. “इन तेज हवाओं में दिया बुझता ना तो क्या करता, दिल की राहों मे अजनबी बनता ना तो क्या करता, जब कश्ती टूट गयी हो और जिन्दगी बे-साहिल हो; तो खुदा से एक तूफां की दुआ करता ना तो क्या करता, क्या बताऊँ तुम्हे सांप निकले हैं आस्तीनों से; इस दुनिया में साए से लिपटता ना तो क्या करता, पास कुछ भी ना रहा बस टूटे खवाबों के सिवा; इन खिलोनों से “गमेदिल” बहलता ना तो क्या करता? Manish Singh "गमेदिल"
12.10.10
“बस टूटे ख्वाब”
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