दिग्गी राजा सड़कछाप ; संघ का है आरोप ;
बक बक करता फिर रहा ;बुद्धि का हो गया लोप ;
राजा है खुर्रम बड़ा ; न लेने देता चैन ;
संघ पे धावा बोलता ;दिल्ली हो या उज्जैन .
शिखा कौशिक
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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5 comments:
बढ़िया |
अति सुन्दर ||
बधाई ||
B J P : पान का बीड़ा
रखी रकाबी में रकम, पनबट्टी के साथ |
दिग्गी जस जो दोगला, वही लगावे हाथ ||
Just ignore such persons! Let's talk something meaningful.
बहुत शानदार प्रस्तुति सटीक
digvijay singh....oh god sadbuddhi do.
bahut acchi prastuti
रविकर जी ;घनश्याम जी ,शालिनी जी और कनु जी आप सभी का आभार .
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