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29.8.09

मक्खी ऐसे भिनक रही है पकी-पकाई खीर के पास


खीर के पास
मक्खी ऐसे भिनक रही है पकी-पकाई खीर के पास
जैसे हों आंतकी जत्थे सीमा पर कश्मीर के पास
भागा भैंसा संग भैंस के चर के सब फोकट की घास
सुबक रहे हैं ताऊ बैठे खूंटे और जंजीर के पास
भागी उसके साथ हंसीना जिस खूंसट की उम्र थी साठ
घर दीमक ने खूब बनाया घुने हुए शहतीर के पास
काले बुर्के से झांकेगा एक गुलाबी लालीपाप
बैठा च्युंगम चबा रहा हूं मैं उसकी तस्वीर के पास
नई शायरा के शेरों से बूढ़े शायर छेड़ करें
रोते-रोते पहुंची ग़ज़लें नब्ज दिखाने मीर के पास
नीरव की तकदीर से कुछ कुदरत ने ऐसा किया मज़ाक
दारू का ठेका खुलवाया पुरखों की जागीर के पास।

पं. सुरेश नीरव

2 comments:

आज चर्चा में said...

tumne komal bhav kurede aisi bhasha-shaili se
jaise koi phool rakha ho
paini si shamsheer ke paas.
chetan anand

आज चर्चा में said...

tumne komal bhav kurede aisi bhasha-shaili se
jaise koi phool rakha ho
paini si shamsheer ke paas.
chetan anand