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14.10.09

शांति‍ की भाषा, ओबामा और शांति‍ पुरस्‍कार

ओबामा को नोबेल शांति‍ पुरस्‍कार जब मि‍ला तो मीडि‍या में जैसे भूचाल आ गया,अचानक ओबामा वि‍रोधि‍यों ने अपने तरकश से तीर नि‍कालने शुरू कर दि‍ए और नोबेल कमेटी पर हमला बोल दि‍या। शांति‍ पुरस्‍कार ओबामा की शांति‍ की कूटनीति‍क भाषा की वि‍जय है। ओबामा ने जो मीडि‍या उन्‍माद चुनाव के दौरान पैदा कि‍या था उसका सीधे प्रति‍बि‍म्‍बन है। ओबामा ने अपने भाषणों से जि‍स तरह सारी दुनि‍या का ध्‍यान आकर्षि‍त कि‍या वैसा अन्‍य कोई नेता नहीं कर पाया। भाषण से मोहि‍त करने की अपनी इसी क्षमता के कारण ओबामा आज नोबेल पुरस्‍कार तक पहुँच गए हैं।
हि‍न्‍दी के प्रसि‍द्ध पत्रकार प्रभाष जोशी ने ओबामा को मि‍ले पुरस्‍कार को उनके काम का आकलन नहीं माना है बल्‍कि‍ लि‍खा है कि‍ यह 'प्रोत्‍साहन पुरस्‍कार' है। प्रभाष जी का मानना है ''इस बार यह एक ऐसे व्‍यक्‍ति‍ को दि‍या गया है जो उसने कमाया नहीं है। ... वह इसके लायक नहीं है।'' आश्‍चर्य की बात है अपने सुंदर गद्य पर मुग्‍ध रहने वाला पत्रकार ओबामा के शांति‍ गद्य और मुग्‍ध करने वाली भाषणकला को उपलब्‍धि‍ ही नहीं मानता। उल्‍लेखनीय है इस बार के शांति‍ पुरस्‍कार की दौड़ में 172 व्‍यक्‍ति‍ और 33 संगठन शामि‍ल थे।
रूस के राष्‍ट्रपति‍ दमि‍त्री मेदवेदेव ने ओबामा को नोबेल पुरस्‍कार दि‍ए जाने पर बधाई दी है और कहा है वि‍श्‍व सुरक्षा के लि‍हाज से रूसी-अमेरि‍की मैत्री और भी पुख्‍ता बनेगी। वहीं दूसरी ओर रि‍पब्‍लि‍कन पार्टी के लोगों का मानना है कि‍ इस पुरस्‍कार के बाद अमेरि‍का में ओबामा के लि‍ए चंदा वसूली और भी तेज हो जाएगी। क्‍यूबा के पूर्व राष्‍ट्रपति‍ फि‍देल कास्‍त्रो ने ओबामा को पुरस्‍कार दि‍ए जाने को सही दि‍शा में उठाया कदम बताया है। दक्षि‍ण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति‍ और महान् कम्‍युनि‍स्‍ट नेता जेकोब जुमा ने कहा है कि‍ यह पुरस्‍कार काले समुदाय के लोगों के लि‍ए खास महत्‍व रखता है। उन्‍होंने अपनी भाषा में इसे 'उबुन्‍तू' कहा है। इसे काले लोगों की सामुदायि‍क स्‍प्रि‍ट के अर्थ में लि‍या जाता है। जुमा ने कहा है ओबामा काले लोगों की मानवीय सामुदायि‍कता के उत्‍सव के प्रतीक हैं।
उल्‍लेखनीय है ओबामा से पहले तीन महत्‍वपूर्ण लोगों को नोबेल शांति पुरस्‍कार मि‍ला है ये हैं, वुडरॉव वि‍ल्‍सन, योदोर रूजवेल्‍ट और हेनरी कि‍सिंजर। नोबेल कमेटी की यह खूबी है कि‍ वह हमेशा सतही कारणों से प्रभावि‍त होकर शांति‍ पुरस्‍कार देती रही है। जि‍न लोगों को यह इनाम मि‍ला है वे महज भाषणों के आधार पर ही इनाम पाते रहे हैं। मसलन् वुडरॉव वि‍ल्‍सन का क्‍या योगदान था ?उन्‍होंने लीग ऑफ नेशनथ बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमि‍का अदा की थी,इसने युद्ध रोकने में कि‍तनी भूमि‍का अदा की आज सारी दुनि‍या जानती है।यह सबसे नि‍ष्‍क्रि‍य युद्ध वि‍रोधी संगठन है। जि‍स समय वि‍ल्‍सन को इनाम मि‍ला था उस समय उन्‍होंने मैक्‍सि‍को पर हमला कर दि‍या था। हैती और डेमोनि‍कन रि‍पब्‍लि‍क पर अपनी सेनाएं भेजकर कब्‍जा जमा लि‍या था। प्रथम वि‍श्‍वयुद्ध के समय यूरोप को कत्‍लगाह बनाने में वि‍ल्‍सन साहब का महान योगदान था। रूजवेल्‍ट के हाथ क्‍यूबा पर हमले के खून से रंगे हैं। इसके अलावा फि‍लीपीन्‍स के कि‍सानों के खून की स्‍याही अभी भी इति‍हास से मि‍टी नहीं है। रूजवेल्‍ट को जि‍स समय नोबेल पुरस्‍कार मि‍ला था उस समय उन्‍होंने जापान और सोवि‍यत संघ के बीच शांति‍ समझौता कराया था। लेकि‍न उस समय मार्क टवेन जैसे महान लेखक को शांति‍ पुरस्‍कार नहीं मि‍ला था ,क्‍योंकि‍ उन्‍होंने रूजबेल्‍ट की नीति‍यों की तीखी आलोचना की थी। उसी समय साम्राज्‍यवाद वि‍रोधी लीग के महान नेता वि‍लि‍यम्‍स जेम्‍स भी मौजूद थे उन्‍हें भी शांति‍ पुरस्‍कार के योग्‍य नहीं समझा गया।

जि‍स समय हेनरी कि‍सिंगर को नोबेल पुरस्‍कार दि‍या गया उस समय उनका शांति‍ में क्‍या योगदान था ? उनका योगदान था कि‍ उन्‍होंने वि‍यतनाम युद्ध की समाप्‍ति‍ पर जो अंति‍म समझौता हुआ था उस पर हस्‍ताक्षर कि‍ए थे। इस समझौते को तैयार करने में उनकी बडी भूमि‍का थी। इसके अलावा किंसि‍जर की वि‍यतनाम युद्ध में वि‍ध्‍वंसक भूमि‍का रही थी। वि‍यतनाम,लाओस और कम्‍बोडि‍या के हजारों
कि‍सानों की हत्‍या में उनका हाथ था। युद्धापराधी की जि‍तनी भी कानूनी परि‍भाषाएं उपलब्‍ध हैं उनके अनुसार वह युद्धापराधी की कोटि‍ में आते हैं लेकि‍न नोबेल कमेटी ने उन्‍हें शांति‍ पुरस्‍कार के लायक समझा। इस परि‍पेक्ष्‍य में ओबामा को दि‍ए पुरस्‍कार को देखेंगे तो चीजें ज्‍यादा साफ नजर आने लगेंगी। कम से कम ओबामा ने अभी तक कोई नया युद्ध नहीं थोपा है,वे अभी तक पुराने युद्धों के भार और पुरानी नीति‍यों के मार्ग पर ही चल रहे हैं। उन्‍होंने एकमात्र परि‍वर्तन कि‍या है कि‍ वे शांति‍ की भाषा बोल रहे हैं। भाषा में आया यह परि‍वर्तन वि‍श्‍व जनमत के लि‍ए बेहद महत्‍वपूर्ण है। ओबामा के बारे में जि‍तनी भी आलोचनाएं आ रही हैं वह उनके वायदों पर अवि‍श्‍वास करते हुए आ रही है। कोई यह मानने को तैयार नहीं है कि‍ वह शांति‍पुरूष है। कोई यह मानने को तैयार नहीं है कि‍ उन्‍होंने कोई काम कि‍या है, कोई यह मानने को तैयार नहीं है वे इसके योग्‍य हैं। ऐसी स्‍थि‍ति‍ में यह सवाल उठना स्‍वाभावि‍क है कि‍ आखि‍रकार शांति‍ के कि‍सी कर्म व्‍यक्‍ति‍त्‍व को पुरस्‍कार क्‍यों नहीं दि‍या गया ? शांति‍ के वाचालपुरूष को यह पुरस्‍कार क्‍यों दि‍या ? ‍कम से कम शांति‍ ,सामुदायि‍कता और सहयोग की भाषा को केन्‍द्रीय एजेण्‍डा बनाने के लि‍ए हमें ओबामा को धन्‍यवाद देना चाहि‍ए,हो सकता है वह कुछ भी बदल नहीं पाएं लेकि‍न शांति‍ की भाषा का वातावरण बनाकर दे जाएं । क्‍या हमें शांति‍ की भाषा में राजनीति‍क आख्‍यान सुनना अच्‍छा नहीं लगता ? शांति‍ के आख्‍यान को जब नोबेल कमेटी ने पुरस्‍कृत कि‍या है तो हमें इसके लि‍ए उसे धन्‍यवाद देना चाहि‍ए और ओबामा को शांति‍ की भाषा और शांति‍ पुरस्‍कार के लि‍ए बधाई देनी चाहि‍ए।

1 comment:

अजित गुप्ता का कोना said...

अच्‍छा शोधपरक आलेख। ओबामा ने शान्ति के लिए क्‍या किया? यह प्रश्‍न आज लोग उठा रहे हैं, लेकिन वे यह नहीं देख पा रहे कि जिस अमेरिका में कोई भी अस्‍वेत राष्‍ट्राध्‍यक्ष नहीं बन सकता था और वहाँ अस्‍वेतों के प्रति असहिष्‍णुता का भाव था, आज ओबामा के भाषणों ने इस भाव को समाप्‍त किया है। वे दुनिया में शान्ति के लिए केवल वाचिक रूप से ही कुछ कर पाएं हैं, तो यह क्‍या कम है? नोबेल मिलने के बाद कम से कम अब वे किसी युद्ध की बात तो नहीं करेंगे। हमें तो बहुत खुशी है कि एक नौजवान अस्‍वेत व्‍यक्ति को नोबेल मिला, जिसके शब्‍दों में जादू है।