मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
दोस्तों,जब से झारखण्ड बना....इसे लेकर ना जाने कितने स्वप्न आँखों में जले और देखते ही देखते बुझ भी गए....लेकिन आखों के सपने ऐसे हैं कि कभी ख़त्म ही नहीं होते...और मुश्किल यह है कि कभी पूरे भी नहीं होने को आते....झारखण्ड का हर नागरिक जैसे सलीब पर चढ़ा अपनी आखिरी साँसों के खत्म होने का इंतज़ार कर रहा है...क्यूंकि हालात ऐसे हैं कि किस-किस बात पर आन्दोलन किये जाएँ...प्रशासन और मंत्रालय का कोई भी हिस्सा अपने कार्य को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है...और मज़ा यह कि सब-के-सब "चोट्टे-सूअर-मवाली-हरामखोर-राज्य और देश-द्रोही"लोग मलाई भी मार रहे हैं और मालामाल भी हुए जा रहे हैं...और काम के नाम पर सिर्फ-और-सिर्फ माल खाने का काम हो रहा है....इस राज्य के एक-एक नागरिक का एक-एक दिन एक तरह की वितृष्णा के साथ गुजर रहा है...और मुझे संदेह है कि जाने कब यह सब किसी भी क्षण एक अनियंत्रित हिंसा में बदल जाए....और जब ऐसा होगा...तब शायद किसी दंगे की तरह नेताओं और उनके चमचों-गुर्गों को चुन-चुन कर मार डाला जाए.....ऐसा अभी से दीख पड़ रहा है.....ऐसे ही विचार वर्षों से दिलो-दिमाग में आते रहते हैं....कि अगर अब भी यह सब नहीं रुका तो न जाने कब राज्य का हरेक नागरिक ही नक्सली बन जाएगा....और.........
ये किस भविष्य का आज है !!
क्या दी जाए इसकी उनको सज़ा ??
किस तरह हम पर ये कर रहे हैं राज....
और क्यूँ नहीं हो रही हमें कोई भी खाज ??
ये नहीं मानेंगे साले बातों से कुछ भी नहीं अब
तुम्हें मेरे दोस्तों दरअसल कुछ करना नहीं है अब
अब किस मुहं से कहोगे कि तुम्हें झारखंड पर नाज है !!
दोस्तों ये कविता नहीं है ये तुम्हारे भड़कने का आगाज है
1 comment:
भूतनाथ जी, जहाँ गुड रहता है वहीं चुंटे लगते है, आपका झारखण्ड प्रदेश गुड है और ये राज नेता चुंटे है इसलिए वो भीड़ तो लगायेगे ही, इनको आम आदमी से क्या लेना-देना है केवल इनका स्वार्थ पूरा होना चाहिए, आपकी कविता जीवंत है लेकिन यह जिन्दा लोगों के लिए है .
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