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18.8.10

उत्तराख्ंाड में पनप रही चरित्र हनन की राजनीति

मुख्यमंत्री पर बेबुनियाद आरोप लगाने वालों के खिलाफ उतरे भाजपा नेता
राजेन्द्र जोशी
देहरादून,18 अगस्त । राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर आज तक प्रदेश के लगभग आधे दर्जन से ज्यादा नेताओं पर महिलओं से संबंध बनाने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। सबसे पहले प्रदेश के तीसरे व जनता द्वारा चुने गये पहले मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी को आरोपों में रखा गया। इसके बाद तिवारी सरकार में खाद्य मंत्री रहे डा. हरक सिंह रावत पर जैनी प्रकरण का मामला सामने आया। हालांकि जैनी प्रकरण में फंसे हरक सिंह रावत ने पद से इस्तीफा देने के बाद सीबीआई जांच की मांग की और वो इस जांच के बाद पाक साफ हो कर बाहर निकले। जबकि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी इसी तरह के मामले में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के पद से उन्हें इस्तीफा देना पडा और वे इन दिनों देहरादून मेें आराम फरमा रहे हैं। जबकि उन पर चल रहा पितृत्व का मामला दिल्ली न्यायालय में विचाराधीन है। ठीक इसी तरह गीता खोलिया के मामले में पूर्व मंत्री अजय टम्टा का नाम भी सामने आया था। वहीं प्रदेश के पर्यटन व नगर विकास मंत्री मदन कौशिक पर भी शिवानी मामले के छींटे पड चुके हैं। उत्तराखंड की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने वाली भाजपा और कांग्रेस के कई नेता अब तक चरित्र हनन की राजनीति के शिकार हो चुके हैं।
ताजा मामला मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर एक महिला द्वारा लगाये गये आरोपों को लेकर है। संदेहास्पद चरित्र वाली इस महिला ने वैसे तो कोई भी आरोप सीधे मुख्यमंत्री पर नहीं लगाये हैं लेकिन अभी तक अपनी साफ-सुथारी छवि के लिए जाने वाले निशंक पर गोलमोल ढंग से उन्हें घेरने की कोशिश जरूर की है। राजनीति के गलियारों में महिला के चरित्र को लेकर कई तरह की चर्चाएं सरेआम हैं। चर्चाओं के अनुसार जिस महिला ने मुख्यमंत्री को आरोपों में घेरने की कोशिश की है उसका चरित्र दागदार ही दिखाई देता है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो यह महिला अब तक चार पुरूषों से विवाह रचा चुकी है और वर्तमान में मेरठ के एक नामी बदमाश के साथ रह रही है। उल्लेखनीय है कि यह वही बदमाश है जिसने इस महिला के तीसरे पति व उसके पिता सहित उसके देवर की हत्या की थी। राजनीति के बुझक्कडों का कहना है कि कुर्सी के लिए इस तरह के आरोपों का लगना आम बात है। लेकिन स्वस्थ राजनीति के लिए ठीक नहीं है। इनका कहना है कि इस ताजे प्रकरण में वर्तमान मुख्यमंत्री पर लगाये गये आरोपों के पीछे उनकी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का हाथ भी बताया जा रहा है। इससे पहले यह महिला कांग्रेस के केंन्द्रीय राज्य मंत्री व उत्तराखंड से सांसद पर भी आरोप लगा चुकी है। विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की महिलाओं द्वारा राजनीति के शिखर पर पहुंचे व्यक्तियों पर आरोप लगाने से विरोधी नेता मात्र अपने हित साधते रहे हैं। मुख्यमंत्री पर आरोप भी इसी कडी में लगाया गया बताया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर लग रहे बेबुनियाद आरोपों के खिलाफ अब उनकी पार्टी से जुडे लोग ढाल बनकर सामने आने लगे हैं। इस वर्ग का मानना है कि षडयंत्रकारी मुख्यमंत्री पर निशाना साध कर सरकार तथा भाजपा की छवि बिगाड़ने का काम कर रहे है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री से षडयंत्र रचने वालों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी के अनुसार कुछ लोग मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निंशक के खिलाफ षडयंत्र रच रहे है। ताकि कार्य करने की उनकी गति को रोक कर उन्हें किसी तरह परेशान किया जा सकें। ध्यानी ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश रचने वालों के खिलाफ उन्हें उच्च स्तरीय जांच बैठानी चाहिये ताकि उन्हें कठोर से कठोर सजा दी जा सके। राज्य युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष बडथ्वाल भी मुख्यमंत्री के पक्ष में उतरते हुए साजिश रचने वालों के खिलाफ जांच की मांग करने लगे है। बडथ्वाल ने कहा कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री पर बेबुनियाद आरोप लगाने वाले कई लोग बेनकाब हुए है। सरकारी तंत्र पर भरोसा नहीं करने वाले कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया, मुख्यमंत्री को वहां से भी क्लीन चिट मिली है। जबकि आरोप लगाने वाले के खिलाफ कोर्ट ने जुर्माना तथा भविष्य में इस तरह के आरोप न लगाने की की सख्त हिदायत दी है। बडथ्वाल ने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री को बाधित करने के लिये किया जा रहा है। पाटी को मुख्यमंत्री की ढाल बनकर सामने आना चाहिये साथ ही मुख्यमंत्री को भी षडयंत्रकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच बैठा कर दोषी पाये जाने पर कडी सजा सुनायी जानी चाहिये ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सके।

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