अमेरिकी पादरी द्वारा कुरान जलने का लिया गया शर्मनाक फैसला भले ही अज रद्द हो गया हो. मगर इसकी जन्म किसने दिया ये जानने की जरूरत किसी ने महसूस नहीं की। पादरी को एसा करने के लिए आतंकवादियों की हरकतों व् इस्लाम के ठेकेदारों ने मजबूर कर दिया. कुरान को फुके जाने की बात सामने आते ही सभी मुस्लिम इसे dहरम विरोधी बता इसे इस्लाम को घाव देने वाली हरकत बताने लगे, मगर उन्होंने उन घावो को याद नही किया जो उन्होंने अन्य धर्मो को दिए है. याद होगा वो दिन जब अफगानिस्तान में बुध प्रतिमाओ को तोड़ने की इस्लामिक हुक्मरानो ने घोसणा की थी. भारत इस कार्यवाही को रोकने के लिए मिन्नतें करता रहा मगर एक तरफी सोच के धनि अफगानियो ने इसे ठुकरा दिया और भारत के वासिंदो को घर जख्म दिया. वर्ल्ड trade सेण्टर गिराने के बाद जब अमेरिका ने कार्यवाही को कदम बढाया तो एक बार फिर अपनी कमियों को छिपाकर अमेरिकी झंड़ो को जलाया जाने लगा. उस वक्त उन्हें अमेरिकी भावना नजर नही ई. यह तो महज बानगी भर है. अकेले भारत में ही क्त्त्रप्न्थी इस्लामिक लोगो ने गोधरा, मौ और बरेइल्ल्य जैसे दंगो को करीत क्र ये साबित केर दिया की इस्लामिक अन्धता से ग्रस्त लोग किसी को अपना नही मानते. अज मोहब्बत की मिसाल मन जाने वाला मजहब नफरत व् dahsat ka मजहब बनकर रह गया है. २१व सदी में भी लोग इस्लामिक देशो में जाने से डरते है. उन्हें dar रहता है की न जाने kab और कौन उन्हें 'काफ़िर' कहकर मौत की नीद सुला दे.
10.9.10
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1 comment:
american padari ne Islam ke thekadaro ko Iaaena dikha diya.
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