीवी भी टीआरपी चैंपियन होने का दावा ठोंक रहा है। चूंकि आप मेरे पूर्व नियोक्ता हैं और इसलिए आपके चैनल से मेरी सहानुभूति भी है, इसके बावजूद जब से यह सुना है, तब से कन्फ्यूज हो रहा हूं कि इस दावे पर हंसू या रोऊँ? जब हंसी आती है, तो सोचता हूं कि शायद काका हाथरसी भी इससे बढ़िया हास्य नहीं लिख सकते थे। हो सकता है कि शरद जोशी या श्रीलाल शुक्ल होते, तो शायद इसपर एक ठोस व्यंग्य लिख पाते।

12.10.20

वो कौन लोग हैं जो डॉ प्रणव पंड्या को फंसाना चाहते हैं

निशीथ जोशी

शांति कुंज के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या को उत्तराखंड पुलिस ने बलात्कार के आरोप के मामले में क्लीन चिट दे दी है। मई माह में उन  छत्तीसगढ़ की एक युवती ने 10 साल पहले हरिद्वार आश्रम में बलात्कार करने का आरोप लगाया था। डॉ प्रणव पंड्या की पत्नी शैलबाला पर भी आरोप लगाया गया था कि पीड़िता ने उनसे शिकायत की थी तो उन्होंने पीड़िता को डरा धमाका कर चुप करा दिया था।

इस मामले की जांच एसआईटी कर रही थी। इस पूरे मामले में कई बातें सामने आईं। जिनमें युवती की एक ऑडियो क्लिपिंग भी शामिल है जिसमें वह किसी से बात कर रही है और कह रही है कि कुछ लोग डॉ प्रणव पंड्या को फंसाना चाहते हैं। इसके बाद जांच करने वालों ने युवती से उसका आडियो सैंपल मांगा था जो उसने नहीं दिया। इसके अतिरिक्त पुलिस ने छत्तीसगढ़ जाकर उन महिलाओं से भी बयान लिए जो आरोप लगाने वाली के साथ उस दौरान रहीं थीं। उनके बयान से भी डॉ प्रणव पंड्या पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। 

अब सवाल यह उठता है कि वो कौन लोग हैं जो डॉ प्रणव पंड्या को फंसाना चाहते हैं और थे। उनका मकसद क्या है। कारण इस क्लीन चिट मिलने के एक दिन पहले ही पीड़िता की ओर से कुछ लोगों ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर मामले की जांच सी बी आई को सौंपने की मांग की है।  निश्चित तौर पर कोई तो है जो पर्दे के पीछे से खेल रहा है। 

गायत्री परिवार ने भारतीय संस्कारों और संस्कृति को भारत और पूरे विश्व में स्थापित करने का बहुत बड़ा कार्य किया है। गायत्री मंत्र को जिस तरह से। पंडित श्री राम शर्मा आचार्य  ने आम लोगों के लिए सर्वसुलभ किया और इसे एक आंदोलन बना दिया उससे धर्मांतरण में जुटी विदेशी ताकतों को काफी बड़ा झटका लगा था। इतना ही नहीं गायत्री मंत्र को कुछ लोगों तक सीमित रखने की कोशिश करने वाले कट्टरपंथियों को भी इसे लेकर काफी तकलीफ हुई थी। पंडित श्री राम शर्मा आचार्य के जीवन काल में ही डॉ प्रणव पंड्या ने गायत्री परिवार में महती भूमिका निभानी शुरू कर दी थी। उनके बाद से वे इस गायत्री परिवार के प्रमुख हैं। उनकी पत्नी शैलबाला पंडित श्री राम शर्मा आचार्य की पुत्री हैं।  इससे कई ऐसे लोगों की नजर गायत्री परिवार और इसकी संपत्ति पर लगी है और थी, भी मौका तलाश कर रहे थे। 
अब सवाल यह उठता है कि क्या डॉ प्रणव पंड्या को किसी साजिश के तहत फंसाया जा रहा था या बात कुछ और भी है। क्या यह सब कुछ हिन्दू धर्म और संस्कृति पर कुछ ताकतों का एक सुनियोजित हमला है इन सब सवालों के जवाब सामने आने चाहिए। क्योंकि इस बीच विदेशी ताकतों के साथ मिल कर भारत में उन ताकतों ने जो सनातन और हिन्दू संस्कृति पर लगातार हमलावर रहते हैं के षडयंत्र बहुत बढ़ गए हैं। बांट बांट कर हमले किए जा रहे हैं। इस लिए सब के एकजुट होकर ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जबाव देने और एक्सपोज है की जरूरत है।

10.10.20

9 अक्टूबर जन्मदिवस पर विशेष : हज़रत निज़ामदुद्दीन औलिया: शांति एवं सामाजिक सद्भाव के युग द्रष्टा

 साझी विरासत के अलमबरदार:निज़ामदुद्दीन औलिया

भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास में शेख निज़ामुद्दीन औलिया के व्यक्तित्व और उनके कार्यों को विशेष महत्व प्राप्त है.उन्होंने धर्म की वह क्रांतिकारी भावना प्रस्तुत की थी जिसमें जनसेवा को भक्ति का स्थान प्राप्त हो गया था.राजा और राजनीति से पृथक रहकर उन्होंने मानव निर्माण का कार्य किया और आध्यामिकता से परिपूर्ण इंसानों की पूरी एक पीढ़ी पैदा कर दी जिसने अपने जीवन को नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की सेवा में समर्पित कर दिया.उनकी खानकाह से मानवता,आध्यामिकता,मानव-मैत्री और प्रेम के स्रोत पूरी दुनियां में फैल गए और वे कबीर के लिए चिंतन की एक ऐसी धारा छोड़ गए जिसे कबीर ने न केवल आगे बढ़ाया वल्कि नई दिशा भी प्रदान की.

आखिर किसकी अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक ?

 
Nirmal Kumar Sharma
    
     भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संविधान के 19 (1) के तहत सभी को इसका अधिकार दिया गया है। इसके लिए कहा गया है कि ' किसी भी व्यक्ति के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा,जिसके तहत वह किसी भी तरह के विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को स्वतंत्र होगा। लोकतांत्रिक शासन में सरकार द्वारा किए गए गलत काम का देश का कोई भी नागरिक आलोचना कर सकता है,यह उसका मौलिक व संवैधानिक अधिकार है।  'विश्व में अभिव्यक्ति की आजादी की क्या स्थिति है, इसे हम वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के माध्यम से समझ सकते हैं,इस रिपोर्ट में 180 देशों की स्थिति को बताया गया है,इस सूची में 2017 में भारत का स्थान 136 वाँ था,जो 2018 में और बदतर होकर 138 वाँ हो गया !

प्रेस क्लब, पाकुड के सदस्यों ने डीसी ,एसपी से किया मुलाकात, सौपा ज्ञापन



प्रेस क्लब पाकुड़ के द्वारा दिनांक 9 अक्टूबर 2020 को पाकुड़ डीसी कुलदीप चौधरी को एक ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से पाकुड़ डीसी से मांग किया गया कि पाकुड़ प्रेस क्लब के नाम से फर्जीवाड़ा कर  निबंधन करवाया गया है इसे निरस्त किया जाए। पाकुड़ डीसी से प्रेस क्लब पाकुड के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कर उन्हें सारी वस्तुएं स्थिति की जानकारी देते हुए इसकी जांच करवाने का आग्रह किया।वही पाकुड़ डीसी कुलदीप चौधरी ने सारी बातों को गंभीरता पूर्वक सुनते हुए इस पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा देते हुए मामले की जांच डीपीआरओ से करवाने की बात कही।

7.10.20

हाथरस पुलिस द्वारा ट्विटर, वेबसाइटों पर पहचान उजागर पर FIR दर्ज

थाना चंदपा, हाथरस में हत्या एवं बलात्कार मामले में एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर द्वारा की गयी शिकायत पर ट्विटर तथा शिकायत में अंकित वेब साइटों पर मु०अ०स० 156/2020 धारा 228ए  आईपीसी तथा 72 आईटी एक्ट के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज किया गया है.

5.10.20

कहानियों का द्वीप है बस्तर

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर । ''बस्तर हमेशा कहानियों का द्वीप रहा है। यहां के लोक जीवन के किस्से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।'' यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने लेखक एवं आईटीबीपी के डिप्टी कमान्डेंट कमलेश कमल की बेस्टसेलर किताब 'ऑपरेशन बस्तर' के दूसरे संस्करण के ऑनलाइन लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए। वे समारोह के अध्यक्ष की आसंदी से बोल रहे थे।

मीडिया की गिरती हुई इंसानियत

Sachin tripathi
    
मीडिया की भारीभरकम भीड़ की वज़ह से हाथरस का पीड़ित परिवार पिछले कई दिनो से ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा है

2.10.20

कंपनी राज लाने वाला काला क़ानून (गुंडा एक्ट) रद्द करो

अहमदाबाद : माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमिटी MCC गुजरात ने गुजरात गुंडा और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक 2020 विधेयक क्रमांक 22 को रद्द करने के संबंध में महामहिम राज्यपाल महोदय गुजरात को विस्तार से पत्र लिखा है|

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी को वर्ष 2020 के प्रख्यात शोधकर्ता का राष्ट्रीय सम्मान

उदयपुर । ऑस्ट्रेलिया व भारत में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय संगठित अनुसंधान संस्थान द्वारा कोविड19 व लॉकडाउन के प्रभाव पर किए गए उत्कृष्ट शोध के फलस्वरूप जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ में कार्यरत डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी को वर्ष 2020 के प्रख्यात शोधकर्ता  का राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया है। डॉ. छतलानी ने अपने शोधकार्य विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के निर्देशन में संपन्न किए।

गांधी जयंती पर विशेष : बतख मिंयाँ न होते तो गांधी युग भी न होता

भारत की आज़ादी के आंदोलन की वैश्विक पहचान के पीछे महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व है और आज उनका जन्मदिन अहिंसा दिवस के रूप में पूरी दुनियां में मनाया जाता है। 1917 में स्थानीय किसानों की समस्या को देखने समझने के लिए गांधी चंपारण आये।गांधी का चंपारन प्रवास उनके जीवन कर्म में मील का पत्थर साबित हुआ पर इसी दौरान अंग्रेजों ने गांधी जी के क़त्ल की साज़िश भी रची थी और बतख मिंयाँ नामक एक खानसामा ने अपनी जान जोखिम में डाल कर उन्हें बचा लिया।यह ऐतिहासिक प्रकरण इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया।इतिहासकारों से लेकर चंपारण की गाथा सुनानें वालों को भी यह नाम मुश्किल से याद रहता है।अंग्रेजों का इरादा एक मुस्लिम ख़ानसामा को मोहरा बनाकर पूरे देश को साम्प्रदायिक दंगों की भट्ठी में झोंक देने की थी।

विश्व के सबसे सफल संचारक थे गांधी : प्रो. शुक्ल

नई दिल्ली । ''संचार के उद्देश्यों की बात की जाए, तो गांधी विश्व के सबसे सफल संचारक थे। अपने इसी गुण के कारण वह देश के अंतिम व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे।'' यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने गुरुवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम 'गांधी पर्व' में व्यक्त किए।

उत्तर प्रदेश में व्याप्त जंगलराज...

उत्तर प्रदेश की चौपट कानून व्यवस्था चारों ओर व्याप्त घनघोर जंगल राज लेकिन सरकार की प्राथमिकता में तो गाय बचाना है...

... अंधेर नगरी चौपट राजा... जनता आत्मनिर्भर बन बजा रही बाजा...

मोदी युग के मुकेश, पवन, विनय और अक्षय।

-अमरेंद्र किशोर- 

 

इन्हें पहचानिए। निर्भया कांड के बाद संसद से लेकर गलियों में जमकर बहस हुई। कठोर कानून बनाये गए। उम्मीद थी अब दुष्कर्म करने से पहले कोई दस बार सोचेगा। निर्भया के गुनाहगारों को फांसी दी गयी। जैसे लगा रेप रुक जाएगा। लेकिन हैदराबाद का कांड सामने आया। इसी बीच कई निर्भया खबरों से बेखबर की गई। हैदराबाद कांड के दोषियों को मुकम्मल मुकाम तक पहुंचाया गया। इसी बात की वाहवाही हुई। कहां तो निर्भया कांड में इतने साल और कहां हैदराबाद कांड। दोनों तरह की अतिवादिता न्याय प्रक्रिया पर सवाल है। सोच समझकर लाश ठिकाने की सफल कवायद हुई। कोई मृतक की कटी हुई जुबान का साक्ष्य फ़ोटो फुटेज के रूप में सार्वजनिक न कर दे। बधाई सरकार। बलात्कार रोकना किसी के बूते की बात नहीं। लाश का अंतिम संस्कार तो सख्ती से किया जा सकता है। तो वही किया। जय हो सरकार श्री राम की। रामराज्य मुबारक़ दोस्तों।

अभिव्यक्ति की आज़ादी और संघी-भाजपाइयों की सक्रियता

राजकुमार सोनी

जब अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर संघी और भाजपाई किसी आंदोलन का समर्थन करने लगे तो समझिए दाल में काला नहीं...पूरी दाल काली है. वैसे छत्तीसगढ़ में इन दिनों हत्यारी विचारधारा से जुड़े हुए लंपट एक बार फिर जबरदस्त ढंग से सक्रिय हो गए हैं. कोई इसलिए सक्रिय है कि उसे चुनाव लड़ना है. किसी को मरती हुई वकालत में प्राण फूंकना है. किसी को संगठन चलाना है तो किसी को पोर्टल.

1.10.20

बर्फीली रात , अयोध्या के पास !!

बर्फीली रात , अयोध्या के पास !!: अदालती फैसले के बहाने 6 दिसंबर 1992 की चर्चा छिड़ी तो दिमाग में 28 साल पहले का वो वाकया किसी फिल्म की तरह घूम गया । क्योंकि उन बर्फीले दिनों में परिवार में हुए गौना समारोह के चलते मैं अयोध्या के पास ही था । परिजन पहले ही गांव पहुंच …