Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

8.2.09

आदर्श भ्रष्टाचारी ( मिल बाँट के खाते थे मंत्रीजी )

अभी कुछ दिनों पहले पता चला एक पुराने मंत्री जी की कुछ एक विघ्न संतोषी तत्वों ने पूरी की पूरी जाँच करा ली है
और जाँच के बाद हंगामे का माहोल है
पता चला है की मंत्री जी ड्राईवर के जरिये रिश्वत लिया करते थे
अरे भाई कौन पूरा का पूरा स्वयं खा जाते होंगे
अब ड्राईवर के जरिये ले रहे थे तो चपरासी ,माली,धोबी,खानसामा, और हज्जामो से कोई बैर थोड़े ही रखते होंगे
मेरी मानो तो मुझे लगता है की मंत्री जी सर्वे भवन्तु सुखिनो की अवधारणा वाले थे,
मतलब अकेले नही खाते थे
आज कल के सिनेरिओं मैं तो मंत्री जी को आदर्श माना जा सकता है "आइडिअल" यू नो
आज के दौर में जब एक व्यक्ति अकेला ही सब कुछ खा जाना चाहता है
ऐसे में मिल बाँट के खाना अच्छी बात नही तो और क्या है
ये खबरची और एजेंसिया न तिल का ताड़ बना देती है
अरे देखो तो सही लोग गेहू चावल नही अकेले ट्रक ,डम्पर और न जाने क्या क्या निगले जा रहे है ऐसे मैं मंत्री जी की मिल बाँट के खाने की अवधारणा किसी मिसाल से कम है क्या ?
मुझे लगता है धीरे से भर्ष्टाचार साहित्य ही नही नैतिक शिक्षा के सिलेबस में भी जगह बना लेगा
धीरे से जब नैतिक शिक्षा के सिलेबस में भ्रष्टाचार का चेप्टर जुड़ गया न तो ऐसे मंत्री, अधिकारियो की "आदर्श भ्रष्टाचारीयो" में गिनती होगी
तब भी न कहो ये सोकाल्ड एक्टिविस्ट और खबरची कहो सिलेबस का ही विरोध करे .................

No comments: