वो जहर है मगर दवा का असर रखता है।
आंखों से अंधा है मगर पारखी नजर रखता है।।
उसके हुनर को कहीं जंग न लग जाए इसलिए।
वह अपने हाथों में एक पोशीदा कसर रखता है।।
उसको नजरबंद करने की बात भी सोच ली कैसे।
वो हवा है हर जगह अपनी रहगुजर रखता है।।
और एक दिन सिमट जाना है सबको दो गज जमीन में।
पड जाए आदत इसलिए वह इतनी ही बसर रखता है।।
वो जहर है मगर दवा का असर रखता है।
आंखों से अंधा है मगर पारखी नजर रखता है।।
अबरार अहमद
3.5.08
वो जहर है मगर.....
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4 comments:
अबरार भाईजान,अस्सलाम अलैकुम
आंखों से अंधा है मगर पारखी नजर रखता है।
नाम अब्दुल है उसका सबकी खबर रखता है । ।
आप लोगों के सत्संग से हम भी कवि जैसे कुछ होते जा रहे हैं भले भाव न पैदा कर पाएं पर तुकबंदी का तुक्का तो मार ही लेते हैं :)
जय जय भड़ास
khub kahi abraar bahi
बहुत खूब अबरार भाई . आपके और नीरव जी की संगत में रह कर मैं भी जल्द ही एक गजल पेश करूंगा.
वरुण राय
भाई,
जबरदस्त है और सच कहूं तो मुझे तो ये भडास का लग रहा है.
जो सही में सब कि खबर लेता है.
जय जय भडास
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