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14.8.10

शहादत के नाम पर यह कैसी राजनीति


कहीं भाजपा को ही पटखनी देने की तो योजना नहीं
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । शहीदों की शहादतें अब राज्य में नेताओं के लिए राजनीति करने का जरिया बन गई हैं। पिछले कुछ समय से शहीदों को याद करने के नाम पर जिस तरह से राजनेता अपनी राजनीति चमका रहे हैं वह समाज और शहीदों के लिए शर्मनाक है। हाल में ही पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूडी शहीदों को सम्मान देने के नाम पर ऐसे ही कुछ राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल हुए।
शुक्रवार को डोईवाला में आयोजित एक कार्यक्रम एक शाम शहीदों के नाम में एक पार्टी के नेता तथा कार्यकर्ता जुटे तो यह कार्यक्रम शहीदों को श्रद्धांजलि देने की बजाय पूरी तरह राजनैतिक बन गया। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूडी इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि तथा कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित दिखे। खंडूडी इससे कुछ दिन पहले अपने प्रदेश दौरे के दौरान भी शहीदों के नाम पर आयोजित होने वाले कुछ ऐसे ही कार्यक्रमों में शामिल हुए। कोटद्वार में पूर्व सैनिक तथा अद्र्धसैनिक संगठन के एक इसी तरह के कार्यक्रम को भी खंडूडी के नेतृत्व में राजनैतिक रंग में रंगा गया था। शुक्रवार को देहरादून की डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में शहीदों के नाम जिस कार्यक्रम का आयोजन हुआ वह भी पूरी तरह राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं से लबालब था। राजनैतिक जानकारों के मुताबिक इस कार्यक्रम को भाजपा के खंडूडी तथा कोश्यारी गुट की एकजुटता दिखाने के लिए आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में अधिकांश नेता तथा कार्यकर्ता इन्हीं दो नेताओं के समर्थक माने जाते हैं। वहीं राजनीति के जानकार इसे विधायक प्रेम चन्द्र अग्रवाल को पटखनी देने की मंशा के तौर पर भी देख रहे हैं। ऋषिके श से भाजपा के नेता संदीप गुप्ता द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को अगले विधानसभा चुनावों में दावेदारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। खंडूडी के इस कार्यक्रम में मौजूद रहने से पार्टी के भीतर ही हलचल पैदा हो गई है। पार्टी से जुड़े नेता स्वीकार करते हैं कि अपनी ही पार्टी के खिलाफ इस तरह के अंदरुनी शक्ति प्रदर्शनों से पार्टी कमजोर होती है। शक्ति प्रदर्शन जरूरी हैं लेकिन इसे प्रतिस्पर्धा के तौर पर आयोजित किए जाने चाहिए ना कि गुटबाजी को ध्यान में रखकर, इस तरह के आयोजन होने चाहिए। खंडूडी के इस कार्यक्रम में शामिल होने से भाजपा कार्यकर्ता स्तब्ध हैं। पार्टी से जुड़े एक वर्ग का मानना है कि निजी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस तरह के कार्यक्रम किए जाने निंदनीय हैं। शहीदों की शहादत का राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ दिनों पूर्व कोटद्वार में गेप्स सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में स्थानीय विधायक शैलेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ भी जाति के आधार पर एक वर्ग को संरक्षण देने का पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगा था। इस कार्यक्रम में रावत को नेतृत्व करने में अक्षम बताते हुए एक जाति विशेष के लोगों को नेतृत्व सौंपने को लेकर बकायदा ज्ञापन सौंपा गया था।
बहरहाल शहीदों के नाम पर राजनीति चमकाना शर्मनाक हैै। इस तरह के कार्यक्रमों में दलगत भावना से ऊपर उठकर सर्वसमाज को साथ लेकर चला जाना चाहिए।

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