आज लोगो कि सोच शायद बदल रही है लेकिन अभी भी हम पूरी तरह बदले नही है। क्यो की जब कभी भी बात अपने ऊपर आती है तो आदमी traditional हो जाता है। इन्सान group मे कुछ और होता है और अकेले कुछ और।
जैसे अगर पूरा group किसी चीज को follow करता है तो एक आदमी भी उसे follow करने लगता है और अकेले वो कुछ और बोलता है सोचता है। और कभी-कभी अकेले में वो traditional सोचता है और group में according to group.
मेरा कहने का मतलब है। इन्सान बहुत ज्यादा flexible होता है और इन्सान को बहुत सी बाते influance करती है और वो अपनी बातो से ही मुकर जाता है। कठोरता जरुरी है और सही काम करना है तो। क्यों की हमेशा ग्रुप की सोच या अपनी ख़ुद की सोच सही नही होती हर parameter पर। ये एक बड़ी समस्या और confusion है जो सभी की सोच एक जैसी होने पर ही जायेगी।
deep madhav
1 comment:
logic sahi hai. socha ja sakta hai.
thanks
yashwant
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