'निशंक' की सफलता से बौखला गए है कांग्रेसी
पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के हर गांव-शहर में चर्चा जोरो पर हैं कि अब बीजेपी के मिशन 2012 को सफल बनाने के लिए बीजेपी के कार्यकर्ता ही क्यों,जनता भी आगे क्यों न आए। क्योंकि वर्षों से चल आ रहे पलायन-बिरोजगारी और राज्य विकास की नीव जिस तरह से डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने छोटे से कार्यकाल में रख दी है। इससे पहले किसी भी पार्टी ने शायद ही,प्रदेश की जनता खास तौर पर युवाओं के लिए इतनी बड़ी पहल की हो।
पिछले दिनों दिल्ली में,मैं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से मिला। नितिन गडकरी पत्रकारों से घिरे थे। पत्रकार देश में बढ़ रही महगांई और संसद में विपक्ष की भूमिका को लेकर गडकरी से सवाल कर रहे थे। इसी बीच एक पत्रकार ने सवाल किया की,गडकरी जी आपको नहीं लगता की भविष्य में बीजेपी को भी युवा शक्ति की आवश्यकता है? गडकरी जी थोड़ी देर चुप रहे। उसके बाद उन्होंने पत्रकार के इस सवाल का जबाब कुछ इस तरह दिया। 'हम जानते है कि आज हर क्षेत्र में युवा आगे बढ़ रहे है। देश की विकास की डोर निश्चित तौर पर युवाओं के हाथ में होनी चाहिए। लेकिन यह कहना की हमारे पास युवाओं की कमी है। ऐसा बिल्कुल नहीं है,हमारे पास कई युवा चेहरे हैं,जो काम कर रहे है,और उनके काम की लगातार तारीफ हो रही है। हमारे पास उत्तराखंड में युवा और कर्मठ मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' हैं तो वरूण गांधी के अलावा कई और चेहरे भी है'।
निश्चित तौर पर डॉ.निशंक को लेकर जो विचारधारा पार्टी और संघ में निरंतर बन रही है। वह उत्तराखंड के विकास के लिए सुफल और सफल भी है। क्योंकि उत्तराखंड का बेटा निरंतर उसकी विकास की नीव को मजबूत कर रहा है। शायद यही वजय हैं की यह सब देखकर कांग्रेस के बड़े से लेकर छुटभैया नेता बौखला गए है। इस बारे में जब हमने गडकरी जी से सवाल किया तो...वह मुस्कराते हुए बोले की,'चमकते सूरज को देखकर अच्छे-अच्छों के पसीने छुट जाते है। फिर कांग्रेस की खुद की नीति हैं क्या,उन्होंने उत्तराखंड में इतने दिनों तक राज्य किया,जनता को दिया क्या'?
यकीनन बीजेपी की सफलता के मायने प्रदेश की जनता के साथ-साथ आंकडे भी बोलते है। कौन नहीं जानता की,13वें वित्त आयोग द्वारा बेहतर आर्थिक प्रबधंन के लिए प्रदेश सरकरा को दिया एक हजार करोड़ रुपये का पुरस्कार निशंक के कार्यकाल में ही मिला। साथ ही योजन आयोग द्वारा गत वर्ष की तुलना में 1225 करोड़ रुपये को बढ़ाते हुए,6800 करोड़ रुपये को प्रस्तावित वार्षिक योजना को मंजूरी भी दी गयी। यहीं नहीं कांग्रेस सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में जहां 11 हजार 741 करोड़ रूपये का परिव्यय स्वीकृति करया, वहीं डॉ.निशंक ने इस आकड़े को 14 हजार 955 करोड़ रुपये पहुचां। यह राशि कांग्रेस कार्यकाल की राशि से 3 हजार 214 करोड़ रुपये अधिक है। कांग्रेस ने पांच साल में जहां 11 हजार 312 करोड़ रुपये व्यय किए,वहीं बीजेपी सरकार मात्र तीन वर्ष में योजना मदों के अधिकाधिक उपयोग में कांग्रेस से कहीं अधिक खर्च कर चुकी है। अगर इसके औसत वार्षिक व्यय की बात करें तो भाजपा सरकार का यह आंकड़ा 3 हजार 704 करोड़ रुपये बैठती है। जबकि कांग्रेस सरकार का 2 हजार 262 करोड़ रुपये। अपने पांच साल के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार ने जहां बतौर राजस्व 10 हजार 640 करोड़ रूपये अर्जित किया,वहीं भाजपा सरकार तीन साल में ही 11 हजार 312 करोड़ रूपये जुटा चुकी है। यानि की यह आय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पांच सालों की आय से 672 करोड़ रुपये अधिक है। इस तरह अगर विभिन्न करों एवं गैर करों से अर्जित आय का अगर वार्षिक औसत की बात की जाए तो भाजपा सरकार पूर्वपर्ती कांग्रेस सरकार से 1 हजार 643 करोड़ रुपये की बढ़त ले चुकी है। इसके साथ ही निशंक सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पहली बार विशेष औद्योगिक नीति बनायी है,जिसमें अब तक लगभग 200 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जा चुका है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों और ऊपर से केंद्र द्वारा तीन साल पूर्व ही स्वीकृत औद्योगिक पैकेज खत्म कर दिए जाने की विकट चुनौती के बावजूद राज्य प्रगति की और अग्रसर है। यह मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल की वृद्ध सोच का ही नतीजा है। कांग्रेस सरकार के प्रति वर्ष 1 हजार 639 करोड़ रूपये के औसत निवेश के जवाब में भाजपा सरकार अब तक तीन गुने से भी अधिक का औसत वार्षिक निवेश कर चुकी है। यही नहीं कांग्रेस ने जितना पूरे पांच वर्षों में पूंजी निवेश किया,भाजपा सरकार ने उतना अकेले वर्ष 2009-10 में ही कर दिखाया है। रोजगार की बात अगर की जाएं तो कांग्रेस द्वारा वर्ष 2002 से 2007 तक प्रतिवर्ष 14 हजार 577 औसत रोजगार सृजन के जवाब में भाजपा सरकार में 2007 से 2010 तक 30 हजार 481 रोजगार सृजित किए है और अब समुह 'ग' के पदों की घोषणा कर सरकार ने उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खोल दिए है।
उत्तराखंड को विजन 2020 के तहत धरती का स्वर्ग बनाने के संकल्प को भाजपा सरकार की दूरगामी सोच का परिफल के तौर पर देखा जा रहा है। जहां तक मिशन 2012 की बात हैं तो उत्तराखंड में अभी से हैं,एक नारा जोर-शोर के साथ गुंज रहा हैं कि- 'मिशन 2012 निशंक के साथ हो वोट हमारा',शायद यहीं वजय हैं कि कांग्रेस में इस बात को लेकर खलबली मच गयी हैं कि निशंक कैसे निरंतर विकास की यात्रा में आगे बढ़ रहे है। निशंक की कामियाबी को देखते हुए,देहरादून से दिल्ली तक बैठे कांग्रेस के नेता निशंक को हर हाल में घेरना चाहते है। कांग्रेस ने उत्तराखंड में हर तरफ अपना जाल बिछा दिया है। ख़बर ये भी हैं कि कुछ पत्रकार बंधुओं को भी निशंक को घेरने के लिए बड़ी रकम बांटी गयी है। जिन्हें काम सौंप गया हैं कि निशंक कब गलती करें...उनके आस-पास के लोगों पर टकटकी लगाए बैठे रहो,मालूम किया जाएं। किसी बीजेपी के कार्यकर्ता निशंक की आदेशों का कितना पालन कर रहे है। मुख्यमंत्री किन -किन लोगों के बीच उठ बैठ रहे है। किसी को मुख्यमंत्री के माध्यम से फायदा मिल रहा है। इसके साथ ही पत्राकारों की एक फौज के कांग्रेस कार्यकर्तों के साथ देहरादून में बैठा दी गयी है। ताकि निशंक के मिशन 2012 को रोक जा सके। अब हम तो डॉ.रमेश पोखरियाल को यही कहना चाहेगें कि निशंक अपने तरक्स से कुछ ऐसे तीर निकालें जो इन कांग्रेसी योद्धाओं को जवाब दें सके। साथ ही अपने मिशन 2012 की विकास यात्रा में आप आगे बढ़ सकें। क्योंकि यह तो अब जगजाहिर हो गया हैं कि एक कवि-पत्रकार मुख्यमंत्री को कांग्रेस उसी के कवि-पत्रकार मित्रों और मुख्यमंत्री कार्यलय में कार्यरत कुछ मुख्यमंत्री के सहयोग से घेरने की योजना बना रही है। ये तो शायद मुख्यमंत्री को ज्ञात होगा। जिसकी कई बार वह झलक भी देख चुके है...अब देखना यह होगा की डॉ.निशंक इन विरोधियों से कैसे निपटते है।
- जगमोहन 'आज़ाद'
2 comments:
bhai wah achchi uplabdhiyan ginain nishank sahab ki...man gaye ustad...sarkar ne aapko pro to nahin rakh diya...
निशंक जी का वक्तित्वा और सामने आना चाहिए. अच्छे प्रयास के लिए साधुवाद
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