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14.11.11

मेरे वतन की मिट्टी । (गीत)





मेरे वतन की मिट्टी । (गीत)



मेरे  वतन  की  मिट्टी  कोई  ला दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।


अन्तरा-१.


वो  नदिया   किनारे,  पानी  उड़ाना ।
वो   शाम  सुहानी,  सपने  संजोना ।
बालू से  फिर  एक महल  बनवा दो ।

बचपन के  वो पल फिर से लौटा दो ।


अन्तरा-२.


नन्हीं सी बहना पर हुकुम चलाना ।
सताकर उसे  फिर  राखी बँधवाना ।
मेरा  लड़कपन  फिर  से  लौटा दो ।

बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।


अन्तरा-३.


यारों   से   लड़कर   यारी    जताना ।
माँ   को   सताकर   रूठना, मनाना ।
माँ  का  वो आँचल फिर से ओढ़ा दो ।

बचपन  के  वो पल फिर से लौटा दो ।


अन्तरा-४.


रब  का बुलावा,कहाँ अब तो रूकना ।
बिछड़े सभी अब, उनको है  मिलना ।
अपने  कुछ  कंधे, फिर से मँगवा दो ।

बचपन  के  वो पल फिर से लौटा दो ।

मेरे   वतन  की   मिट्टी  कोई  ला दो ।
बचपन  के  वो पल फिर से लौटा दो ।


मार्कण्ड दवे । दिनांकः १४-११-२०११.

1 comment:

Suman Dubey said...

नमस्कार , सुन्दर लिखा है बचपन के दिन -------------